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कोई भी व्यक्ति मसीही क्यों होना चाहेगा? आरम्भिक कलीसिया के मसीही अधिकारहीन, घृणित, और सताए हुए थे। यही बात वर्तमान के कई विश्वासियों के लिए सत्य है: अधिकाँश देशों में, मसीही होना कम से कम सामाजिक और आर्थिक हानि की बात है। परन्तु भले ही इससे जितनी भी हानि हो, एक मसीही होना न केवल चाहने योग्य, वरन् साथ ही साथ अद्भुत और महिमामय बात भी है। प्रेरित यूहन्ना मसीही होने के सौभाग्य को सारांशित करता है जब वह कहता है, “वास्तव में हमारी यह सहभागिता पिता के और उसके पुत्र यीशु ख्रीष्ट के साथ है” (1 यूहन्ना 1:3)। मसीही जन की सहभागिता परमेश्वर के साथ है।
पाप के कारण, अपने आप किसी भी मनुष्य की सहभागिता परमेश्वर के साथ नहीं है। परमेश्वर ज्योति है; हम अन्धकार में जन्म लेते हैं। ज्योति का अन्धकार से क्या सम्बन्ध? परमेश्वर जीवन है; हम मृतक हैं। जीवन का मृत्यु से क्या सम्बन्ध है? परमेश्वर प्रेम है; हम शत्रुता हैं। परमेश्वर और मनुष्य में क्या मित्रता हो सकती है? अपनी स्वाभाविक स्थिति में, हम आशाहीन और संसार में परमेश्वर रहित हैं (इफिसियों 2:12)। अपने भीतर की अज्ञानता के द्वारा हम “परमेश्वर के जीवन से अलग” हैं (4:18)। अपनी पतित स्थिति में, हम परमेश्वर के साथ मेल-मिलाप करने में न केवल अक्षम हैं—हम अनिच्छुक भी हैं।
परन्तु परमेश्वर (2:4) ने अपने अनुग्रह में होकर उसके साथ जीवन के लिए मार्ग को पुनः खोल दिया है—यीशु ख्रीष्ट के द्वारा। परमेश्वर ने स्वयं पहल करके हमें ख्रीष्ट में अनुग्रह, दया, और प्रेम दिखाने के लिए कार्य किया। पुत्र, जो पिता के प्रेम में दिया गया था, पुनःस्थापना करने वाला तथा मेल-मिलाप कराने वाला है। उसके द्वारा परमेश्वर की पवित्र उपस्थिति में पापियों का स्वागत किया जाता है (इफिसियों 3:12; इब्रानियों 10:19-20)।
जब आत्मा ख्रीष्ट के द्वारा हमें परमेश्वर के पास लाता है, हम त्रिएक परमेश्वर के प्रेम की संगति में प्रवेश करते हैं। हमारा परिवर्तन किया जाता है जिससे कि हम परमेश्वर से प्रेम करें, उसके द्वारा स्वयं के दिए जाने में मग्न हों, और स्वयं को उसके प्रति देने में मग्न हों। यह एक शुद्ध, पवित्र और भली संगति है। यह यीशु के लहू द्वारा परमेश्वर और उसके लोगों के मध्य शान्ति की संगति है। किसी भी मसीही के साथ चाहे कुछ भी हो जाए, यह पिता की इच्छा के अन्तर्गत होता है; मसीही जन इस जीवन के लिए और अनन्त काल के लिए सुरक्षित है। परमेश्वर के प्रेम से कुछ भी हमें अलग नहीं कर सकता है (रोमियों 8:38-39)।
परमेश्वर के साथ संगति का अर्थ है कि मसीही के पास परमेश्वर को जानने और परमेश्वर द्वारा ज्ञात किए जाने का सौभाग्य है। मसीही के पास प्रार्थना में परमेश्वर से बात करने का और वचन और आत्मा के द्वारा अपने सृष्टिकर्ता और उद्धारकर्ता को सुनने का सौभाग्य है। मसीही के पास उसके साथ और उसके भीतर परमेश्वर की उपस्थिति का और इस बात को जानने के आनन्द का सौभाग्य है कि एक दिन उसको परमेश्वर की उपस्थिति की पूर्ण, तेजोमय महिमा में लाया जाएगा। वह देहधारी परमेश्वर को देखेगा और उसके साथ संगति करेगा: अर्थात् यीशु ख्रीष्ट के साथ, जो कि स्वर्गारोहित उद्धारकर्ता और महिमा का राजा है।
मसीही के पास यह सौभाग्य है कि वह उस परमेश्वर के द्वारा पुनःस्थापित किया जाता है जिसने उसे और सब कुछ को बनाया है। मसीही के पास अब और सर्वदा के लिए परमेश्वर की सृष्टि का आनन्द उठाने का सौभाग्य है। मसीही के पास इस जीवन में उस पिता के द्वारा सान्त्वना और चरवाही प्राप्त करने का सौभाग्य है, जो सब कुछ को एक मसीही की भलाई के लिए उत्पन्न करता है। मसीही के पास यह जानने का महान् आनन्द है कि यहाँ की भली वस्तुएँ भी आने वाली बातों का आरम्भ मात्र हैं। वे परमेश्वर की ओर से उसकी सन्तानों के लिए उपहार हैं। क्या मसीही होने से उत्तम कुछ और बात हो सकती है?
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।