धर्मसुधार कैसे फैला?
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5 फ़रवरी 2021मार्टिन लूथर की मृत्यु और विरासत
मर्टिन लूथर की मृत्यु हुई 18 फरवरी, 1546 को। मृत्यु के एक महीने पहले, उसने अपने मित्र को अपनी आयु की दुर्बलताओं के बारे में कुड़कुड़ाते हुए लिखा, “मैं, बूढ़ा, थका, आलसी, घिसा-पिटा, ठंडा, शितल, और इसके अतिरिक्त, एक आँख का मनुष्य हूँ”। फिर वह गहरी साँस लेता है, “मेरे अधमरी स्थिति में, मैं शान्ति से छोड़ दिया जा सकता हूँ।”
फिर भी, लूथर को शान्ति से नहीं छोड़ा जाने वाला था। उसके गृह नगर आइस्लेबेन के सामने एक संकट था। एक विवाद से जो घरेलू व्यवस्था और यहां तक कलीसियाई व्यवस्था को खतरा था। यद्यपि वह थका हुआ था, लूथर ने अपने गृह नगर जाने का निर्णय लिया कि वह उस विवाद को सुलझाए। वह विटनबर्ग से निकला अपने तीनों पुत्रों और कुछ सेवकों के साथ। वे हाले तक पहुंचे। बर्फ और तूफानों ने नदियों को पार करने की चुनौती बना दिया। लूथर तैरते हुए बर्फ के बड़े टुकड़ों को अपने ऐनाबैपटिस्ट विरोधियों और रोमन कैथलिक बिशप और पोप के नाम देता रहा। वह भले ही अधमरा हो गया हो किन्तु हास्य भाव अभी भी था।
हाले लूथर के बहुत पुराने सहयोगी, डाक्टर जस्टस जोनास का घर था। 1519 में लीपज़िग में वाद-विवदा से पहले, जोनस लूथर के सबसे निकटतम शिष्यों में से था। जोनस उसके साथ डायट ऑफ वर्म्स में खड़ा रहा। उसने धर्मसुधार को विटनबर्ग में आगे बढ़ाया, जब लूथर निर्वासन में था वार्टबर्ग में। और अब जस्टस जोनस लूथर के साथ उसकी अन्तिम यात्रा में जाने वाला था।
लूथर और उसके बड़े यात्रियों का समूह ने आइस्लेबेन में विजय प्रवेश किया। शहर के नायक का आनन्द मनाने वाली भीड़ के साथ स्वागत और उसके साथ एक जूलूस चला। उसने उस रविवार, 31 जनवरी को प्रचार किया।
लेकिन यात्रा का उस पर बुरा प्रभाव पड़ा। लूथर ने अपनी प्रिय केटी को ठंडी हवाओं और जकड़ने वाली वर्षा के बारे में लिखा, और साथ में उन सारी बर्फ के खतरनाक टुकड़ों के बारे में भी। लूथर बहुत अधिक बीमार था। एक अनियंत्रित आग ने भी, लूथर के कमरे से ठीक बाहर, उसके जीवन को खतरे में डाला। उसका कमरा स्वयं ही असुरक्षित था। प्लास्टर दीवारों से गिरता था, जिससे दीवारों के कुछ पत्थर ढ़ीले पड़ गये थे। एक पत्थर, जिसे तकिया जितना बड़ा बताया गया था, लगभग लूथर के सिर के पास से आकर गिर गया। इन दुर्घटनाओं ने केटी को घर पर और चिन्तित होने का कारण दिया। उसने चिन्ता और कष्ट से भरे पत्र को तीव्रता से भेजा। इसलिए लूथर ने उसे पुनः लिखा कि वह उसे स्मरण करता था, यह जोड़ते हुए, “मेरे पास एक रखवाला है जो तुम से और सभी स्वर्गदूतों से अच्छा है; वह चरनी में लेटता है और अपनी माँ से दूध पीता है, फिर भी वह सर्वशक्तिमान पिता परमेश्वर के दाहिने हाथ बैठता है।”
लूथर ने उस पत्र को 7 फरवरी को लिखा। ग्यारह दिन बाद उसकी मृत्यु हो गई। उसके जन्म का नगर आइस्लेबेन अब उसकी मृत्यु के नगर के नाम से भी जाना जाएगा। लूथर के तीनों पुत्र अपने पिता के शव के साथ वापस विटेनबर्ग गए, जहां अन्तिम सम्मान देने के लिए भीड़ जमा हुई।
मरने से ठीक पहले, लूथर ने अपना अन्तिम उपदेश दिया आइस्लेबेन में अपनी मृत्युशय्या से। “उपदेश” में केवल दो स्थलों का उद्धरण था, एक भजन संहिता से और एक सुसमाचारों से। लूथर ने भजन 68:19 का उद्धरण किया, “धन्य हो प्रभु, जो प्रतिदिन हमारा बोझ उठाता है, परमेश्वर, जो हमारा उद्धार है।” फिर उसने यूहन्ना 3:16 का उद्धरण दिया। हमारा परमेश्वर वास्तव में उद्धार का परमेश्वर है, और वह उद्धार आता है उसके पुत्र के कार्य के माध्यम से।
लूकस क्रानाख, चित्रकार, ने अपने मित्र को एक अन्तिम स्मारक प्रस्तुत किया। यह चित्र कासल चर्च में वेदी की शोभा बढ़ाती है। इसमें लूथर उपदेश दे रहा है और भीड़ सुन रही है। क्रानाख ने लूथर की पत्नी केटी को चित्र में चित्रित किया। उसने लूथर की बेटी मैग्डैलेना को भी चित्रित किया, जिसकी तेरह वर्ष की उम्र में मृत्यु हो गई थी। लूथर और उसकी मंडली के बीच में ख्रीष्ट है। लूथर ने ख्रीष्ट, और क्रूसित ख्रीष्ट का प्रचार किया। और जब उसकी मंडली ने लूथर का प्रचार सुना, तो उन्होंने लूथर को नहीं देखा, वरन् उसके स्थान पर ख्रीष्ट और क्रूसित ख्रीष्ट को देखा। यह लूथर की विरासत है।
और वह विरासत लूथर के समय से कहीं और आगे तक विस्तृत होती है।
1940 में, डब्ल्यू. एच. ऑडेन ने लूथर और उसकी विरासत को एक काव्य श्रद्धांजलि अर्पित की। उसने अपनी छोटी कविता का शीर्षक “लूथर” दिया, इन पंक्तियों के साथ समाप्त करते हुए:
सभी कार्य, महान पुरुष, समाज बुरे हैं।
“धर्मी मनुष्य विश्वास से जीवित रहेगा…” वह भय में रोया।
और संसार के पुरुष और महिलाएं खुशी हुई,
जिन्होंने कभी चिन्ता या थरथराना नहीं अनुभव किया अपने जीवनों में।