अनुग्रह के साधन क्या हैं? - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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अनुग्रह के साधन क्या हैं?

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का दूसरा अध्याय है: अनुग्रह के साधारण साधन

शीर्ष पचास सर्वाधिक विक्रित ख्रीष्टिय पुस्तकों का एक संक्षिप्त सर्वेक्षण प्रकट करता है कि अधिकांश ख्रीष्टीयों के लिए कौन से विषय सबसे अधिक और सबसे कम रुचिकर हैं। उद्देश्य, वित्त, आत्म-सम्मान, प्रेम भाषाओं और सम्बन्धपरक सीमाओं के विषय पर पुस्तकें सूची में अधिक हैं। त्रिएक परमेश्वर, ख्रीष्ट, पाप, सुसमाचार, पवित्रशास्त्र, प्रचार, कलीसियाई विधियों, प्रार्थना, कलीसियाई अनुशासन, और स्थानीय कलीसिया पर पुस्तकें बहुत कम हैं। क्योंकि यीशु ख्रीष्ट और उसका बचाने वाला कार्य हमारे विश्वास की नींव का निर्माण करते हैं (1 कुरिन्थियों 2:2; 3:11), हमें सबसे अधिक यह जानने के लिए चिन्तित होना चाहिए कि अनुग्रह और ख्रीष्ट के ज्ञान में कैसे बढ़ा जा सकता है (2 पतरस 3:18)। ख्रीष्ट के अनुग्रह में हमारी बढ़ोत्तरी हमारे द्वारा उन साधनों के उपयोग के अनुरूप होगी जिन्हें परमेश्वर ने नियुक्त किए हैं। ईश्वरविज्ञानी इन्हें “अनुग्रह का साधन” (मीडिया ग्राटिया ) के रूप में वर्णित करते हैं।

अनुग्रह के साधन परमेश्वर के नियुक्त यंत्र हैं जिनके द्वारा पवित्र आत्मा विश्वासियों को ख्रीष्ट को और छुटकारे के लाभों को ग्रहण करने के लिए सक्षम बनाता है। यद्यपि वह ख्रीष्ट को अपने लोगों को शीघ्र प्रकट करने के लिए चुन सकता था, उसने इसके स्थान पर निश्चित साधनों को निर्धारित किया है। परमेश्वर ने वचन, कलीसियाई विधियाँ, और प्रार्थना को सर्वोपरि साधन होने के लिए नियुक्त किया जिसके द्वारा वह विश्वासियों के लिए ख्रीष्ट और उसके लाभों का संचार करता है।

यीशु सिखाता है कि पवित्रशास्त्र उद्धार का प्राथमिक और अत्यावश्यक साधन है (लूका 16:31, 24:27,44-45)। प्रेरितों की सेवकाई में परमेश्वर के वचन का प्रचार मुख्य था (प्रेरितों के काम 2:22, 41; 4:4; 5:20; 6:7; 12:24; 15:7,32, 36; 16:14; 19) 20; 20:32)। पौलुस रोमियों 10:17 में समझाता है, “विश्वास सुनने से सुनना क्रीष्ट के वचन के द्वारा होता है।” प्रेरितों ने परमेश्वर के वचन पर विश्वासियों के उद्धार और पवित्रीकरण के साधन के रूप में सबसे अधिक महत्व दिया (कुलुस्सियों 3:16; इब्रानियों 5:14; याकूब 1:18,21,25; 1 पतरस 2:2)।

पवित्रशास्त्र यह भी सिखाता है कि परमेश्वर ने कलीसियाई विधियों को अनुग्रह के साधन के रूप में नियुक्त किया है। पौलुस बपतिस्मा और उद्धार का अनुग्रह के मध्य सम्बन्ध को बनाता है जब वह लिखता है, “[परमेश्वर] ने हमारा उद्धार किया . . .पवित्र आत्मा द्वारा नए जन्म और नए बनाए जाने के स्नान से किया” (तीतुस 3:5)। वह प्रभु भोज के बारे में बताते हुए “आशीष का कटोरा” का वर्णन करता है (1 कुरिन्थियों 10:16)। ख्रीष्ट का बचाने वाला अनुग्रह विश्वासियों को आत्मिक रूप से संचारित कर दिया जाता है जब वे विश्वास के द्वारा प्रभु भोज में सहभागी होते हैं। इसके विपरीत, जो लोग “अनुचित” (अर्थात् अविश्वास में) रीति से सहभागी होते हैं, वे परमेश्वर के दण्ड के अधीन हैं (11:27-32)।

प्रार्थना भी अनुग्रह का एक साधन है, पवित्रशास्त्र के अनुसार। परमेश्वर ने उन सभी से छुटकारे की प्रतिज्ञा की है जो उसको सत्यता से पुराकरते हैं। पेन्तेकुस्त के दिन, पतरस ने घोषणा की, “ऐसा होगा कि जो कोई प्रभु का नाम लेगा वह उद्धार पाएगा” (प्रेरितों के काम 2:21)।

हम वेस्टमिन्स्टर संक्षिप्त प्रश्नोत्तरी में अनुग्रह के साधनों की सहायक ऐतिहासिक परिभाषा पाते हैं, जहाँ हम पढ़ते हैं: “बाहरी और सामान्य साधन जिससे ख्रीष्ट छुटकारे के लाभों को हमें संचारित करता है, उसकी विधियाँ हैं, विशेषकर वचन, कलीसियाई विधियों और प्रार्थना; जो कि सब चुने हुए लोगों के उद्धार के लिए प्रभावशाली बनाए गए हैं” (डब्ल्यू. एस. सी. 88)।

अनुग्रह के साधन कैसे प्रभावशाली बनाए जाते हैं? वे कैसे कार्य करते हैं? वे स्वयं से कार्य नहीं करते हैं (एक्स ओपरे ओपेराटो ), जैसा कि रोमी कैथोलिक कलीसिया बल देती है। किन्तु, वे चुने हुओं के हृदयों में विश्वास के माध्यम से परमेश्वर के आत्मा के द्वारा कार्य करते हैं। जैसा कि वेस्टमिंस्टर संक्षिप्त प्रश्नोत्तरी 91 समझाता है,

विधियाँ उद्धार के प्रभावशाली साधन बन जाते हैं, उनमें या उनके प्रबन्धकों में उपस्थित किसी गुण के कारण से नहीं, परन्तु  उन में, जो विश्वास से उन्हें प्राप्त करते हैं केवल ख्रीष्ट की आशीष ,और उसके आत्मा के कार्य करने के कारण से।

तथापि, वेस्टमिन्स्टर सभा के सदस्यों का विश्वास यह नहीं था कि अनुग्रह के सभी साधन समान रूप से प्रभावशाली हैं: “परमेश्वर का आत्मा पढ़ने को है, परन्तु विशेष रूप से वचन के प्रचार को, पापियों को विश्वासोत्पादक और परिवर्तित करने का और उन्हें पवित्रता और सान्त्वना में विश्वास के माध्यम से उद्धार के लिए निर्माण करने का प्रभावशाली साधन बनाता है”( डब्ल्यू. एस. सी. 89)। धर्मसुधारवादी (Reformed) ईश्वरविज्ञानी गीरहार्डस वोस ने कलीसियाई विधियों पर वचन की प्राथमिकता के लिए तर्क दिया जब उसने लिखा:

यदि आवश्यक हो, तो हम वचन को अनुग्रह के साधन के रूप में सोच सकते हैं बिना कलीसियाई विधि के, परन्तु कलीसियाई विधि के विषय में अनुग्रह के साधन के रूप में सोचना असम्भव है बिना वचन के। कलीसियाई विधियाँ पवित्रशास्त्र पर निर्भर होती हैं, और पवित्रशास्त्र का सत्य उन में से होकर और उनके माध्यम से बोलता है।

इसी प्रकार, प्रार्थना अनुग्रह का एक साधन केवल तक बन जाती है जब वह पवित्रशास्त्र के सत्य के द्वारा आकारित की जाती है। पवित्र आत्मा वचन को लेता है और विश्वासियों को परमेश्वर की इच्छा के अनुसार प्रार्थना करने में सक्षम बनाता है।

यदि हमें अनुग्रह में बढ़ना है, तो हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि परमेश्वर ने उस बढ़ोत्री के लिए कुछ निश्चित साधन नियुक्त किए हैं। हमें इन साधनों के समीप आना चाहिए उत्सुक प्रत्याशा के साथ और उस परमेश्वर पर बच्चे के समान निर्भरता के साथ जो उन पर अपनी आशीषों को जोड़ता है, और हमें उनके सही उपयोग में सन्तुष्टि से विश्राम करना चाहिए, यह जानते हुए कि परमेश्वर ने उन्हें आशीष देने की प्रतिज्ञा की है जब हम उन्हें पश्चातापी और विश्वासी हृदयों के साथ उपयोग करते हैं।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
निकोलस टी. बैट्ज़िग
निकोलस टी. बैट्ज़िग
रेव्ह. निकोलस टी. बैट्ज़िग (@Nick_Batzig) लिग्नियर सेवकाई के एक सहयोगी संपादक हैं। वे फीडिंग ऑन क्राइस्ट (Feeding on Christ) पर ब्लॉग करते हैं।