भण्डारीपन क्या है? - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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भण्डारीपन क्या है?

हमें स्वयं को जीवित बलिदान के रूप में परमेश्वर को समर्पित करना है। इसका अर्थ है कि हमें अपना समय, अपनी ऊर्जा, और अपने आप को आराधना और कृतज्ञता के कार्यों के रूप में समर्पित करना है। परन्तु हमें सर्वदा सचेत होना चाहिए कि परमेश्वर ही ने हमें इन बातों के साथ ही और सब कुछ भी दिया है। इसलिए बाइबलीय देना भण्डारीपन के सन्दर्भ में किया जाता है, अर्थात् उन भली वस्तुओं का प्रबन्धन जिन्हें पिता हमें उदारता से देता है।

भण्डारीपन की अवधारणा सृष्टि के साथ आरम्भ होती है। सृष्टि की सराहना न केवल उत्पत्ति में, वरन् सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र में की जाती है, और विशेषकर भजन संहिता में जहाँ सम्पूर्ण सृष्टि पर परमेश्वर की प्रभुता की घोषणा की जाती है: “पृथ्वी और जो कुछ उस में है, यहोवा ही का है – जगत और वे सब भी जो उस में रहते हैं” (भजन 24:1)। परमेश्वर सब कुछ का कर्ता, सब कुछ का सृष्टिकर्ता, और सब कुछ का स्वामी है। परमेश्वर जो कुछ भी बनाता है, वह उन सब का स्वामी है। जिन वस्तुओं के हम स्वामी  हैं, उनके स्वामी हम ऐसे भण्डारियों  के रूप में हैं जिन्हें स्वयं परमेश्वर से उपहार दिए गए हैं। हमारी सभी “सम्पत्ति” पर परम स्वामित्व परमेश्वर का है। उसने इन वस्तुओं को हमें उधार में दिया है और इस बात की अपेक्षा करता है कि हम इस रीति से उनका प्रबन्धन करें जो उसको आदर और महिमा दें।

बाइबल में जिस यूनानी शब्द को “भण्डारीपन” के रूप में अनुवाद किया गया है, वह है ओइकोनोमिया (oikonomia), जिससे अंग्रेज़ी शब्द इकॉनोमी (economy = अर्थशास्त्र) निकला है। इसमें दो विशिष्ट शब्दों को जोड़कर एक नया शब्द बना दिया गया है: ओयकोस (oikos), जो घर  के लिए यूनानी शब्द से है, और नोमोस (nomos), जो यूनानी में व्यवस्था  के लिए शब्द है। “भण्डारीपन” के रूप में अनुवादित शब्द का यथार्थ अर्थ है “गृह व्यवस्था” या “गृह नियम।”

प्राचीन संस्कृति में भण्डारी घर का स्वामी नहीं होता था। इसके विपरीत, उसे स्वामी द्वारा घर का प्रबन्धन करने के कार्य पर रखा जाता था। भण्डारी सम्पत्ति का प्रबन्धन करता था और वह घराने के संसाधनों को उपयोग करने के लिए उत्तरदायी था। यह सुनिश्चित करना उसका  कार्य था कि घर में पर्याप्त भोजन है, धन का संचालन सही रीति से हो रहा है, आंगन का ध्यान रखा जा रहा है, और घर की स्थिति ठीक है।

मानव जाति का भण्डारीपन अदन की वाटिका में आरम्भ हुआ, जहाँ परमेश्वर ने आदम और हव्वा को सम्पूर्ण सृष्टि पर पूरा अधिकार दिया। आदम और हव्वा को जगत पर स्वामित्व  नहीं दिया गया था; वरन्, उन्हें उसका प्रबन्धन  करने का उत्तरदायित्व दिया गया था। उनको यह सुनिश्चित करना था कि वाटिका की जुताई और किसानी हो, जिससे कि उसका दुरुपयोग या शोषण न हो, और कि परमेश्वर द्वारा प्रदान किए गए संसाधनों की हानि न हो। इसलिए जब हम बाइबलीय भण्डारीपन की चर्चा करते हैं, तो मूल रीति से हम उन संसाधनों के प्रबन्धन और उपयोग के लिए अपने उत्तरदायित्व की बात कर रहे होते हैं, जो हमारे नहीं हैं। अन्ततः और परम रीति से तो वे सब परमेश्वर के हैं।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

आर.सी. स्प्रोल
आर.सी. स्प्रोल
डॉ. आर.सी. स्प्रोल लिग्नेएर मिनिस्ट्रीज़ के संस्थापक, सैनफर्ड फ्लॉरिडा में सेंट ऐन्ड्रूज़ चैपल के पहले प्रचार और शिक्षण के सेवक, तथा रेफर्मेशन बाइबल कॉलेज के पहले कुलाधिपति थे। वह सौ से अधिक पुस्तकों के लेखक थे, जिसमें द होलीनेस ऑफ गॉड भी सम्मिलित है।