भय से स्वतन्त्रता - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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भय से स्वतन्त्रता

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का पहला अध्याय है: भय

संसार एक संकटमय स्थान है, जिसमें संकटपूर्ण वस्तु और असुरक्षित लोग भरे हुए हैं। प्रत्येक कोना आपत्ति, कठिन श्रम, तथा फन्दे से भरा हुआ है क्योंकि बुराई वास्तविक है। ख्रीष्टियों के रूप में, हम इस बात को समझते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि पाप और इसके परिणाम संसार में कैसे प्रवेश हुए।

कई गैर-धार्मिक या नास्तिक लोग यह स्वीकार नहीं करना चाहते हैं कि बुराई का अस्तित्व है और यह कि मनुष्य पापी हैं। फिर भी, जब आतंकवादी आक्रमण करते हैं या आपदा आती हैं, तो वे “बुरे कार्यों” या “बुरे लोगों” की बात करने के लिए तत्पर रहते हैं। इस संसार में कष्टों और विपत्तियों के लिए उनके पास अपने स्वयं के शब्द नहीं है; इसलिए, उन्हें हमारे बाइबलीय आधारित विश्वावलोकन से ही शब्दों को लेते हैं। केवल पवित्रशास्त्र बुराई के लिए एक सुसंगत स्पष्टीकरण प्रदान करता है, और केवल परमेश्वर का वचन हमें बताता है कि हम स्वाभाविक रीति से क्यों भयभीत हैं।

हम भय के साथ जन्म लेते हैं, और सहायता के लिए रोते हुए इस संसार में आते हैं। यहां तक कि अजन्मे शिशुओं को अत्यन्त भय का अनुभव होता है जब गर्भपात करने वाले उन्हें खींचकर बाहर निकालते हैं उनकी माताओं के एक बार सुरक्षित, निरापद गर्भों से। छोटे बच्चे अन्धेरे से डरते हैं और उन्हें शान्ति के लिए रात को छोटी रोशनी चाहिए। हम न केवल डरते हैं कि सबसे बुरी आपत्तियाँ हमें और हमारे आस-पास के लोगों पर आएंगी, परन्तु उन सभी तुलनात्मक छोटी विपत्तियों और कठिनाइयों से भी भयभीत होते हैं जिसका हम अनुभव कर सकते हैं।

भय एक मौलिक भावना है जो इतना सामर्थी है कि यह हमारे हृदयों पर कहर ढा सकती है। प्रश्न यह है, हम अपने भय के साथ क्या करें? क्या हम भय के कीचड़ में डूबे रहें, ऐसे कार्य करें जैसे कि हमें कोई भय नहीं है, अपने भय को छिपाने का प्रयास करें, या प्रतापी दृढ़ता के साथ अपने भय का सामना करने का प्रयास करें? या क्या हम परमेश्वर की ओर मुड़ते हैं? केवल जब हम परमेश्वर की ओर मुड़ते हैं तो हम उसे कहते हुए सुनते हैं, “डरो मत।” फिर भी, प्रभु हमें न डरने के लिए इसलिए आज्ञा नहीं देते हैं कि हम अपने डर को अनदेखा कर दें या प्रतापी इच्छाशक्ति द्वारा उन पर विजय पा लें परन्तु इसलिए क्योंकि उसने हमसे प्रतिज्ञा की है, “मैं तुम्हारे साथ हूँ।” क्योंकि प्रभु हमारे साथ है, उसने हमें सिखाया है कि केवल हम उसी का भय मानें। केवल जब हम प्रभु का भय मानते हैं तो अन्य सभी भय लुप्त होने लगते हैं।

यह जानना कि केवल विश्वास के द्वारा ख्रीष्ट के साथ हमारा मिलन हुआ है और हमारे भीतर पवित्र आत्मा वास करता है परमेश्वर से डरना और परमेश्वर का भय मानने के बीच अन्तर है। यह अन्तर है प्रत्येक सम्भावित संकट से भयभीत होने और हमारे सम्प्रभु प्रभु परमेश्वर पर भरोसा रखने में जो हमें कभी नहीं छोड़ेगा और न ही कभी त्यागेगा। पवित्र आत्मा, हमारा शान्ति देने वाला, हमें भय से स्वतन्त्रता में चलने के लिए स्वतन्त्र करता है क्योंकि हम उसी के द्वारा छुड़ाए गए हैं जो हमें अपने हाथ की हथेली में थामे रखता है। यही कारण है कि हम जॉन न्यूटन के साथ गा सकते हैं, “अनुग्रह ने ही मेरे हृदय को भय मानना सिखाया, और अनुग्रह ही ने मेरे डरों को शान्त किया,” और मार्टिल लूथर के साथ, “यद्यपि यह शैतानों से भरा हुआ संसार हमें निरस्त करने की धमकी दें हम नहीं डरेंगे, क्योंकि परमेश्वर की इच्छा है कि उसका सत्य हमारे द्वारा विजयी होगा।”

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
बर्क पार्सन्स
बर्क पार्सन्स
डॉ. बर्क पार्सन्स टेबलटॉक पत्रिका के सम्पादक हैं और सैनफोर्ड फ्ला. में सेंट ऐंड्रूज़ चैपल के वरिष्ठ पास्टर के रूप में सेवा करते हैं। वे अश्योर्ड बाई गॉड : लिविंग इन द फुलनेस ऑफ गॉड्स ग्रेस के सम्पादक हैं। वे ट्विटर पर हैं @BurkParsons.