भय की वास्तविकता - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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भय की वास्तविकता

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का दूसरा अध्याय है: भय

हमारे बढ़ते हुए क्लेशों में भय और चिन्ता का प्रमुख स्थान है। वे सर्वोत्कृष्ट मानवीय विषय हैं। वे ऐसी समस्याएं नहीं है जो हमें कभी-कभी जकड़ लेती हैं; वे दैनिक जीवन की नियमित विशेषताएं हैं जो या तो पृष्ठभूमि में शान्त हो सकती हैं या तो अग्रभूमि में ऊँची आवाज़ के साथ हावी हो सकती हैं। इस युग में, वे हमारी मानवता से जुड़े हैं। वे कहते हैं कि हम शक्तिहीन और निर्बल हैं, आगे समस्याएं हैं, मूल्यवान वस्तुएं संकट में हैं, और इसके विषय में हम अधिक कुछ कर नहीं सकते हैं। और वे सही हैं। उनकी विशेष भविष्यवाणियाँ प्रायः त्रुटिपूर्ण होती हैं, और वे पूरी कहानी नहीं बताते हैं, परन्तु वे सही हैं। इस संसार में, हम और हमारे प्रिय लोग, क्लेश को जानेंगे (यूहन्ना 16:33)।

हम चाह सकते हैं कि हमारे सभी भय दूर हो जाए, परन्तु हमारे भय, निश्चित रूप से पूर्णतः बुरे नहीं है। उनकी सबसे अच्छी बात यह है कि वे हमें स्मरण दिलाते हैं कि हम छोटे हैं और हमें यीशु की आवश्यकता है। उस पर निर्भर होना ही जीवन है; स्वतंत्रता एक घातक मिथ्या है। भय एक महत्वपूर्ण संकट का संकेत है जो हमें संकट की स्थिति के विषय में चेतावनी देता है। इसके बिना, हमें बुद्धि में वृद्धि करने के लिए बाधा पहुँचती है क्योंकि बुद्धि ही को पहचानना है कि क्या अच्छा और क्या सुरक्षित है और क्या बुरा और क्या घातक है. फिर भी, इन लाभों को स्वीकार करते हुए, हम सभी इस पर सहमत हो सकते हैं: हम चाहेंगे कि हमारे भय कम हों और कम त्रीव हों।

आप अपने चारों ओर देखें और देखें कि आपका भय प्रत्येक जगह है। वे तनाव, चिन्ता, चिड़चिड़ाहट, दबाव, और भय  आदि शब्दों के पीछे रहते हैं। वे दोष तथा प्रतिदिन के संघर्षों के बंधे हुए हैं। यदि आप दोषों का अनुभव करते हैं, तो आप न्याय से डरते हैं। यदि हम लज्जा का अनुभव करते हैं, तो आप दूसरों के सामने दिखने और प्रकट होने से डरते हैं। क्रोध प्रायः ऐसा भय होता है जिसमें कुछ लड़ाई शेष रह गई है। वह देखता है कि आपका कोई प्रिय वस्तु संकट में है, फिर भी यह रुक जाने तथा दौड़ने के बदले स्थिर रहने के लिए इच्छुक है। अवसाद ऐसा भय हो सकता है जिसने हार मान ली है। वह कहता है कि आज अन्धकार और असहनीय है। भविष्य और भी बुरा है। यह अन्धकारमय, असहनीय, और आशाहीन है। या पोस्ट-ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (घटना के बाद होने वाले मानसिक तनाव) के विषय में विचार करें। यह हम में से उन लोगों का वर्णन करता है जिनको विनाश छूकर निकल गया, या तो शारीरिक संकट के रूप में या अन्य लोगों के बुरे कार्यों के रूप में। डर यह है कि ये घटनाएं हस्तक्षेप करेंगे, या अतित स्वयं को भविष्य में दोहराता है। कुछ बुरा हो चुका है, और कुछ बुरा होगा। और इसके बाद हमारी सब लतें हैं। लत वे इच्छाएं है जो सीमाओं का इनकार करती हैं, परन्तु यदि हम ध्यान से देखें, हम देखेंगे कि उनमें से कई हमें भटकाने या अचेतन की स्थिति में लाने की आशा करते हैं, एक ऐसे मस्तिष्क से जो लड़खड़ा रहा है, एक ऐसी देह से जो शान्त नहीं रह सकती है, और एक ऐसे भविष्य से जो धूमिल है। लते सामर्थी हैं परन्तु भय और चिन्ताओं को दूर रखने में अन्ततः अप्रभावी हैं।

पवित्रशास्त्र सहमत है कि भय सर्वत्र है। भजनकार मान लेते हैं कि हम भयभीत हैं। “जब मुझे डर लगेगा, मैं अपना भरोसा तुझ रखूंगा” (भजन 56:3)। उनका लक्ष्य है भय को हमारे भरोसेमन्द परमेश्वर पर विश्वास के साथ मिलाना। उनका सबसे सामान्य विषय सामर्थी शत्रुओं का भय है जो निन्दा करते हैं और जीवन को दुखित करते हैं। इससे बढ़कर, ये शत्रु घात कर सकते हैं। ये सब डरने के लिए अच्छे कारण हैं। जब हम पवित्रशास्त्र को पढ़ते हैं मन में भय को रखते हुए, तो हम देखते हैं कि “डरो मत” के रूप पवित्रशास्त्र में तीन सौ से अधिक बार पाया जाता है। ये शब्द प्रायः एक आदेश के रूप में पाए जाते हैं, परन्तु नाइन की दुखित विधवा के लिए यीशु के शब्दों के समान (“मत रो”; लूका 7:13), वे वास्तव में दया और शान्ति के शब्द हैं। हम इन्हें सम्पूर्ण पवित्रशास्त्र में पाते हैं जब हमारी परिस्थितियाँ विकट होती हैं और हमें भरोसा दिलाने की आवश्यकता होती हैं कि परमेश्वर हमारे निकट है (उदाहरण के लिए, उत्पत्ति 15:1; 21:17; 46:3; मत्ती 14:27; 28:10)। 

जब आत्मा आपको भय और चिन्ता से सम्बन्धित स्थलों में ले जाता है, तो आप तीन दृढ़ राग सुनेंगे। पहला, परमेश्वर अपने भयभीत लोगों के लिए सुन्दर और आकर्षक शब्द बोलता है। यद्यपि जीवन में अंगीकार और पश्चात्ताप का स्थान है, फटकार की अपेक्षा करने के लिए शीघ्रता मत करें। इसके विपरीत, दया की अपेक्षा करें। सान्त्वना की अपेक्षा करें।

दूसरा, प्रभु प्रतिज्ञा करता है कि वह हमारे साथ है, और वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा और न ही कभी त्यागेगा (इब्रानियों 13:5)। यह वह प्रतिज्ञा है जिसमें अन्य सभी सम्मिलित हैं। यीशु ख्रीष्ट पापों के लिए मरा “ताकि वह हमें परमेश्वर के निकट ला सके” (1 पतरस 3:18)। भयभीत लोग वे लोग हैं जो सुसमाचार को संजोने की स्थिति में है।

तीसरा, क्योंकि प्रभु उपस्थित है और वह ऐसा परमेश्वर है जो कल पर सम्प्रभु हैं, इसलिए आज हम अपना सम्पूर्ण ध्यान परमेश्वर के द्वारा दिए गए कार्य पर लगा सकते हैं (मत्ती 6:33-34)। आज हमारे पास वह सभी अनुग्रह हैं जिनकी हमें आवश्यकता है। आज हमारे पास सामर्थ्य का आत्मा है जो हमें आज्ञाकारिता के छोटे कदमों के लिए तब भी साहस देता है जब आने वाला कल उजाड़ की स्थिति में है। जब कल आएगा, तो आत्मा फिर से हमें वह सामर्थ्य और साहस देगा जिसकी हमें आवश्यकता है। प्रत्येक सुबह अनुग्रह नया है।

जीवन में और पवित्रशास्त्र में भय और चिन्ताएं प्रत्येक स्थान में हैं। क्योंकि वे ऐसे स्थिर हैं, ये तीन राग केवल हमारे भय के विरुद्ध खड़े होने के एक युक्ति नहीं है, परन्तु वे ख्रीष्टिय बढ़ोतरी के प्रक्रिया को सारांशित करते हैं।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
एड वेल्च
एड वेल्च
डॉ एड वेल्च द क्रिश्चियन काउंसलिंग एंड एजुकेशनल फाउंडेशन (CCEF) के एक संकाय सदस्य हैं। तीस से अधिक वर्षों के लिए एक परामर्शदाता रहे हैं, तथा कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिसमें एडिक्शन: ए बैंक्वेट इन द ग्रेव सम्मिलित है।