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30 अक्टूबर 2024अनुग्रह के साधारण साधन की सेवकाई
जोनाथन एडवर्ड्स ने 1751 से 1758 तक मोहॉक (Mohawk) और मोहिकेन (Mohican) अमेरिकी मूल निवासियों के लिए एक मिशनरी-पास्टर के रूप में सेवा की। अमरीका के पूर्वोत्तर सीमान्त क्षेत्र में सेवकाई की कई चुनौतियों के होते हुए भी, सुसमाचार-प्रसार और शिष्यता के लिए न्यू इंग्लैंड के इस पास्टर का ध्यान सन्दर्भीकरण (contextualization) या मनुष्य-केन्द्रित उपायों पर नहीं लगा हुआ था। परन्तु प्रेरितों के जैसे, एडवर्ड्स अनुग्रह के साधारण साधनों के माध्यम से सुसमाचार की घोषणा के लिए समर्पित थे (प्रेरितों के काम 2:42)।
निर्धारित साधनों के द्वारा बचाने वाला सामर्थ्य
एडवर्ड्स विश्वास करते थे कि क्रूस का वचन (अर्थात् सुसमाचार) उद्धार के लिए परमेश्वर का क्रियाशील सामर्थ्य है (रोमियों 1:16; 1 कुरिन्थियों 1:18)। इसके साथ-साथ, उनका मानना था कि ख्रीष्ट का उद्धारक सामर्थ्य परमेश्वर द्वारा निर्धारित साधनों के माध्यम से कार्य करता है। दूसरे शब्दों में, उद्धार सामान्यतः स्थानीय कलीसिया के सन्दर्भ में वचन, कलीसियाई विधियों और प्रार्थना के माध्यम से हमें मिलता है। विदेशी सन्दर्भ में होते हुए भी और सभी मानवीय बुद्धि के विपरीत, एडवर्ड्स ने अपना भरोसा उन साधनों पर रखा जिनका उपयोग करने की प्रतिज्ञा परमेश्वर करता है, न कि उन उपायों पर जो मनुष्य सोचता है कि कार्य कर सकते हैं। उन्होंने सेवकाई को मनुष्य की युक्तियों पर नहीं वरन् परमेश्वर की विधियों पर चलाया। अनुग्रह के साधन के माध्यम से परमेश्वर के चुने हुए लोग ख्रीष्ट को प्राप्त करते हैं और विश्वास के द्वारा उसमें बने रहते हैं।
जोनाथन एडवर्ड्स का उदाहरण इस महत्वपूर्ण बिन्दु पर बल देता है कि सेवकाई के सन्दर्भ को कभी भी सेवकाई के साधनों का निर्धारण नहीं करना चाहिए। भूगोल और संस्कृति को कभी भी ईश्वरविज्ञान और व्यावहारिक लागूकरण का निर्धारण नहीं करना चाहिए। चाहे नॉर्थैम्प्टन के प्रगतिशील सन्दर्भ में कार्य करना हो या स्टॉकब्रिज के जंगल के आसपास, एडवर्ड्स ने वचन और कलीसियाई विधि के माध्यम से ख्रीष्ट की घोषणा के लिए एक अडिग समर्पण का नमूना प्रस्तुत किया। वह दृढ़ता से धर्मसुधारवादी परम्परा में खड़ा रहा। वेस्टमिंस्टर लघु प्रश्नोत्तरी को “ईश्वरभक्ति की एक उत्कृष्ट प्रणाली” मानते हुए, एडवर्ड्स का मानना था कि
बाहरी और सामान्य साधन जिसके द्वारा ख्रीष्ट हमें छुटकारे के लाभों को प्रदान करता है, वे हैं उनके अध्यादेश, विशेष रूप से वचन, कलीसियाई विधियाँ और प्रार्थना; और ये सब उद्धार के निमित्त चुने हुए लोगों के लिए प्रभावी बनाए जाते हैं। (वेस्टमिंस्टर लघु प्रश्नोत्तरी 88)
दूसरे शब्दों में, अनुग्रह के सामान्य साधनों के द्वारा ही स्वर्गारोहित ख्रीष्ट, आत्मा के द्वारा, अपने चुने हुए लोगों को बचाता है, पवित्र करता है, और उन्हें सान्त्वना देता है। अनुग्रह के साधन ही वे प्रभावशाली उपकरण हैं जिनके उपयोग के द्वारा ख्रीष्ट ने अपनी कलीसिया के निर्माण करने की प्रतिज्ञा की है (मत्ती 16:18; 28:18-20; प्रेरितों के काम 2:42; 1 कुरिन्थियों 1:18-2:5; 4:1; 2 तीमुथियुस 4:2-5)। निःसन्देह, एडवर्ड्स ने केवल उपकरणों पर ही नहीं, परन्तु उनमें और उनके माध्यम से सक्रिय ख्रीष्ट के बचाने वाले सामर्थ पर भरोसा किया। एडवर्ड्स के लिए धार्मिक और आराधना-सम्बन्धी औपचारिकता एक घृणास्पद बात थी। हमारे लिए भी यही होनी चाहिए।
अनुग्रह के साधन परमेश्वर की रणनीति हैं
अनुग्रह के साधनों के प्रति एडवर्ड्स की सत्यनिष्ठा का उदाहरण पास्टरों और कलीसिया के लिए भी एक दृढ़ अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि वे परमेश्वर के अनुग्रह के साधनों के स्थान पर विकास के लिए संसार की रणनीतियों को न अपनाएँ। आजकल कलीसियायों में, यहाँ तक कि धर्मसुधारवादियों के मध्य भी प्रायः मानव-केन्द्रित, समाजशास्त्र-चलित और नैतिकतावादी प्रचार के द्वारा विश्वासयोग्य प्रचार को पीछे हटाया जाता है। बपतिस्मा और प्रभु भोज को प्रायः भजन मण्डली और कलीसिया की कार्यक्रमों की तुलना में कम ध्यान दिया जाता है। प्रायः प्रार्थना को आराधना और कलीसियाई जीवन में कम स्थान दिया जाता है। प्रभु के दिन की संध्याकालीन आराधना सभाओं का घटना हमारी कलीसियाओं में ख्रीष्ट-केन्द्रित शिष्यता के लिए परमेश्वर की रणनीति को पुनः प्राप्त करने की आवश्यकता पर बल देता है। पास्टरों को प्राथमिक रूप से “ख्रीष्ट के सेवक और परमेश्वर के रहस्यों के भण्डारी” होने के लिए बुलाया गया है (1 कुरिन्थियों 4:1)। परमेश्वर के वे रहस्य ख्रीष्ट द्वारा स्थापित अनुग्रह के साधन हैं जिनके द्वारा वह स्वयं को हमें देता है।
साधारण क्यों?
कुछ लोग सोच सकते हैं कि अनुग्रह के साधनों को प्रायः साधारण क्यों कहा जाता है। वे इस अर्थ में साधारण हैं क्योंकि उनमें निर्गमन, ख्रीष्ट की सार्वजनिक सेवकाई या पिन्तेकुस्त के चिह्न, चमत्कार और आश्चर्यकर्म की बाहरी और दृश्यमान महिमा नहीं पाए जाते हैं। अनुग्रह के साधन सरल, सादे और सामान्य हैं। साथ ही अनुग्रह के साधन बहुत असाधारण हैं। क्यों? क्योंकि परमेश्वर ने अपने चुने हुए लोगों के उद्धार के लिए, अर्थात् दोषी पापियों को विश्वास के द्वारा ख्रीष्ट के साथ मिलन और संगति में लाने के लिए, इन साधनों के द्वारा कार्य करने की प्रतिज्ञा की है। इसलिए, कलीसिया की सेवकाई में अनुग्रह के सामान्य साधनों की उपेक्षा करना न केवल परमेश्वर की बुद्धि पर प्रश्न उठाता है; यह ख्रीष्ट की बचाने वाले सामर्थ्य की अवहेलना करता है। निःसन्देह इसका अर्थ यह नहीं है कि प्रभु के दिन की सार्वजनिक आराधना से हटकर कलीसियाई सेवकाई परमेश्वर के लोगों के लिए उचित या लाभदायक नहीं है। सप्ताह के मध्य में कलीसिया के कार्यक्रम और विभिन्न सेवकाई गतिविधियाँ एक महान आशीष हो सकती हैं, परन्तु उन्हें कभी भी अनुग्रह के सामान्य साधनों के महत्व को नहीं घटाना चाहिए।
शैतान के साम्राज्य को नष्ट करने के लिए नियुक्त साधन
अन्त में, अनुग्रह के सामान्य साधन ही वे उपकरण हैं जिनके माध्यम से परमेश्वर धीरे-धीरे शैतान और अन्धकार के साम्राज्य को नष्ट कर देगा। अपने प्रसिद्ध पुस्तक हिस्ट्री ऑफ द वर्क ऑफ रिडेम्प्शन (छुटकारे के कार्य का इतिहास) में, एडवर्ड्स कहते हैं कि शैतान और उसके साम्राज्य का विनाश “एक ही बार में नहीं होगा।” इसके स्थान पर, वह समझाते हैं कि “यह कार्य साधनों के द्वारा किया जाएगा, अर्थात् यह सुसमाचार के प्रचार और अनुग्रह के सामान्य उपयोग के द्वारा पूरा किया जाएगा, और इस प्रकार से यह धीरे-धीरे पूरा किया जाएगा।”
प्रिय विश्वासी, पापियों का उद्धार और शैतान का पराजय सामाजिक आन्दोलन, राजनीतिक जीत या सांस्कृतिक परिवर्तन की दृश्यमान महिमा के माध्यम से नहीं होते हैं। भले ही ये प्रयास समाज को सुधारने के लिए लाभकारी हों, फिर भी ख्रीष्ट का उद्धारक सामर्थ्य उन प्रयासों के द्वारा नहीं कार्य करता है। वास्तव में यह शैतान चाहता है जो हम विश्वास करें कि ख्रीष्ट का उद्धारक सामर्थ्य उन प्रयासों के द्वारा ही कार्य करता है। इसके विपरीत, ख्रीष्ट का उद्धारक सामर्थ्य, आत्मा के द्वारा, उद्धार के लिए परमेश्वर के चुने हुए उपकर: प्रचार, प्रार्थना, जल, रोटी और दाखरस के माध्यम से सक्रिय होता है। जब इन्हें सुसमाचार के विधिपूर्वक नियुक्त सेवकों द्वारा संचालित किया जाता है, अनुग्रह के सामान्य साधन शिष्य बनाने के लिए परमेश्वर की मुख्य रणनीति हैं। परमेश्वर उनसे अलग होकर नहीं वरन् उनके माध्यम से विश्वास का निर्माण एवं पुष्टि करता है। धर्मसुधारकों की परम्परा से मेल खाते हुए, एडवर्ड्स का मानना था कि अनुग्रह के साधारण साधनों से की जाने वाली सेवकाई, सुसमाचार की सेवकाई है जो ख्रीष्ट के व्यक्ति और कार्य पर केन्द्रित होती है, तथा ख्रीष्ट के उद्धारक सामर्थ्य से परिपूर्ण है। आइए हम भी ऐसा ही मानें।
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।