हम सभी चाहते हैं कि हमारे जीवन का अर्थ हो। हम जानना चाहते हैं कि हम जीवन में एक ऐसे मार्ग का अनुसरण कर रहे हैं जो परमेश्वर की इच्छा के अनुसार है—और डर भी सकते हैं कि यदि हम परमेश्वर की इच्छा से बाहर हैं तो बुरी घटनाएं हमारे साथ घटेंगी। परमेश्वर की इच्छा में रहने की इच्छा रखना त्रुटिपूर्ण नहीं है; स्वयं यीशु ने भी प्रार्थना की, “मेरी इच्छा नहीं, पर तेरी इच्छा पूरी हो” (लूका 22:42)।