वास्तव में अंगीकारवादी - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
यूहन्ना में प्रेम
8 सितम्बर 2022
हम अंगीकारवादी क्यों हैं?
15 सितम्बर 2022
यूहन्ना में प्रेम
8 सितम्बर 2022
हम अंगीकारवादी क्यों हैं?
15 सितम्बर 2022

वास्तव में अंगीकारवादी

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का पहला अध्याय है: अंगीकार करने वाली कलीसिया

लगभग 10 वर्ष पूर्व, मुझे एक लघु पुस्तिका लिखने को कहा गया जिसका नाम था व्हाए डू वी हैव क्रीड्स (हमारे पास विश्वास-वचन क्यों हैं)? उस प्रश्न का उत्तर देने में, मेरा उद्देश्य मसीहियों की सहायता करना था, विशेषकर ऐसे मसीहियों की जो अंगीकारवादी (confessional) पृष्ठभूमियों से नहीं हैं, जिससे कि वे विश्वास वचन और अंगीकारों के महत्व और आवश्यकता को समझ सकें। मैं स्वयं एक अंगीकारवादीपृष्ठभूमि से नहीं आता हूँ, और जब तक मैंने 1997 में वेस्टमिन्स्टर स्तरों (Westminster Standards) को नहीं पढ़ा तब तक मैं यह नहीं समझा था कि विश्वास वचन और अंगीकार कितने सहायक थे, जिसकी मैं आज तक पूरी रीति से पुष्टि करता हूँ। टेबलटॉक  के इस अंक में, हमारी आशा है कि कलीसिया को उसकी ऐतिहासिक विश्वास वचन और अंगीकार पर पुनः आने की बुलाहट दें और विश्वासयोग्यता से उनकी पुष्टि करें—केवल दिखावा से नहीं, जो कि कलीसिया में आज के समय में तीव्र से सामान्य होता जा रहा है।मैं यहाँ दस बिन्दु का अत्यन्त साधारण विश्वास रक्षक प्रदान करता हूँ—जो कि व्हाए डू वी हैव क्रीड्स?  की सामग्री पर आधारित है—कलीसिया के विश्वास वचन और अंगीकार के निर्माण, उपयोगिता, और उद्देश्य के लिए। विश्वास वचन और अंगीकार का उद्देश्य है (1) परमेश्वर की महिमा करना  और अपने वचन में जो उसने प्रकट किया है उसके अनुसार अपने सिद्धान्त पर विश्वास करना, उसका अंगीकार करना, और उसकी घोषणा करके सदैव उसका आनन्द लेना; (2) एक सच्चे सर्वशक्तिमान परमेश्वर की पुष्टि करना  जिसने हम पर स्वयं को प्रकट किया और जिसके गुण, नियम, और छुटकारे का कार्य हमें उसकी ओर हमारे एकमात्र प्रभु के रूप में इंगित करते हैं जिससे कि हम अपने पूरे प्राणों से उससे प्रेम कर सकें; (3) कलीसिया के बाहर झूठे शिक्षकों और विधर्मियों के विरुद्ध पवित्रशास्त्र के अपरिवर्तनीय, ठोस सिद्धान्त की और कलीसिया के भीतर पवित्रशास्त्र के झूठे मत से रक्षा करना ; (4) सैद्धान्तिक त्रुटि से सत्य को समझना  और अर्ध-सत्य से सत्य को परखना; (5) एक पवित्र, विश्वव्यापी, और प्रेरिताई कलीसिया के रूप में ख्रीष्ट की वापसी तक युगों तक दृढ़ बने रहना  जो  कि परमेश्वर के शुद्ध वचन पर विश्वास करती, उसका अंगीकार करती, और उसकी घोषणा करती है और जो कलीसियाई अनुशासन के अविरुद्ध अभ्यास समेत बपतिस्मा और प्रभु भोज की कलीसियाई विधियों का सही रूप में प्रशासित करती है; (6) विश्वास और जीवन के लिए हमारे एकमात्र अचूक अधिकार के रूप में परमेश्वर के प्रेरित और त्रुटिहीन वचन के जीवन-व्यापक सिद्धान्त को थामे रखना ; (7) मसीहियों के लिए बाइबल से अतिरिक्त नियमों, परम्पराओं, और अन्धविश्वास से स्वतन्त्रता बनाए रखना  जो कि लोगों को विवेक को बान्धती है; (8) कलीसियाई सैद्धान्तिक स्तर के अनुसार कलीसिया के कार्यभार सम्भालने वालों के रूप में जिन पुरुषों का चुनाव हुआ है उन्हें स्थायी करना  और उन पुरुषों को तैयार करना, जाँचना, और सिद्ध करना; (9) पवित्रता को सुरक्षित रखना  जिसके फलस्वरूप कलीसिया की शान्ति और एकता ख्रीष्ट के बाहरी  साक्षी के रूप में संसार को दिखाई दे; और (10) चेले बनाकर, उन्हें पिता, पुत्र, और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा देकर और हमारे प्रभु यीशु ख्रीष्ट द्वारा आज्ञा दी गयी सभी बातों को मानना सिखाने के द्वारा यीशु ख्रीष्ट के एकमात्र सच्चे सुसमाचार की हमारी पुष्टि और घोषणा से महान आदेश को पूरा करना।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया

बर्क पार्सन्स
बर्क पार्सन्स
डॉ. बर्क पार्सन्स टेबलटॉक पत्रिका के सम्पादक हैं और सैनफोर्ड फ्ला. में सेंट ऐंड्रूज़ चैपल के वरिष्ठ पास्टर के रूप में सेवा करते हैं। वे अश्योर्ड बाई गॉड : लिविंग इन द फुलनेस ऑफ गॉड्स ग्रेस के सम्पादक हैं। वे ट्विटर पर हैं @BurkParsons.