ट्यूलिप एवं धर्मसुधारवादी ईश्वरविज्ञान: अप्रतिरोध्य अनुग्रह - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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ट्यूलिप एवं धर्मसुधारवादी ईश्वरविज्ञान: अप्रतिरोध्य अनुग्रह

ऐतिहासिक धर्मसुधार की विचारधारा में, विचार यह है: नया जन्म विश्वास से पहले होता है। हम यह भी मानते हैं कि नया जन्म मॉनर्जिस्टिक  (अंग्रेज़ी शब्द जिसका अर्थ समझाया जा रहा है) है। अब यह एक बड़ा प्रभावशाली शब्द है। इसका अर्थ मुख्य रूप से यह है कि नया जन्म या नया-बनाया-जाने का कार्य अकेले परमेश्वर का कार्य है। एर्ग, श्रम की एक इकाई है, काम की एक इकाई है। अंग्रेज़ी में एनेर्जी   (ऊर्जा) शब्द इस विचार से आता है। उपसर्ग मोनो – का अर्थ है “एक।” तो मॉनर्जजिज़्म का अर्थ है “एक कार्य करने वाला।” इसका अर्थ है कि मानव हृदय में नया जन्म का कार्य कुछ ऐसा है जो परमेश्वर केवल अपनी शक्ति से करता है—न तो 50 प्रतिशत उसकी शक्ति से और 50 प्रतिशत मनुष्य की शक्ति से, और न ही 99 प्रतिशत उसकी शक्ति से और 1 प्रतिशत मनुष्य की शक्ति से। यह 100 प्रतिशत परमेश्वर का कार्य है। वह, और केवल वह ही, सामर्थ्य रखता है प्राण और मानव हृदय के स्वभाव को बदलने की जिससे हम विश्वास में लाए जाएं।

इसके साथ ही, जब वह प्राण में इस अनुग्रह का प्रयोग करता है, तो वह उस प्रभाव को भी लाता है जिसकी वह इच्छा रखता है। जब परमेश्वर ने आपको सृजा, तो वह आपको अस्तित्व में लाया। आपने उसकी सहायता नहीं की। यह उसका सार्वभौमिक कार्य था जिसने आपको जैविक रूप से जीवन दिया। इसी रीति से, यह उसका कार्य है, और केवल उसी का है, जो आपको नए जन्म की स्थिति में लाता है और नए सिरे से सृजता है। इसलिए, हम इसे अप्रतिरोध्य अनुग्रह कहते हैं। यह अनुग्रह ही है जो कार्य करता है। यह अनुग्रह है जो वह करता है जिसे परमेश्वर कराना चाहता है। यदि, वास्तव में, हम पापों और अपराधों में मरे हुए हैं, यदि, वास्तव में, हमारी इच्छा-शक्ति हमारे शरीर की वासना द्वारा कैद किए गए हैं और हमें हमारे शरीर से छुड़ाए जाने की आवश्यकता है, तो अन्तिम विश्लेषण में, उद्धार को कुछ ऐसा होना चाहिए जिसे परमेश्वर हम में और हमारे लिए करता है, न कि ऐसा कुछ जिसे हम किसी भी रीति से स्वयं के लिए करते हैं।

किन्तु, अप्रतिरोध्यता का विचार इस विचार को उत्पन्न करता है कि व्यक्ति परमेश्वर के अनुग्रह  के लिए कोई प्रतिरोध दे ही नहीं सकता है। किन्तु, मानव जाति का इतिहास परमेश्वर की कृपा की मिठास के प्रति अथक प्रतिरोध का इतिहास है। अप्रतिरोध्य अनुग्रह का अर्थ यह नहीं है कि परमेश्वर के अनुग्रह का विरोध नहीं किया जा सकता है। वास्तव में, हम परमेश्वर के अनुग्रह का विरोध करने में सक्षम हैं, और हम इसका विरोध करते भी हैं। विचार यह है कि परमेश्वर का अनुग्रह इतना सामर्थी है कि उसमें हमारे प्राकृतिक प्रतिरोध को दूर करने की क्षमता है। ऐसा नहीं है कि पवित्र आत्मा लोगों को उनकी इच्छा के विरुद्ध मसीह के पास घसीटता है। पवित्र आत्मा हमारी इच्छाशक्ति के झुकाव और स्वभाव को बदल देता है, जिससे कि हम जो पहले मसीह को ग्रहण करने के लिए तैयार नहीं थे, अब तैयार हैं, और बहुत अधिक इच्छुक हैं। वास्तव में, हम मसीह की ओर घसीटे नहीं जाते हैं, हम मसीह की ओर दौड़ते हैं, और हम उसे आनन्दपूर्वक ग्रहण करते हैं क्योंकि आत्मा ने हमारे हृदयों को बदल दिया है। वे अब पत्थर के हृदय नहीं हैं जो परमेश्वर की आज्ञाओं और सुसमाचार के निमंत्रणों के प्रति अप्रभावित हैं। परमेश्वर हमारे हृदयों की कठोरता को पिघला देता है जब वह हमें नई सृष्टि बनाता है। पवित्र आत्मा हमें आत्मिक मृत्यु से पुनर्जीवित करता है, ताकि हम मसीह के पास आएं क्योंकि हम मसीह के पास आना चाहते हैं। हम मसीह के पास इसलिए आना चाहते हैं क्योंकि परमेश्वर ने पहले ही हमारे प्राणों में अनुग्रह का कार्य किया है। उस कार्य के बिना, हमें कभी भी मसीह के पास आने की कोई इच्छा नहीं होगी। इसलिए हम कहते हैं कि नया जन्म विश्वास से पहले होता है। 

मुझे अप्रतिरोध्य  अनुग्रह शब्द का उपयोग करने में थोड़ी समस्या है, इसलिए नहीं क्योंकि मुझे इस पारम्परिक सिद्धान्त पर विश्वास नहीं है, परन्तु इसलिए क्योंकि यह बहुत से लोगों के लिए भ्रम उत्पन्न करता है। इसलिए, मुझे प्रभावपूर्ण अनुग्रह शब्द अच्छा लगता है , क्योंकि परमेश्वर का अप्रतिरोध्य अनुग्रह का वह प्रभाव होता है जिसका परमेश्वर प्रभाव चाहता है।

अन्तिम लेख में, हम ट्यूलिप के ‘P’ (सन्तों के अन्त तक बने रहना ) पर विचार करेंगे।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

आर.सी. स्प्रोल
आर.सी. स्प्रोल
डॉ. आर.सी. स्प्रोल लिग्नेएर मिनिस्ट्रीज़ के संस्थापक, सैनफर्ड फ्लॉरिडा में सेंट ऐन्ड्रूज़ चैपल के पहले प्रचार और शिक्षण के सेवक, तथा रेफर्मेशन बाइबल कॉलेज के पहले कुलाधिपति थे। वह सौ से अधिक पुस्तकों के लेखक थे, जिसमें द होलीनेस ऑफ गॉड भी सम्मिलित है।