3 दिसम्बर 2024
“यहोवा का भय मानना बुद्धि का प्रारम्भ है” (नीतिवचन 1:7; 9:10; भजन संहिता 111:10)। छिपने या लज्जा के भाव के स्थान पर, इस प्रकार का भय विस्मय के भाव का वर्णन करता है। विस्मय स्वीकार करता है कि परमेश्वर ही सृष्टिकर्ता, सब कुछ का केन्द्र और सभी सत्य का अटल आधार है।