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27 जनवरी 2021धर्मी ठहराया जाना और पवित्रीकरण क्या हैं?

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का छठा अध्याय है: सुसमाचार का मुख्य केन्द्र

धर्मी ठहराया जाना और पवित्रीकरण शब्द पाश्चात्य संस्कृति में उपयोग से घट गए हैं। दुःख की बात है, कि ये ख्रीष्टिय कलीसिया से भी ओझल हो रहे हैं। एक कारण कि यह गिरावट चिन्ताजनक है कि बाइबल धर्मी ठहराए जाने और पवित्रीकरण शब्दों का उपयोग ख्रीष्ट के द्वारा पापियों के लिए किए गए उद्धार के कार्य को व्यक्त करने के लिए करती है। कहने का तात्पर्य यह है, कि ये दोनों शब्द बाइबलीय सुसमाचार के हृदय के केन्द्र में पाए जाते हैं। तो, बाइबल धर्मी ठहराए जाने और पवित्रीकरण के विषय में क्या सिखाती है? वे दोनों एक दूसरे से कैसे भिन्न हैं? वे विश्वासी का यीशु ख्रीष्ट के साथ सम्बन्ध को बेहतर समझने में हमारी सहायता कैसे करते हैं?
धर्मी ठहराया जाना क-ख-ग-घ के जैसा सरल है। धर्मी ठहराया जाना परमेश्वर का एक कार्य है। यह उस प्रक्रिया का वर्णन नहीं करता है जिसमें परमेश्वर मनुष्य के भीतर से नया करता है और बदलता है। किन्तु यह एक कानूनी उद्घोषणा है जिसमें परमेश्वर पापी के उसके सम्पूर्ण पापों को क्षमा कर देते हैं और पापी को अपनी दृष्टि में धर्मी के रूप में स्वीकार करता है और मान लेता है। परमेश्वर पापी को उसी क्षण धर्मी घोषित करते हैं जब पापी यीशु ख्रीष्ट पर अपना भरोसा रखता है (रोमियों 3:21-26, 5:16, 2 कुरिन्थियों 5:21)।
इस कानूनी निर्णय का आधार क्या है? परमेश्वर पापी को धर्मी ठहराता है केवल अपने पुत्र, हमारा प्रतिनिधि, यीशु ख्रीष्ट की आज्ञाकारिता और मृत्यु के आधार पर ही। ख्रीष्ट की सिद्ध आज्ञाकारिता और पाप के लिए सम्पूर्ण सन्तुष्टि ही आधार हैं जिस के कारण परमेश्वर पापी को धर्मी घोषित करता है (रोमियों 5:18-19; गलातियों 3:13; इफिसियों 1:7; फिलिप्पियों 2:8)। हम अपने स्वयं के कार्यों से धर्मी नहीं ठहराए जाते हैं; हम केवल हमारे बदले किए गए ख्रीष्ट के कार्य के आधार पर धर्मी ठहराए गए हैं। यह धार्मिकता पापी को प्रदान की गई है। दूसरे शब्दों में, धर्मी ठहराए जाने में, परमेश्वर अपने पुत्र की धार्मिकता को पापियों के खाते में डालता है। जिस प्रकार से मेरे पापों को क्रूस पर यीशु के ऊपर हस्तांतरित कर दिए गए थे, वैसे ही उसकी धार्मिकता भी मेरे लिए गिन ली जाती है (2 कुरिन्थियों 5:21)।
पापी किस साधन से धर्मी ठहराए जाते हैं? पापी केवल विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराए जाते हैं, जब वे ख्रीष्ट में अपने भरोसे का अंगीकार करते हैं। हम धर्मी नहीं ठहराए गए क्योंकि हमने कुछ अच्छा किया है, कर रहे हैं, या करेंगे। विश्वास धर्मी ठहराए जाने का एकमात्र साधन है। विश्वास कुछ भी नहीं जोड़ता है हमारे बदले ख्रीष्ट के कार्य में। विश्वास सुसमाचार में प्रस्तुत की गई यीशु ख्रीष्ट की धार्मिकता को केवल ग्रहण करता है (रोमियों 4:4-5)।
अन्ततः, बचाए जाने वाला विश्वास को अपने आप को सच्ची वस्तु के रूप में प्रदर्शित करना होगा भले कार्यों को करने के द्वारा। यह सम्भव है कि बचाने वाले विश्वास का दावा करना परन्तु बचाने वाला विश्वास पास न हो (याकूब 2:14-25)। जो बात सच्चे विश्वास को केवल विश्वास के दावे से भिन्न करती है, वह है भले कार्यों की उपस्थिति (गलातियों 5:6)। हम किसी भी तरह से अपने भले कार्यों के द्वारा धर्मी नहीं ठहराए जाते हैं। लेकिन कोई भी व्यक्ति अपने आप को तब तक धर्मी व्यक्ति नहीं मान सकता है जब तक वह अपने जीवन में धर्मी ठहराने वाले विश्वास के फल और प्रमाण को नहीं देखता है; अर्थात्, भले कार्य को।
धर्मी ठहराया जाना और पवित्रीकरण दोनों सुसमाचार के अनुग्रह हैं; वे सदैव एक दूसरे के साथ रहते हैं, और वे पापियों के पाप से व्यवहार करते हैं। किन्तु वे कुछ महत्वपूर्ण तरीकों से भिन्न हैं। पहला, जहाँ धर्मी ठहराया जाना हमारे पाप के दोष को सम्बोधित करता है, पवित्रीकरण हमारे जीवनों में पाप के प्रभुत्व और भ्रष्टता को सम्बोधित करता है। धर्मी ठहराया जाना परमेश्वर के द्वारा पापियों को धर्मी घोषित किया जाना है; पवित्रीकरण परमेश्वर के द्वारा हमारे सम्पूर्ण व्यक्तित्व का नवीनीकरण और परिवर्तन किया जाना है—हमारे मन, इच्छाएं, स्नेह और व्यवहार। यीशु ख्रीष्ट की मृत्यु और पुनरुत्थान में एक होते हुए और ख्रीष्ट के आत्मा द्वारा अन्तर्वास किए जाते हुए, हम पाप के शासन के लिए मर गए हैं और धार्मिकता के लिए जीवित हैं (रोमियों 6:1-23, 8:1-11)। हम इसीलिए बाध्य हैं पाप को मारने और अपने “सदस्यों को धार्मिकता के साधन के रूप में परमेश्वर के लिए” प्रस्तुत करने के लिए (6:13; देखें 8:13)।
दूसरा, हमारा धर्मी ठहराया जाना पूर्ण तथा समाप्त कार्य है। धर्मी ठहराए जाने का अर्थ है कि प्रत्येक विश्वासी सम्पूर्ण रूप से और अन्ततः मुक्त है दण्ड तथा परमेश्वर के प्रकोप से (रोमियों 8:1, 33-34, कुलुस्सियों 2:13ब-14)। पवित्रीकरण, हालांकि, हमारे जीवन में सर्वदा चलने वाला और प्रगतिशील कार्य है। यद्यपि प्रत्येक विश्वासी एक बार सदा के लिए पाप के दास्तत्व से बाहर लाए जाता है, हम तुरन्त सिद्ध नहीं बनाए जाते हैं। हम पाप से पूर्ण रीति से स्वंत्रत नहीं होंगे जब तक हमें अन्तिम दिन में पुनरुथान प्राप्त नई देह न मिल जाए।
यीशु ख्रीष्ट ने धर्मी ठहराया जाना और पवित्रीकरण दोनों को अपने लोगों के लिए जीत लिया है। दोनों अनुग्रह यीशु ख्रीष्ट में विश्वास से सम्बन्धित हैं, परन्तु भिन्न मायनों में। धर्मी ठहराए जाने में, हमारे विश्वास का परिणाम है कि हम क्षमा किए जाते हैं, ग्रहण किए जाते हैं, और परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी गिने जाते हैं। पवित्रीकरण में, वही विश्वास सक्रिय रूप से और उत्सुकता से उन सभी आज्ञाओं को अपनाता है जो ख्रीष्ट ने विश्वासी को दी हैं। हम धर्मी ठहराए जाने और पवित्रीकरण को विभाजित या मिलान करने का साहस न करें। हम उनमें भेद अवश्य करते हैं। और, इन दोनों ही अनुग्रहों में, हम प्रवेश करते हैं ख्रीष्ट के साथ सहभागिता के प्रचुरता और आनन्द में उसमें विश्वास के द्वारा।
