याजकों का राज्य - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
स्वयं को पवित्र करना क्योंकि ख्रीष्ट पवित्र है
22 मार्च 2022
वह पर्याप्त है
29 मार्च 2022
स्वयं को पवित्र करना क्योंकि ख्रीष्ट पवित्र है
22 मार्च 2022
वह पर्याप्त है
29 मार्च 2022

याजकों का राज्य

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का सातवां अध्याय है: यीशु की महायाजकीय प्रार्थना

जब मैं कॉलेज में था, मैंने एक सत्र के लिए विदेश में पढ़ाई की, जिसने मुझे कई देशों में यात्रा करने का अवसर दिया। थोड़े दिन पहले, मैं अपने पुराने पासपोर्ट को देख रहा था, और जब मैं स्टैम्प और वीज़ा को देखने के लिए पृष्ठों को पलट रहा था, मुझे आभास हुआ कि मैंने मात्र एक ही देश गया था जो कि राज्य (kingdom) था। संसार भर में अभी भी अनगिनत राज्य हैं, परन्तु यह समझना अभी भी कठिन हो सकता है कि इसका क्या अर्थ हुआ कि परमेश्वर ने अपनी कलीसिया को राज्य होने के लिए बनाया है।

उसी प्रकार, याजकों की स्थिति उन लोगों को पृथक या असम्बन्धी प्रतीत हो सकती है जिनकी कलीसियाओं में याजक नहीं हैं। युगों से याजकों के आस-पास की असफलताएँ, शोषण, और घोटालों ने भी कार्यभार के महत्व और उद्देश्यों को जिसके लिए परमेश्वर ने कलीसिया को याजकों के रूप में सम्बोधित किया है, उसको समझना चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

निम्नलिखित में, मैं संक्षेप में इन खण्डों पर विचार करना चाहूँगा: निर्गमन 19:6; 1 पतरस 2:5-9; और प्रकाशितवाक्य 1:6; 5:9। मैं आशा करता हूँ कि इससे कलीसिया को याजकों के राज्य के रूप में अपनी पहचान और उद्देश्य को बेहतर रूप से समझने में सहायता मिलेगी।

निर्गमन 19:6 पर विचार करने से पूर्व, यह स्मरण रखें कि मूसा का पालन-पोषण मिस्र के साम्राज्य में फिरौन के राजसी परिवार के हिस्से के रूप में हुआ था। उसने सम्भवतः मिस्त्र के देवताओं की सेवा करने वाले याजकों के एक विशिष्ट वर्ग को भी देखा था। राज्य और याजक मूसा के जीवन का परिवेश थे। इसलिए, वह उन लोगों की पहचान और उत्तरदायित्वों को समझता था जिन्हें राजसी और याजकीय पद विरासत में मिले थे। निर्गमन 19:6 में, जब परमेश्वर ने घोषणा की कि इस्राएल याजकों का राज्य होगा, इन परिचित अवधारणाओं को इस्राएल के पूरे राष्ट्र पर लागू किया गया था। इस्राएलियों को मिस्र के दासत्व से छुड़ाया गया और परमेश्वर की सेवा और आराधना करने के लिए याजकों का राज्य होने के लिए तैयार किया गया।

याजकों के राज्य के रूप में इस्राएल की पहचान कलीसिया में एक महान परिपूर्णता को पाती है। इस्राएल और कलीसिया के मध्य स्पष्ट समानताएँ हैं। इस्राएल को फसह के मेमने के लहू के द्वारा छुड़ाया गया था। कलीसिया को अन्तिम फसह के मेमने, यीशु के लहू द्वारा छुड़ाया गया है। इस्राएल याजकों का राज्य था, और अब कलीसिया याजकों का राज्य है। परन्तु, एक महत्वपूर्ण अन्तर है। इस्राएल केवल एक राष्ट्र था, लोगों का एक समूह, परन्तु कलीसिया समस्त जाति, और कुल (प्रकाशितवाक्य 7:9) के लोगों से बनी है। अगला, ध्यान दें कि कैसे 1 पतरस 2 और प्रकाशितवाक्य 5 कलीसिया के लिए याजकों के राज्य होने के अर्थ को बताते हैं।

1 पतरस 2:5 में, कलीसिया को “पुरोहितों का पवित्र समाज” के रूप में वर्णित किया है जिसका उद्देश्य  “यीशु ख्रीष्ट के द्वारा परमेश्वर को ग्रहणयोग्य आत्मिक बलिदान चढ़ाना है।“ कुछ पदों के पश्चात्, पतरस पुनः इस विचार को लेकर, कहता है, “परन्तु तुम एक चुना हुआ वंश, राजकीय याजकों का समाज, एक पवित्र प्रजा, और परमेश्वर की निज सम्पत्ति हो, जिस से तुम उसके महान् गुणों को प्रकट करो जिसने तुम्हें अन्धकार से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है” (पद 9)। पतरस निर्गमन 19, यशायाह 43, और अन्य पुराने नियम के खण्डों की भाषा का उपयोग करता है और इसे यहूदी और अन्यजाति मसीहियों पर लागू करता है।

प्रकाशितवाक्य 1:6 और 5:9-10 में, यूहन्ना कुछ उसी प्रकार की कल्पना का उपयोग करता है जिसे हमने 1 पतरस 2 में देखा था। प्रकाशितवाक्य 1:6 में, सातों कलीसियाओं का अभिवादन उन लोगों के रूप में किया जाता है जिन्हें यीशु ने “एक राज्य, परमेश्वर के याजक” बनने के लिए अपने लहू से छुड़ाया था। इस पर निर्माण करते हुए, अध्याय 5 में, यूहन्ना एक ऐसे मेमने को देखता है जिसका वध हुआ हो और स्वर्गीय सभा एक नया गीत गा रही हो:

“तू उस पुस्तक को लेने और उसकी मुहरें खोलने के योग्य है, क्योंकि तू ने वध होकर अपने लहू से प्रत्येक कुल, भाषा, लोग और जाति में से परमेश्वर के लिए लोगों को मोल लिया है और उन्हें हमारे परमेश्वर के लिए एक राज्य और याजक बनाया और वे पृथ्वी पर राज्य करेंगे।“ (पद 9-10)

1 पतरस और प्रकाशितवाक्य के ये खण्ड पुराने नियम के एस्राएल के शीर्षकों को एक जातीय रूप से विविध नए नियम की कलीसिया पर लागू करते हैं। यह विस्मयकारी होता है जब हम यह विचार करते हैं कि हमें एक राज्य और याजक होने के लिए बंधुवाई से छुड़ाया गया है। परन्तु यदि हम अपने हृदयों को उत्साहित किए बिना या कैसे हमें परमेश्वर के लिए जीने के लिए बुलाया गया है इस पर प्रभाव डाले बिना इन विचारों को समेट दें, तो हम बिन्दु से चूक जाते हैं। यह हमारे लिए लागूकरण की कुछ पंक्तियाँ लाता है।

पहला, हम याजकों का राज्य हैं क्योंकि यीशु महान याजक-राजा (इब्रानियों 5-7), सिंह (राजा), और मेमना (याजक; प्रकाशितवाक्य 5) है। उसने राजा के रूप में विजय प्राप्त की है क्योंकि उसने पाप के लिए अन्तिम बलिदान के रूप में हमें छुड़ाने के लिए स्वयं को दे दिया था। अभी भी यीशु हम पर राज्य करता है और हमारे लिए मध्यस्थता करता है।

दूसरा, परमेश्वर के छुड़ाए हुए लोगों को संसार में अन्य सभी लोगों से पृथक एक विशिष्ट आत्मिक राज्य के रूप में रखा गया है। हम उसके ऊँचे और महिमावान राज्य के अधीन रहते हैं। इसके अतिरिक्त, क्योंकि हम ख्रीष्ट में सहभागी हैं, हम उसके साथ राज्य भी करेंगे (प्रकाशितवाक्य 5:10, 22:5)।

तीसरा, कलीसिया याजकों का राज्य है। जो परमेश्वर के निकट आते हैं उनके लिए पवित्रता आवश्यक है। हमें पवित्र होने के लिए बुलाया गया है क्योंकि परमेश्वर पवित्र है (1 पतरस 1:15)। हमें ऐसा जीवन जीना चाहिए जो परमेश्वर के लिए पवित्र हो, क्योंकि हम अपने शरीरों को जीवित बलिदान के रूप में परमेश्वर को समर्पित करते हैं (रोमियों 12:1)। पुरोहितों के पवित्र समाज के रूप में, कलीसिया लहूयुक्त बलिदान को अर्पित नहीं करती है, परन्तु सामूहिक रूप से आत्मिक बलिदानों को अर्पित करती है और परमेश्वर के नाम की उत्कृष्टता की घोषणा करती है। यह स्तुति-प्रशंसा, आराधना, और साक्षी में व्यक्त होता है। “स्तुतिरूपी बलिदान परमेश्वर को सर्वदा चढ़ाया करें, अर्थात् उन होठों का फल जो उसके नाम का अंगीकार करते हैं” (इब्रानियों 13:15)।  

हमें मेमने के लहू के द्वारा छुड़ाया गया है। याजकों का राज्य होना हमारे लिए बड़े सौभाग्य की बात है। इसलिए, आइए, आनन्द और धन्यवाद के साथ अपने आप को उसकी प्रशंसाओं की घोषणा के कार्य में लगाएँ जिसने हमें अन्धकार से अपनी अद्भुत ज्योति में बुलाया है।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
क्वेंटिन बी. फाल्केना
क्वेंटिन बी. फाल्केना
डॉ. क्वेंटिन बी. फाल्केना मेडफर्ड, ओरिगन में कॉर्नरस्टोन क्रिस्चियन चर्च के पास्टर हैं।