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– आर.सी. स्प्रोल
मुझे 1945 की उमस भरी गर्मी का वह दिन स्मरण है जब मैं शिकागो की सड़कों पर खेलने में व्यस्त था। उस समय मेरा संसार वहाँ की आस पास की फैली भूमि तक ही सीमित था। मेरे लिए बस इतना ही महत्वपूर्ण था कि अन्ततः मेरी बल्लेबाजी की बारी आ गई। मुझे सबसे अधिक क्रोध तब आया जब पहली ही गेद खेलने के बीच में ही चारों ओर भगदड़ और शोर मच गया। लोग अपने घरों के द्वारों से बाहर भागने लगे, चीखने-चिल्लाने लगे और लकड़ी के चम्मचों से बर्तन पीटने लगे। एक क्षण के लिए मुझे लगा कि सम्भवतः संसार का अन्त यही है। यह निश्चित रूप से मेरे खेल का अन्त था। उस भगदड़ में मैंने अपनी माँ को आँसू बहाते हुए मेरी ओर दौड़ते हुए देखा। उन्होंने मुझे अपनी गोद में उठा लिया और मुझे कसकर पकड़ लिया, बार-बार सिसकते हुए बोलीं, “समाप्त हो गया। समाप्त हो गया। समाप्त हो गया!”
वह 1945 में विश्व युद्ध की समाप्ति पर विजय दिव था। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि इसका क्या अर्थ है, किन्तु एक बात स्पष्ट थी। इसका अर्थ था कि युद्ध समाप्त हो गया था और मेरे पिता घर आ रहे थे। अब दूर देशों को हवाई डाक भेजना नहीं होगा। अब प्रति दिन युद्ध में हुई मृत्यु के समाचारों को नहीं सुनना होगा। अब खिड़की पर सितारों से सजे हुए रेशमी वस्त्रों को नहीं लटकाया जाएगा। अब टिन के भोजन के डिब्बों को कुचलना नहीं होगा । अब राशन के परचे नहीं होंगे। युद्ध समाप्त हो गया था, और अन्ततः हमारे यहाँ शान्ति आ गई थी।
आनन्द उल्लास के उस क्षण ने मेरे बचपन के मस्तिष्क पर गहरी छाप छोड़ दी। मैंने सीखा कि शान्ति महत्वपूर्ण है, और जब यह स्थापित होती है तो न समाप्त होनेवाला उत्सव मनाने का और जब यह खो जाती है तो कड़वे पछतावे का कारण बनती है। उस दिन शिकागो की सड़कों पर मुझे ऐसा लगा कि वह शान्ति सर्वदा के लिए आ गई है। मैं इस बात को नहीं समझता था कि यह कितनी कोमल है। ऐसा लग रहा था कि बहुत कम समय में ही गैब्रियल हीटर जैसे पत्रकार चीन में सैनिकों की बढ़ती संख्या, रूस के परमाणु खतरे, और बर्लिन की घेराबन्दी के विषय में भयावह चेतावनियाँ देने लगे थे। अमेरिका की शान्ति थोडे समय के लिए थी, एक बार पुनः कोरिया और फिर वियतनाम में युद्ध में बदल गयी।
कोमल। अस्थिर। क्षीण। ये सांसारिक शान्ति की सामान्य स्थितियाँ हैं। शान्ति संधियाँ, नियमों के समान, तोड़े जाने के लिए ही बनी हुई लगती हैं। भले ही लाखों नेविल चेम्बरलेन (ब्रिटेन के पूर्व प्रधान मन्त्री) छज्जों पर खडे होकर हाथ हिलाते हुए यह घोषणा करते हैं, “हमने अपने समय के लिए शान्ति प्राप्त कर ली है,” तब भी यह सुनिश्चित नहीं कर पाएँगे कि मानव इतिहास में कभी भी एक अखण्ड शान्ति समझौते के अतिरिक्त कुछ और होगा।
हम शीघ्र ही शान्ति पर बहुत अधिक भरोसा न करना सीख लेते हैं। युद्ध इस बात को बहुत शीघ्रता और सरलता से परिचय करता है। इसके पश्चात् भी हम एक ऐसी स्थायी शान्ति की कामना करते हैं जिस पर हम निर्भर रह सकें। प्रेरित पौलुस ने रोमियों को लिखे अपने पत्र में ठीक इसी प्रकार की शान्ति की घोषणा की थी।
जब परमेश्वर के साथ हमारा पवित्र युद्ध समाप्त हो जाता है; जब हम, लूथर की के समान, स्वर्ग के द्वार से प्रवेश करते हैं, जब हम विश्वास से धर्मी ठहराए जाते हैं, तो युद्ध सदा के लिए समाप्त हो जाता है। पाप से शुद्ध होने और ईश्वरीय क्षमा की घोषणा के साथ, हम परमेश्वर के साथ एक अनन्त शान्ति समझौते में प्रवेश करते हैं। हमारे धर्मी ठहराए जाने का पहला फल परमेश्वर के साथ शान्ति है। यह शान्ति एक पवित्र शान्ति है, एक निष्कलंक और सर्वोत्कृष्ट शान्ति। यह एक ऐसी शान्ति है जिसे नष्ट नहीं किया जा सकता।
जब परमेश्वर शान्ति समझौते पर हस्ताक्षर करता है, तो यह सर्वदा के लिए हस्ताक्षर होता है। युद्ध सदा-सर्वदा के लिए समाप्त हो जाता गया है । निश्चित रूप से हम अभी भी पाप करते हैं; हम अभी भी विद्रोह करते हैं; हम अभी भी परमेश्वर के प्रति शत्रुतापूर्ण कार्य करते हैं। परन्तु परमेश्वर सहयुद्धकारी नहीं है। वह हमारे साथ युद्ध में नहीं फँसेगा। पिता के पास हमारा एक अधिवक्ता है। हमारे पास एक मध्यस्थ है जो शान्ति बनाए रखता है। वह शान्ति से शासन करता है क्योंकि वह शान्ति का राजकुमार और हमारी शान्ति दोनो है।
यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

