छुटकारे की वाचा क्या है? - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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छुटकारे की वाचा क्या है?

एक परम्परा के अनुसार जब सृष्टि के सिद्धान्त के सम्बन्ध में एक संदेहवादी के द्वारा उपहास किया गया, संत ऑगस्टीन से व्यंग्य पूर्वक तरीके से पूछा गया था, “परमेश्वर संसार की सृष्टि करने से पहले क्या कर रहा था? ऑगस्टीन का कथित उत्तर था: “वह जिज्ञासू आत्माओं के लिए नरक बना रहा था।”

उत्तर, अवश्य ही, हास्यमय था। बाइबल, स्वयं सृष्टि से पहले इस प्रकार की परमेश्वरीय सृष्टि के विशेष कार्य की बात नहीं करती है। पर ऑगस्टीन की निपुण टिप्पणी  में एक गम्भीर बिन्दु था जो अनन्त काल में परमेश्वर की गतिविधि की निष्क्रिय अटकलों के विरुद्ध चेतावनी थी।

फिर भी, अनुमान से बहुत अलग, संसार की सृष्टि से “पहले” परमेश्वर की गतिविधि के विषय में बाइबल में बताने के लिए बहुत है। बाइबल प्रायः परमेश्वर के सनातन सम्मति, उसके उद्धार के योजना और ऐसी बातों की बात करती है। यह ईश्वरविज्ञानीय अत्यावश्यकता की बात है कि मसीही परमेश्वर को एक अधिपति के जैसे नहीं सोचते जो बिना किसी पूर्व तैयारी के ब्रह्माण्ड पर अपना प्रभुत्व रखता है। परमेश्वर “जैसे समय बीतता है वैसे बातों को नहीं बनाता है।” और न ही उसे एक अनाड़ी प्रशासक के रूप में देखा जाना चाहिए जो अपनी योजना में इतना अयोग्य है कि मनुष्यों के कार्यों के अनुसार छुटकारे के लिए उसकी मूल योजना निरन्तर पुन: अवलोकन के लिए सौंपी जानी चाहिए। पवित्रशास्त्र के परमेश्वर के पास कोई “दूसरी योजना ” या “तीसरी योजना ” नहीं है। उसकी “पहली योजना” अनादिकाल से अनन्तकाल तक है। यह परिपूर्ण और अपरिवर्तनीय दोनों है क्योंकि यह परमेश्वर के सनातन चरित्र पर टिकी हुई है, जो और भी गुणों के मध्य में से है जैसे पवित्रता, सर्वोपस्थिति, और अपरिवर्तनशील हैं। परमेश्वर के सनातन योजना की पुनरावृत्ति नहीं की जाती है क्योंकि इसके भीतर नैतिक अपूर्णताए हैं जिन्हें शुद्ध किया जाना चाहिए। उसकी योजना को सुधारा या परिशोध नहीं किया गया है क्योंकि उसे नया ज्ञान प्राप्त हुआ जिसकी आरम्भ में उसके पास कमी थी। परमेश्वर की योजना कभी नहीं बदलती है क्योंकि वह कभी नहीं बदलता है और क्योंकि उसकी परिपूर्णता में कोई स्तर नहीं हैं और न ही उसको सुधारा जा सकता है।

छुटकारा की वाचा परमेश्वर की अनन्त  योजना के साथ घनिष्ट रूप से सम्बन्धित है। इसे “वाचा” कहा जाता है क्योंकि इस योजना में दो या अधिक पक्ष सहभागी होते हैं। यह वाचा परमेश्वर और मनुष्य के बीच में नहीं है। यह वाचा परमेश्वरत्व के व्यक्तियों के बीच में है, विशेष कर के पिता और पुत्र के बीच में है। परमेश्वर सृष्टि में या देहधारण में त्रिएक नहीं हुआ। जब से उसका अस्तित्व है तब से ही उसकी त्रिएकता भी है। अनन्तकाल से वह सारतत्व में एक है और व्यक्ति में तीन है।

छुटकारा की वाचा त्रिएक सिद्धान्त का एक उप परिणाम है। त्रिएकता  शब्द के समान, बाइबल में इस शब्द को स्पष्ट रूप से कहीं भी उल्लेख नहीं किया गया है। बाइबल में त्रिएकता  शब्द स्पष्ट दिखाई नहीं देता  है, किन्तु त्रिएकता का विचार बाइबल में आरम्भ से अन्त तक दृढ़ता पूर्वक समर्थन किया गया है। उसी प्रकार, “छुटकारे  की वाचा” का वाक्यांश बाइबल में स्पष्ट रूप से कहीं नहीं है किन्तु आरम्भ से अन्त तक इस विचार की घोषणा की गई है।

यीशु के सन्देश की केन्द्र बिन्दु घोषणा है कि वह पिता के द्वारा संसार में भेजा गया था। उसका विशेष कार्य उसके बपतिस्मा के समय या चरनी में नहीं दिया गया। उसके देहधारण के पहले से ही यह उसके पास था।

फिलिप्पियों 2 के महान “रिक्तीकरण भजन” में, हम इसकी एक झलक को पाते हैं: “अपने में वही स्वभाव रखो जो मसीह यीशु में था, जिसने परमेश्वर के स्वरूप में होते हुए भी परमेश्वर के समान होने को अपने अधिकार में रखने की वस्तु न समझा। उसने अपने आप को ऐसा शून्य कर दिया कि दास का स्वरूप धारण कर मनुष्य की समानता में हो गया। इस प्रकार मनुष्य के रूप में प्रकट होकर स्वयं को दीन किया और यहां तक आज्ञाकारी रहा कि मृत्यु वरन् क्रूस की मृत्यु भी सह ली। इस कारण परमेश्वर ने उसको अति महान भी किया जो सब नामों में श्रेष्ठ है, कि यीशु के नाम पर प्रत्येक घुटना टिके, चाहे वह स्वर्ग में हो या पृथ्वी पर या पृथ्वी के नीचे, और परमेश्वर पिता की महिमा के लिए प्रत्येक जीभ अंगीकार करे कि यीशु मसीह ही प्रभु है” (फिलिप्पियों 5:5-11)।

यह खण्ड बहुत बातों को प्रकट करता है। यह पिता के आदेश पर छुटकारे के एक लक्ष्य के उत्तरदायित्व को लेने के लिए पुत्र की तत्परता की बात करता है। इस बात की साक्षी कि यीशु पिता की इच्छा पूरा कर रहा था उसके जीवन के हर पहलू से प्रमाणित होता है। मन्दिर में एक छोटे बालक के रूप में उसने अपने लौकिक माता-पिता को याद दिलाया कि उसे अपने स्वर्गीय पिता के काम पूरा करना था। उसका खाना और पीना उसके पिता की इच्छा को पूरा करना था। उसके पिता के घर की धुन उसको खाती थी। उसने बार-बार घोषणा किया कि वह अपने अधिकार में नहीं बोल रहा था वरन् उसके अधिकार में जिसने उसे भेजा।

यीशु प्रधान सुसमाचार का सेवक (missionary) है। जैसे की यह शब्द सुझाव देता है कि एक सुसमाचार का सेवक वह है जो “भेजा गया” है। अनन्त वचन ने अपने आप में यह निर्णय नहीं लिया कि वह इस ग्रह में उसके छुटकारे के लिए आएगा। वह यहाँ भेजा गया था। उद्धार की योजना में पुत्र पिता के आदेश को पूरा करने के लिए आता है।

छुटकारे की वाचा का केन्द्र बिन्दु यह है कि पुत्र स्वेच्छा से आता है। वह पिता के द्वारा बलपूर्वक अपनी महिमा को त्यागने और अपमान को सहने के लिए विवश नहीं किया गया। वरन्, उसने स्वेच्छा से “अपने आपको आदर-रहित बनाया”। पिता ने पुत्र को उसकी अनन्त महिमा से वंचित नहीं किया परन्तु पुत्र ने हमारे उद्धार के लिए अस्थायी रूप से इसे किनारे रखना स्वीकार किया।

यीशु को सुनें जब वह अपनी सेवा के अन्त में पिता से प्रार्थना करता है: “हे पिता, समय आ गया है। अब तू अपने साथ मेरी महिमा उस महिमा से कर जो जगत की उत्पत्ति से पहले, तेरे साथ मेरी थी” (यूहन्ना 17:5)। छुटकारे की वाचा एक लेन-देन थी जिसमें दायित्व और प्रतिफल दोनों सम्मिलित थे। पुत्र ने पिता के साथ एक पवित्र समझौते में प्रवेश किया। उसने उस वाचा के दायित्वों के प्रति स्वयं को अधीन कर दिया। उसी प्रकार से एक दायित्व पिता के द्वारा मान लिया गया था—अपने पुत्र को छुटकारे के कार्य करने के लिए एक पुरस्कार समर्पित करने के लिए।

चार्ल्स हॉड्ज, अपने विधिवत ईश्वरविज्ञान में, अनन्त काल में बनाए गए इस समझौते में पिता द्वारा पुत्र को दिए गए आठ प्रतिज्ञाओं को सूचीबद्ध करता है। वे संक्षेप में हैं: कि परमेश्वर अपने पुत्र के लिए एक शुद्ध कलीसिया का गठन करेगा; कि पुत्र बिना परिमाप के आत्मा को ग्रहण करेगा; कि वह उसका समर्थन करने के लिए सदैव उपस्थित रहेगा; कि वह उसे मृत्यु से छुड़ाएगा और उसे अपने दाहिने हाथ में उन्नत करेगा; कि उसके पास पवित्र आत्मा होगा अपनी इच्छा के अनुसार लोगों को भेजने के लिए; कि वे सभी जिनको पिता ने उसे दिया है वे सभी उसके पास आएंगे और उनमें से कोई भी नहीं खोएगा; कि एक बड़ा झुण्ड उसके छुटकारे में और उसके मसीहाई राज्य में  सहभागी होंगे; कि वह अपने आत्मा के घोर परिश्रम को देखेगा और उसमें संतुष्ट होगा।

क्योंकि परमेश्वर ने छुटकारा की अनन्त वाचा का सम्मान किया, मसीह अपने पिता के प्रतिज्ञाओं का उत्तराधिकारी बन गया है। क्योंकि इस वाचा का कभी भी उल्लंघन नहीं किया गया, हम इसके लाभों को परमेश्वर के उत्तराधिकारी और मसीह के सह उत्तराधिकारियों के रूप में प्राप्त करते हैं।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

आर.सी. स्प्रोल
आर.सी. स्प्रोल
डॉ. आर.सी. स्प्रोल लिग्नेएर मिनिस्ट्रीज़ के संस्थापक, सैनफर्ड फ्लॉरिडा में सेंट ऐन्ड्रूज़ चैपल के पहले प्रचार और शिक्षण के सेवक, तथा रेफर्मेशन बाइबल कॉलेज के पहले कुलाधिपति थे। वह सौ से अधिक पुस्तकों के लेखक थे, जिसमें द होलीनेस ऑफ गॉड भी सम्मिलित है।