शिष्यता का मूल्य - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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शिष्यता का मूल्य

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का सत्तरहवां अध्याय है: शिष्यता

आज कल लोगों का अनुसरण करना सरल है। हम सोशल मीडिया पर एक बटन दबाने पर एक दूसरे का अनुसरण (फॉलो) करते हैं। मूल्य बहुत कम है। अधिक से अधिक, हम थोड़ी सी प्रतिष्ठा खो देते हैं (निर्भर करता है कि हम किसका अनुसरण करते हैं)। सामान्य रीति से हम मित्रों और परिवार के लोगों का अनुसरण करते हैं, या वे लोग जिनके जीवन हमें आकर्षित करते हैं। प्रसिद्ध लोगों के लाखों अनुयायी होते हैं, और वे बदले में अधिक कुछ नहीं मांगते हैं, सम्भवत: कभी-कभी एक “लाइक”। आजकल किसी का अनुसरण सरल है, वास्तव में इतना सरल है कि हम सैकड़ों, यहां तक कि हज़ारों लोगों का भी अनुसरण कर सकते हैं। मैं सोचता हूँ कि क्या इस बात ने हमें यीशु के शब्दों “मेरा अनुसरण करो” को समझने में भ्रमित कर दिया है।

यीशु ने हमें जिस जीवन का अनुसरण करने के लिए बुलाया है, वह वास्तव में किसी के द्वारा इच्छित नहीं था। यदि इंस्टाग्राम पहली शताब्दी में होता, तो मुझे नहीं लगता है कि यीशु के अनेक अनुयायी होते। वह धार्मिक रूप से बहिष्कृत था, और इसीलिए पवित्र लोग उसके पीछे चलते हुए नहीं मिलेंगे। हमारे समय में, “आत्मिक किन्तु धार्मिक नहीं” दो कारणों से यीशु के पीछे चलना उतना ही कठिन पाते हैं।

पहला, यीशु मांग करता है कि हम उसका अनुसरण इस प्रकार करें जैसे हम किसी और का अनुसरण नहीं करते। “यदि कोई मेरे पीछे आए और अपने पिता, माता, पत्नी, बच्चों, तथा भाई-बहनों को, यहाँ तक कि अपने प्राण को भी अप्रिय न जाने, वह मेरा चेला नहीं हो सकता है” (लूका 14:26)। परिवार और प्रसिद्ध लोग अपने पीछे चलने वालों का साझा करने में प्रसन्न हैं, परन्तु यीशु नहीं। आप यीशु का अनुसरण करके किसी और के प्रति समर्पित नहीं हो सकते जिस तरह से आप उसके प्रति समर्पित हैं। इस प्रकार की विशिष्टता विशेष रीति से हमारे समाज में कठिन है, जहाँ अविश्वासी प्रसन्नता से यीशु को महान धार्मिक शिक्षकों की सूची में तो सम्मिलित करते हैं किन्तु इससे ऊँचे नहीं। फिर भी, यीशु अपना स्तर किसी और के साथ साझा नहीं करता, और वह माँग करता है कि हमारा प्रेम उनके प्रति अनोखा हो।

दूसरा, यीशु माँग करता है कि हम निश्चित रूप से उसके पीछे तब भी चलें जब यह उत्साहजनक या सुखदायी न हो। “जो कोई अपना क्रूस उठाकर मेरे पीछे नहीं चलता, वह मेरा चेला नहीं हो सकता है” (पद 14:27)। जिस सुख और महिमा को हम प्रायः अपने लिए चाहते हैं वे क्रूस के विरोधात्मक हैं। फिर भी, यीशु का अनुसरण करना क्रूसित जीवन को गले लगाना है। जॉन कैल्विन ने लिखा कि ख्रीष्ट के अनुयायी “अपने आप को एक कठिन, कष्टमय, और अशान्त जीवन के लिए तैयार करेगा, जो बहुत सारी और विभिन्न प्रकार की बुराई से भरा हुआ है।” यीशु के पीछे चलने का मूल्य इतना अधिक है कि कोई भी “बटन दबाने” से पहले वह हमें गहराई से विचार करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं (पद 28-32)।

यीशु ने शिष्यता के लिए अपनी माँग को लूका 14 में यह कहते हुए समाप्त किया, “इसी प्रकार तुम में से कोई मेरा चेला नहीं हो सकता जब तक कि वह अपनी सारी सम्पत्ति को त्याग न दे” (पद 33)। सीधे शब्दों में कहें, तो यीशु का अनुसरण करने से आपको सब कुछ खर्च करना पड़ेगा, परन्तु आप जो प्राप्त करते हैं वह आपके खोए हुए वस्तुओं से बढ़कर है। क्रूस के द्वारा, हम ख्रीष्ट को प्राप्त करते हैं, जिसने हमारे उद्धार के लिए इसे उठाया इससे पहले कि हम उठाएं।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
एड्रिएल सांचेज़
एड्रिएल सांचेज़
रेव्ह. एड्रिएल सांचेज़, सैन डिएगो में नॉर्थ पार्क प्रेस्बिटेरियन चर्च के वरिष्ठ पास्टर हैं और कोर क्रिस्चियनिटी रेडियो कार्यक्रम के सह परिचारक हैं।