पवित्र आत्मा में धार्मिकता, मेल और आनन्द - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
बातों में नहीं, वरन् सामर्थ्य में।
23 नवम्बर 2023
भूलने योग्य बनो
28 नवम्बर 2023
बातों में नहीं, वरन् सामर्थ्य में।
23 नवम्बर 2023
भूलने योग्य बनो
28 नवम्बर 2023

पवित्र आत्मा में धार्मिकता, मेल और आनन्द

पौलुस के सभी लेखों में, उसने राज्य शब्द का उपयोग मात्र चौदह बार किया है। इनमें से अधिकतर बार राज्य को भविष्य में अनुभव किए जाने वाली वास्तविकता के रूप में वर्णन किया गया है। केवल रोमियों 14:17 में पौलुस राज्य को एक वर्तमान वास्तविकता के रूप में वर्णन करता है, “क्योंकि परमेश्वर का राज्य खाना-पीना नहीं, परन्तु धार्मिकता, मेल और वह आनन्द है जो पवित्र आत्मा में है।”

पहले पहल ऐसा लग सकता है कि पौलुस कह रहा है कि परमेश्वर के राज्य का खाने और पिने से कोई सम्बन्ध नहीं है। परन्तु, इस सन्दर्भ में पौलुस वास्तव में कह रहा है कि खाना और पीना गौण विषय (matters of indifference) है। इन गौण विषयों में जैसे कि माँस खाना और दाखरस पीना, दृढ़ विश्वासी को कुछ भी खाने और पीने की स्वतन्त्रता पर घमण्ड करने के स्थान पर निर्बल विश्वासी का ध्यान रखना चाहिए।

परन्तु, पौलुस निश्चित रूप से पवित्रशास्त्र में उपस्थित परमेश्वर के राज्य और खाने-पीने के बीच उस गहरे सम्बन्ध को नकार नहीं रहा है। पौलुस समझ गया कि परमेश्वर का राज्य प्रत्येक अवस्था में खाने और पीने से बहुत सम्बन्धित है।

वास्तव में पौलुस के द्वारा सम्बोधित की गई गृह कलीसियाओं में प्रीति भोज का महत्वपूर्ण स्थान था। इस भोज में खाने और पीने के अलावा भी बहुत कुछ सम्मिलित था। यह समाजिक संरचना का एक नमूना था जो रोमियों 17 में पौलुस के द्वारा उल्लेखित मान्यता के समान साझा मान्यताओ पर आधारित था। भोज के पूरे अर्थ में खाना और पीना छोटे ही तत्व थे। धार्मिकता, मेल और आनन्द मुख्य तत्व समझे जाते थे क्योंकि ये सब प्रीति भोज में चित्रित किए गए साझा मान्यताएँ थीं। पवित्र आत्मा द्वारा इन मान्यताओं का प्रकटीकरण गृह कलीसियाओं में परमेश्वर के राज्य की उपस्थिति को दर्शाता है। इस प्रकार से गृह कलीसिया परमेश्वर के राज्य का एक प्रतिमान था।

रोमियों 14 में यूखरिस्ट(प्रभु-भोज में धन्यवाद) से सम्बन्धित तत्वों पर ध्यान दें । कुछ विशिष्ट भोजन को खाने वाला व्यक्ति और न खाने वाला व्यक्ति, दोनों के विषय में कहा गया है कि वे “प्रभु को धन्यवाद” (यूखोरिस्टे=euchariste) देते हैं (देखें रोमियों14:6)। घर के सामान्य खाने की मेज को प्रभु-भोज के विस्तार के रूप में देखा जाता था। अतः हमें पौलुस के शब्दों में ख्रीष्ट के वचन की ध्वनि सुनाई देनी चाहिए: “मैं तुम्हें एक राज्य देता हूँ . . . कि तुम मेरे राज्य में मेरी मेज पर खाओ और पीओ” (लूका 22:29-30)।

अन्त में ध्यान दें कि कैसे परमेश्वर का राज्य और पवित्र आत्मा इतनी घनिष्टता से जुड़े हैं कि वे लगभग एक दूसरे का स्थान ले सकते हैं। एक अर्थ में हम कह सकते है कि परमेश्वर का राज्य पवित्र आत्मा का राज्य है। धार्मिकता, शान्ति और आनन्द अपने आप में परमेश्वर के राज्य बनाने में असमर्थ हैं। केवल पवित्र आत्मा ही परमेश्वर के राज्य का निर्माण कर सकता है। यह पवित्र आत्मा ही है जो धार्मिकता, मेल और आनन्द में परमेश्वर के राज्य को वर्तमान वास्तविकता बनाता है।
इस पद से हम देख सकते हैं कि खाना और पीना कभी भी केवल व्यावहारिक और शारीरिक विषय नहीं हैं। यहाँ तक कि वर्तमान समय में भी एक सामान्य भोजन एक धार्मिक रीति-विधि का रूप धारण कर लेता है। यह केवल पवित्र आत्मा के द्वारा ही है कि एक भोजन वह बन जाता है जो उसे सदैव होना चाहिए था—अर्थात् धार्मिकता, शान्ति और आनन्द में परमेश्वर के राज्य का एक पूर्वानुभव।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

जिम फिट्ज़जेरल्ड
जिम फिट्ज़जेरल्ड
रेव्ह. जिम फिट्ज़जेरल्ड उत्तरी अफ्रिका और मध्य-पूर्व में एक सेवक हैं और प्रेस्बिटेरियन चर्च इन अमेरिका में एक शिक्षा देने वाले प्राचीन हैं।