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सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का सातवां अध्याय है: भय

मरने की प्रक्रिया और परिणाम के विषय में ख्रीष्टीय लोग सबसे अधिक किस डरते हैं? यहाँ छह सामान्य भय और प्रत्येक के लिए बहुत ही संक्षिप्त बाइबलीय उपाय प्रस्तुत हैं।
1. एक पीड़ायुक्त मृत्यु से मरने का भय (मृत्यु की प्रकिया)
“मैं मरने से इतना अधिक भयभीत नहीं हूँ जितना मैं यात्रा के अन्तिम पड़ाव से हूँ।”
परमेश्वर प्रतिज्ञा करता है कि वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा या त्यागेगा, वह हमें अपने अनुग्रह के द्वारा हमारी क्षमता से अधिक परीक्षा में न लाएगा, और वह हमें वह अनुग्रह प्रदान करेगा जिसकी आवश्यकता हमें है उन परीक्षाओं और प्रलोभनों का सामना करने के लिए जिन्हें वह हमारे पास आने देता है। इसका अर्थ यह नहीं है कि मृत्यु चुनौतीपूर्ण या कष्टमय नहीं है, परन्तु परमेश्वर 1 कुरिन्थियों में प्रतिज्ञा करता है कि ख्रीष्टीय होने के रूप में, हमारे प्रलोभन (और उनसे जुड़ी हुई परीक्षाएं) विस्तार और अवधि दोनों में परमेश्वर के द्वारा सीमित होंगे।
2. संसारिक सुखों का आनन्द न लेने का भय।
“मुझे भय है कि स्वर्ग एक प्रकार से उबाऊ होगा। मेरा अर्थ है, बादलों पर बैठे रहना और परमेश्वर की आराधना करना सुखद तो होगा ही, परन्तु यदि यही सब है, तो मैं सोचता हूं कि सब कुछ पुराने जैसा हो जाएगा।”
क्योंकि हम आगमन के समय स्वर्ग के लिए उपयुक्त होंगे, भले ही हम सब स्वर्ग में केवल परमेश्वर की आराधना ही करेंगे, स्वर्ग सुखद होगा। परन्तु हम इस से अधिक कर रहे होंगे। बाइबल बताती है कि हम गाएंगे, खाएंगे, कार्य करेंगे, राज्य करेंगे, न्याय करेंगे, तथा सीखेंगे। इसके अतिरिक्त, नई पृथ्वी वर्तमान पृथ्वी के सदृश होगी जिस प्रकार हमारे नए महिमामय देह पृथ्वी पर के देह के समान होंगे। क्या आदम और हव्वा ने वाटिका में जीवन का आनन्द लिया? कल्पना कीजिए कि अदन की वाटिका का और भी उत्तम रूप । हमारी खुशी और सुख के लिए जो भी आवश्यक है वह स्वर्ग में हमारी प्रतीक्षा कर रहा होगा।
3. अनन्तकाल के लिए जीने का भय
कुछ लोगों को संवृतिभीत (फंस जाने का भय) बोध होने लगता है जब वे स्वर्ग के विषय में अधिक सोच लेते हैं। “मैं जानता हूं यह मेरे सबसे अद्भुत सपनों से बड़ कर उत्तम होगा, परन्तु मेरा एक भाग ऐसा है जो अनन्तकाल के समय के जाल में फंसना नहीं चाहता है—अनन्तकाल के जीने के विषय में सोचना डरावना लगता है।”
सीमित व्यक्ति के लिए पूर्ण रीति से असीमित बातों को समझना असम्भव है। वास्तव में “अन्तहीनता” को समझने में असमर्थ होना डरावना हो सकता है। परन्तु स्वर्ग अकल्पनीय खुशी का स्थान है। स्वर्ग में कोई संवृतिभीत बोध नहीं होगा क्योंकि संवृतिभीत बोध एक भय है। यह विचार कि परमेश्वर अपने बच्चों को आत्म उन्मुख भय से सम्बन्धित दुख के एक संकेत से भी परेशान होने की अनुमति देगा स्वर्ग के विषय में बाइबल की सब बातों के विपरीत है। इस प्रकार का कोई भी भय स्वर्ग में होगा ही नहीं, क्योंकि जब ख्रीष्ट प्रकट होगा, हम उसके समान हो जाएंगे—पापरहित (1 यूहन्ना 3:2)।
4. भूतकाल के सभी पापों का सामना करने का भय।
“देखिए, मैं जानता हूं कि मैं क्षमा कर दिया गया हूं और मेरे पाप मेरे विरुद्ध नहीं गिने जाएंगे, परन्तु सच में, अपने पापों का लेखा देने का विचार एक प्रकार से उस सभी अच्छी खुशी को दूर ले जाती है जो मैं जानता हूँ न्याय के बाद आता है।”
वास्तव में यह एक अच्छा भय हो सकता है यदि यह हमें पवित्रता में बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करता है। “प्रत्येक जो उस ऐसी आशा रखता है, वह अपने आप को वैसा ही पवित्र करता है जैसा कि वह पवित्र है” (1 यूहन्ना 3:3)। दूसरी ओर, पवित्र-पवित्र-पवित्र परमेश्वर की उपस्थिति न केवल पापमय कार्यों को परन्तु अपने विचारों और उद्देश्यों को एक-एक करके देखने के विषय में सोचना एक भयंकर बात है। सम्भवतः इस भय को उठाने (या कम से कम शान्ति देने) का सबसे अच्छी युक्ति है तुरन्त परमेश्वर को इस तथ्य के लिए धन्यवाद देना कि ख्रीष्ट पर विश्वास करने वाले लोग होने के कारण हमें उस अनन्तकाल के क्रोध का सामना नहीं करना है और कि वह हमारे आँखों से सब आंसू पोंछ डालेगा। (अन्तिम न्याय के समय में भी, हमारे पास यह आश्वासन होगा कि ख्रीष्ट के कारण हम दोषी नहीं ठहराए जाएंगे।)
5. हमारे जाने के बाद प्रियजनों का ठीक न होने का भय
“मेरा परिवार बहुत सारी बातों के लिए मुझ पर बहुत निर्भर है। वे भौतिक प्रावधान के लिए, बुद्धि और दिशा के लिए, भावनात्मक समर्थन के लिए, दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मुझ पर निर्भर हैं।”
यह महत्वपूर्ण है कि हम इसके विषय में पहले से ही सोचें, और जितना अच्छा हम कर सकते हैं इसके लिए तैयारी करें। अपने प्रियजनों को उनके आत्मिक और अस्थाई आवश्यकताओं के लिए ख्रीष्ट की ओर देखना सिखाना भी ख्रीष्टीय होने के कारण हमारा उत्तरदायित्व है। एक बार जब हमने ऐसा कर लिया (और यदि हम नहीं भी करते हैं), तो हम अपने प्रियजनों को परमेश्वर के हाथ में समर्पित करके और यह प्रार्थना करके कि वह ही करेगा जो उनके लिए और उसकी महिमा के लिए सबसे उत्तम है, अपनी चिन्ता को दूर कर सकते हैं।
6. प्रतिफल के लिए अयोग्य होने का भय
“मैंने कई वर्षों से कठिन परिश्रम किया है कि विचार कि मैंने जो कुछ भी कार्य किया है, उस में से सभी को या कि कुछ को खो दूंगा डरावना है।”
पौलुस अयोग्य होने की बात करता है (दूसरों को प्रचार करने के बाद; 1 कुरिन्थियों 9:27)। वह तीमुथियुस से कहता है कि यदि वह विधि के अनुसार नहीं खेलता है, हो सकता है कि उसे उसके सम्पूर्ण परिश्रम का प्रतिफल न मिले (2 तीमुथियुस 2:5)। यूहन्ना पूरा प्रतिफल प्राप्त करने के प्रयास के विषय में बात करता है, जिसका अर्थ है कि कुछ लोग अपनी कमाई हुई बातों में से कुछ को खो सकते हैं (2 यूहन्ना 8)।
मैं निश्चित नहीं हूँ कि मैं इस भय को दूर करना चाहता हूँ। सम्भवतः मैं प्रतिदिन इसके विषय में सोचता हूँ। परन्तु यदि आप बिना किसी दुराचार के ज्ञान के स्वयं को इस चिन्ता से ग्रस्त पाते हैं, तो सम्भावना है कि स्वयं को अनावश्यक रूप से स्वयं को चिन्तित कर रहे हैं और आप को सीखना चाहिए कि बाइबल के अनुसार अपनी चिन्ता को कैसे सम्भालें। मेरा अनुमान यह है कि जैसा कि आप सामान्य रूप से चिन्ता का समाधान करना सीखते हैं, तो यह विशेष चिन्ता (और ऊपर उल्लिखित अन्य सभी भय) कम होंगी।
