अनुग्रह के साधन के रूप में परमेश्वर का वचन
20 मई 2021अनुग्रह के साधन के रूप में कलीसियाई विधियां
23 मई 2021अनुग्रह के साधन के रूप में प्रार्थना
सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का चौवथा अध्याय है: अनुग्रह के साधारण साधन
ख्रीष्टियों के पास साहस के साथ अनुग्रह के सिंहासन के सामने आकर परमेश्वर से बात करने का महान सौभाग्य है। हमारे और परमेश्वर के मध्य संगति को प्रार्थना कहा जाता है। यह बात कि विश्वासियों के पास परमेश्वर का ध्यान है और वे अपनी चिन्ताओं को प्रभु पर डालने के लिए बुलाए जाते हैं सब आशीषों में सबसे उत्कृष्ट है। फिर भी, हमारे दिन में प्रार्थना ख्रीष्टियों के सबसे अधिक उपेक्षित अनुशासन में से एक है। जे.सी. राय्ल ने एक बार कहा, “हाँ, कुछ प्रार्थना करते हैं! यह एक ऐसी ही बात है जो स्वाभाविक रीति से मान लिया जाता है, किन्तु बहुत कम किया जाता है; एक ऐसी बात जो सबका कार्य है, किन्तु जिसे दुर्लभ से कोई करता है।” यदि यह मूल्यांकन हमारे युग के लिए भी किया जा सकता है, प्रार्थना-रहित ख्रीष्टीयता के क्या परिणाम हैं? क्या कलीसिया का मिशन प्रार्थना की कमी के कारण हानि उठा रहा है? क्या ख्रीष्टीय लोग अपने पवित्रता में दबे हुए हैं क्योंकि बहुत कम लोग परमेश्वर से पवित्रीकरण में सहायता मांग रहे हैं?
लगभग सार्वभौमिक रूप से, लोग अपने जीवन की व्यस्तता के विषय में दुखड़ा रोते हैं। परिवारों को भोजन की मेज़ से खींच लिया जाता है खेल का अभ्यास, संगीत पाठों, और कई अन्य गतिविधियों के लिए। हमारे पास उत्तम आधुनिक सुविधाएं हैं, फिर भी हम कभी न समाप्त होने वाली “नियुक्तियों” के साथ स्वयं को चिथड़े कर दिये। हमारे युग की अशान्ति प्राथमिकताओं के त्रुटिपूर्ण होने का संकेत है। हम वह करने में समय व्यतीत करते हैं जिसे हम सर्वाधिक महत्व देते हैं, परन्तु प्रार्थना सूची के शीर्ष स्थान पर नहीं है। किन्तु, हमारे पास समय है, हमारे समाज के समक्ष आने वाली कई समस्याओं के बारे में खुलकर बात करने के लिए। सोशल मीडिया पर ऐसे ख्रीष्टियों का अभाव नहीं जो अपने समय का उपयोग करते हैं संसार को “वर्तमान की स्थिति” से अपनी हताशा को व्यक्त करने के लिए। हाँ, हम कष्टप्रद समय में जी रहे हैं। समाज के नैतिक दिवालियापन से लेकर कलीसिया की आत्मिक गिरावट तक, समस्याएं असीम हैं। प्रत्येक जन बोल रहा है, परन्तु कौन इन बातों को प्रभु के पास प्रार्थना में ले जाता है? यदि डेढ़ शताब्दी पहले राय्ल अपने मूल्यांकन में पूरी रीति से सही थे, तो हमारे समय के बारे में क्या कहा जा सकता है? क्या “दुर्लभ से कोई” सभी छुटकारे के हमारे परमेश्वर से प्रार्थना कर रहा है?
यह लिखने के लिए कठिन लेख होता यदि हमारे पास प्रार्थना के साधन के द्वारा प्रभु की सहायता का कोई आश्वासन नहीं होता। परन्तु, पवित्रशास्त्र प्रत्येक स्थान पर विश्वासियों को आश्वासन देता है कि परमेश्वर अपने लोगों की प्रार्थनाओं को सुनता है (जैसे उत्पत्ति 16:11; निर्गमन 2:24, भजन संहिता 4:3)। प्रार्थना के विषय में अद्भुत सत्य यह है कि परमेश्वर अपने अनुग्रह और पवित्र आत्मा हमें देना चाहता है जब हम इस साधन के माध्यम से उस पर निर्भर होते हैं। प्रार्थना एस ऐसा अनुग्रह का साधन है जिसके द्वारा आत्मा हमारे जीवनों में कार्य करता है। क्योंकि परमेश्वर ने हमें खुले कान देने की प्रतिज्ञा की है, प्रार्थना को ख्रीष्टिय जीवन में सर्वोच्च प्राथमिकता होनी चाहिए। एक प्रार्थना रहित ख्रीष्टीय एक शक्तिहीन ख्रीष्टीय है। इस कारण से, प्रत्येक पीढ़ी को प्रार्थना को अपने जीवन में प्राथमिकता बनाने के लिए चुनौती देने की आवश्यकता है।
सब ख्रीष्टियों को प्रार्थना करने के लिए बुलाहट
जब हम अनुग्रह के साधनों की बात करते हैं, तो भेद करना महत्वपूर्ण है अनुग्रह के सकरे साधन में, जिन्हें परमेश्वर वचन और कलीसियाई विधियों के द्वारा देता है, और हमारे प्रार्थना करने की क्रिया में अनुग्रह के बड़े साधन में। यह भेद महत्वपूर्ण है ताकि हम इस बात को ध्यान में रखें कि प्रार्थना हमारी प्रतिक्रिया है परमेश्वर के वचन से प्राप्त होने वाले अनुग्रह के प्रति। किन्तु, यह प्रार्थना करने के लिए ख्रीष्टियों के लिए बुलाहट काे कम नहीं करता है, क्योंकि परमेश्वर प्रार्थना करने वालों को अपना अनुग्रह प्रदान करता है। जब चेले यीशु के पास आए और उससे प्रार्थना करना सिखाने के लिए कहा, तो यीशु ने उत्तर दिया, “जब तुम प्रार्थना करो . . .।” प्रभु ने व्यक्त किया कि प्रार्थना ख्रीष्टिय जीवन में एक सामान्य अनुशासन होगा। हमारे दिन में ख्रीष्टियों की बड़ी आवश्यकता है कि वे प्रार्थना करने के लिए दृढ़ विश्वास और प्रेरणा को पुनः प्राप्त करें।
पवित्रशास्त्र हमें कई विभिन्न कारणों से प्रार्थना करने लिए बुलाहट देता है। 2 कुरिन्थियों 12:7-10 में, पौलुस ने कुरिन्थियों में ख्रीष्टियों को प्रार्थना करने के लिए उत्साहित किया अपने जीवन को दुख के उदाहरण के रूप में देते हुए । पौलुस के शरीर में एक “काँटा” दिया गया जो उसके जीवन में दुख का कारण बना। हमें यह नहीं बताया जाता है कि वह काँटा क्या था, पर पौलुस कुरिन्थियों के लोगों से चाहता था कि प्रभु पर अपनी निर्भरता के विषय में सोचें। एक काँटा कुछ भी हो सकता है कि जो हमारी मानवीय बल को छीन लेता है: कैंसर, मतभेद, पीड़ा, क्षति—वह सब और इससे अधिक। जब पौलुस ने तीन बार छुटकारे के लिए प्रार्थना की, यीशु ने पौलुस को यह कहते हुए उत्तर दिया, “मेरा अनुग्रह तेरे लिए पर्याप्त है, क्योंकि मेरा सामर्थ्य निर्बलता में सिद्ध होता है” (पद 9)। हाँ पौलुस ने प्रार्थना के माध्यम से प्रभु से वास्तविक अनुग्रह को प्राप्त किया। अपनी निर्बलता में, ख्रीष्ट का अनुग्रह उस पर था, और उसने सामर्थ्य प्राप्त किया।
प्रार्थना भी हमें ख्रीष्ट के स्वरूप के अनुरूप बनाने और उसके लोगों को उसके सेवक के रूप में बनाने का एक साधन है। विश्वासी के जीवन में पाप की निरन्तर उपस्थिति, पाप इस उद्देश्य पर आक्रमण करता है। यही कारण है कि ख्रीष्टीय के लिए पवित्रीकरण में प्रार्थना इतना आवश्यक है। निश्चित रूप से इस समय कुछ पाठक हैं जो निरुत्साहित है और गम्भीर रीति से व्यक्तिगत पाप से संघर्ष कर रहे हैं। यह ख्रीष्टियों के लिए सबसे अधिक भ्रमित करने वाले अनुभवों में से एक हो सकता है। यदि ख्रीष्ट के पुनरुत्थान की सामर्थ्य हम पर बनी हुई है, तो हम अपने जीवन में बने रहने वाले पाप से प्रायः क्यों पराजित हो जाते हैं? यह वह संघर्ष है जिसका वर्णन पौलुस रोमियों 7 में करता है।
किन्तु, रोमियों 8 में, पौलुस हमें स्मरण दिलाता है कि ख्रीष्टीय लोग लेपालक पुत्र के सौभाग्य में सहभागी हैं, जिस से वे “हे अब्बा! हे पिता!” कहकर पुकार सकते हैं। जब हम ऐसा करते हैं, तो हमसे पवित्र आत्मा की सहायता की प्रतिज्ञा की जाती है जो (1) हमारे जीवन में पाप को मारता है (पद 13), (2) “आत्मा स्वयं हमारी आत्मा के साथ मिलकर साक्षी देता है कि हम परमेश्वर की सन्तान हैं” (पद 16), और (3) हमारी दुर्बलताओं में सहायता करता है जब वह प्रार्थना में हमारे लिए विनती करता है (पद 26-27)। इन अद्भुत प्रतिज्ञाओं का निष्कर्ष हमें ख्रीष्ट के स्वरूप में बनाने के लिए परमेश्वर का पूर्वनिर्धारित करने वाले उद्देश्य के साथ किया जाता है (पद 29)। ये बहुत अद्भुत सहायता हैं जो स्वर्गिय पिता हमें पवित्र आत्मा के द्वारा प्रदान करता है जैसे-जैसे हम प्रार्थना में उस पर निर्भर होते हैं।
क्योंकि अनुग्रह के लाभ और पवित्र आत्मा वास्तव में हमें प्रार्थना के साधन के माध्यम से दिए जाते हैं, इस कारण से हाइडलबर्ग प्रश्नोत्तरी का, जो अपने प्रश्नों के बावन रविवार की समय-सारणी के अनुसार विभाजित करती है ताकि पास्टरों को एक वर्ष में प्रश्नोत्तरी का प्रचार करने में मार्गदर्शन प्राप्त हो, एक पूरे प्रभु के दिन के मनन को ख्रीष्टियों को प्रार्थना करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए समर्पित करता ही:
ख्रीष्टियों को प्रार्थना करने की आवश्यकता क्यों है? क्योंकि प्रार्थना धन्यवाद का सबसे महत्वपूर्ण भाग है जिसकी मांग परमेश्वर हमसे करता है। और इसलिए भी क्योंकि परमेश्वर अपना अनुग्रह और पवित्र आत्मा केवल उन लोगों को देगा जो निरन्तर और हार्दिक अभिलाषा के साथ परमेश्वर से इन वरदानों को मांगते हैं और उनके लिए उसे धन्यवाद देते हैं। (एच. सी. 116)
पाप के साथ हमारे संघर्ष में, परमेश्वर हमें आमन्त्रित करता है कि प्रार्थना में उसके पास आएं, और वह हमें उत्तर देता है हमें अपना आत्मा देने के द्वारा, जो सक्रीय रीति से हमें पवित्र बना रहा है। प्रार्थना वह अत्यावश्यक मार्ग है जिसके द्वारा प्रभु एक अनुरूपता को कार्यान्वित करता है जिससे कि और अधिक यीशु के जैसे दिखना आरम्भ करते हैं।
पास्टरीय प्रार्थना को पुनः प्राप्त करना
जबकि व्यक्तिगत प्रार्थना ख्रीष्टिय जीवन में पवित्रीकरण के लिए आवश्यक है, प्रार्थना का एक और मार्ग है जिसे परमेश्वर ने ख्रीष्टियों की सहायता करने के लिए दिया है। यीशु ने विशेष रूप से अपने पिता के घर को प्रार्थना के घर के रूप में बात की थी। अमेरिकी ख्रीष्टीयसा में सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक पास्टरीय प्रार्थना की मृत्यु है—प्रभु के दिन को आराधना के समय लोगों की ओर से पास्टर की प्रार्थना। सैकड़ों वर्षों तक, प्रोटेस्टेन्ट कलीसियाओं ने सामूहिक प्रार्थना को आराधना का एक मुख्य तत्व बनाया। आज, इस प्रार्थना को संगीत के समय के साथ बदल दिया गया है। सामूहिक आराधना में प्रार्थना को कम ध्यान दिया जाता है।
जब वे सामूहिक आराधना के लिए एकत्रित होते हैं, परमेश्वर के लोगों के लिए आत्मिक रूप से तो ऐसा कुछ लाभकारी होता है जो कहीं और प्राप्त नहीं होता है। प्रभु ने अपने लोगों से एक विशेष रीति से मिलने की प्रतिज्ञा की है। यही कारण है कि सामूहिक आराधना में प्रार्थना का महत्वपूर्ण तत्व है। जिस प्रकार व्यक्तिगत रूप से बाइबल पढ़ना परमेश्वर के वचन के प्रचार में में अनुग्रह के साधन को प्राप्त करने को प्रतिस्थापित नहीं करता है, व्यक्तिगत प्रार्थना भी सामूहिक रविवारीय प्रार्थना की आशीषों को प्रतिस्थापित नहीं करती है। जब सेवक प्रार्थना करता है, तो वह लोगों की ओर से ख्रीष्ट के राजदूत के रूप में बोलता है। एक वाणी के साथ, लोगों के हृदय एक हैं जब उनकी प्रार्थनाएं परमेश्वर के सिंहासन तक ऊपर जाती हैं।
मैं पाता हूँ कि पास्टरीय प्रार्थना एक बड़ी आशीष है। यदि राय्ल सही हैं कि कम लोग दैनिक जीवन में प्रार्थना करते हैं, उस सहायता के विषय में सोचिए जो परमेश्वर हमें देता है जब हम प्रार्थना के लिए एक साथ एकत्रित होते हैं। सामूहिक आराधना में, हम जीवन की व्यस्तता से स्वयं को शान्त करते हैं और प्रार्थना में अपने हृदयों को जोड़ते हैं जब परमेश्वर के नियुक्त सेवक के द्वारा हमारी अगुवाई की जाती है। पास्टर हमें उचित प्रशंसा में, पाप के अंगीकार में, परमेश्वर के राज्य की उन्नति में, परमेश्वर के अच्छे वरदानों के लिए धन्यवाद में और कलीसिया की विशेष आवश्यकताओं में हमारी अगुवाई करता है। परमेश्वर अपने सेवक के माध्यम से अपने लोगों की प्रार्थना सुनने के लिए तत्पर रहता है। सामूहिक प्रार्थना आराधना की सबसे अधिक आत्मिक उन्नति करने वाली आशीषों में से एक है। यदि हमारी कलीसियाओं को सुसमाचार की सेवा में अधिक प्रभावशाली होना है, तो पास्टरीय प्रार्थना को प्रमुख स्थान दिया जाना होगा।
प्रार्थना एक सर्वश्रेष्ट सौभाग्य है जिसे परमेश्वर ने यीशु ख्रीष्ट के विश्वासियों को दिया है। प्रार्थना आपके लिए एक साधन है कि आप परमेश्वर का आनन्द लें जैसा आप करने के लिए बनाए गए थे। सम्भवतः हम वैसे प्रार्थना नहीं करते हैं जैसा हमें करना चाहिए क्योंकि हमने प्रार्थना में परमेश्वर का आनन्द लेना नहीं सीखा है जैसा कि हमें करना चाहिए। अपने परमेश्वर से बात कीजिए; वह चाहता है कि आप इस संगति का आनन्द लें। “अपनी समस्त चिन्ता उसी पर डाल दो, क्योंकि वह तुम्हारी चिन्ता करता है” (1 पतरस 5:7)। जितनी इच्छा के साथ आप किसी वस्तु के लिए प्रार्थना करते हैं, प्रभु आपकी प्रार्थनाओं को उससे अधिक निश्चित रूप से सुनता है (एच सी 129)। परमेश्वर क्या ही अनुग्रकारी है जिसने अपने पुत्र के सुसमाचार में स्वयं को आपके सामने प्रस्तुत किया है। जो भी आपकी स्तुति हो, जो भी आपका बोझ हो, उसे प्रार्थना में प्रभु के पास ले जाएं, और उसकी प्रतीक्षा करें, क्योंकि वह प्रभु हमारा परमेश्वर है जो हमारी प्रार्थना को स्वीकार करता है (भजन 6:9)।