31 अगस्त 2021
ये बहुमूल्य शब्द यीशु की दूसरी धन्य वाणी—“धन्य हैं वे जो शोक करते हैं, क्योंकि वे सान्त्वना पाएंगे” (मत्ती 5:4) —यशायाह 61 के सन्दर्भ में कहे गए हैं। नबी एक ऐसे युग की सोच रखता है जहाँ परमेश्वर का कष्ट भोगी सेवक परमेश्वर के बंधुवाई में पड़े लोगों के लिए सान्त्वना ले कर के आएगा: “प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है, क्योंकि यहोवा ने मेरा अभिषेक किया है . . . सब शोकितों को शान्ति दूँ” (यशायाह 61:1-2; 40:1 भी देखें)।