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सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का पन्द्रहवां अध्याय है: शिष्यता

कुछ वर्ष पहले, मेरी पत्नी नवजात बेटी, और मैं, फिलाडेल्फ़िया में रह रहे थे, जहाँ मैं वेस्टमिन्स्टर थियोलॉजिकल सेमिनरी में पी.एच.डी. का एक नया छात्र था। एक स्थानीय कलीसिया में आराधना करने के बाद, हमें उस कलीसिया के कुछ अगुवों के साथ स्नेहपूर्ण संगति करने का अवसर मिला। जब हम बात कर रहे थे, तो उनमें से वरिष्ठ जन ने मेरी पुस्तकों पर टिप्पणी की (मेरी पत्नी को उन दिनों स्थान की कमी के कारण मेरी पुस्तकों से सजावट करना पड़ता था)। वे विशेष कर प्रसन्न हुए कलेक्टड राइटिंग्ज़ ऑफ जॉन मुर्रे को मेरी अलमारियों में देखकर। उन्होंने पूछा “क्या आपने उन्हें पढ़ा है?” यह अच्छी बात थी कि मैं हाँ में उत्तर दे पाया। उसने पूछा, “ क्या आपको यह पढ़ा स्मरण है कि श्री मुर्रे ने हमारी कलीसिया के एक युवा सण्डे स्कूल की कक्षा में शिक्षा दी थी?” मुझे स्मरण था। फिर उन्होंने मुस्कुराते हुए उत्तर दिया “वैसे, मैं वह छात्र हूँ जिसका उल्लेख किया गया है। मैं बॉबी हूँ!” तब इस उम्रदाद सन्त ने हमें बताना आरम्भ किया कि कैसे प्राध्यापक मुर्रे ने उन्हें रोमियों की पुस्तक सिखाइ (यह वह समय था जब वे अपनी प्रसिद्ध टीका लिख रहे थे)। “मैं इसे कभी नहीं भूल पाऊंगा, एक किशोर के रूप में, मैंने प्राध्यापक मुर्रे से परमेश्वर के वचन का अध्ययन करना सीखा,” बॉबी ने कहा। फिर उसने जोड़ा, “मैं अभी भी सिद्धांत से प्रेम करता हूँ।”
प्रेरित पौलुस ने अपने आत्मिक पुत्र तीमुथियुस को परमेश्वर के वचन के अध्ययन में परिश्रम करने के लिए उत्साहित किया (2 तीमुथियुस 2:15)। ख्रीष्टीय को परमेश्वर के वचन का लापरवाह जिज्ञासु नहीं होना चाहिए। नहीं, पौलुस उस व्यक्ति का वर्णन करता है जो “एक कार्य करने वाला” के समान परिश्रमी है। एक श्रमिक एक कार्य को आरम्भ करता है और जब तक उसे पूरा न कर ले उसमें लगा रहता है। मैंने हाल ही में उसके नियोक्ता द्वारा एक कर्मचारी की प्रशंसा पढ़ी: “वह उत्तम परिश्रम करती है और कार्य-समाप्ति की मानसिकता रखती।” पौलुस तीमुथियुस को यही करने के लिए कहता है जब “सत्य के वचन” की बात होती है। हम एक उपन्यास की बात नहीं कर रहे हैं, यहां तक कि विलियम फॉल्कनर के उपन्यास की भी नहीं। हम “सत्य के वचन” के बारे में बात कर रहे हैं, जो कि असीम, अनन्त, अपरिवर्तनीय त्रिएक परमेश्वर का वचन है।
कुछ ऐसे लोग हो सकते हैं जो सोचते हैं कि यह प्रोत्साहन तीमुथियुस के लिए था और इसलिए, यह केवल सेवकों के लिए उपयुक्त है। निश्चित रूप से, वे कहते हैं, परमेश्वर सभी ख्रीष्टियों से परिश्रमी होने की आशा नहीं करता है जब बात परमेश्वर के वचन की आती है। वैसे, स्मरण रखें कि किसने तीमुथियुस के आरम्भिक जीवन में उसको सिद्धांत सिखाया था। स्मरण रखें कि पौलुस से पहले उसको सिखाने वाले कौन थे। नानी लोइस और माता यूनीके का नाम लिया गया, यहाँ तक कि उनकी प्रशंसा की गई (2 तीमुथियुस 1:5), “पवित्रशास्त्र” को जानने और तीमुथियुस को सिखाने के लिए (3:15) ।
जब आप बाइबल खोलते हैं और पढ़ना आरम्भ करते हैं, तो क्या आपके पास “कार्य पूरा करने वाली मानसिकता है”? “ओह,” किन्तु आप कहते हैं, “बाइबल की गति धीमी है; यह कभी-कभी धूलिमय हो सकती है।” प्राध्यापक मुर्रे के शब्दों को स्मरण रखें—“धूल का अपना स्थान है, विशेष रूप से जब यह सोने की धूल हो।” बॉबी ने सोने की धूल के लिए अपना उत्साह कभी नहीं खोया था। आप के साथ कैसी स्थिति है?
