परमेश्वर का भय मानने का क्या अर्थ है? - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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परमेश्वर का भय मानने का क्या अर्थ है?

हमें बाइबल पर आधारित परमेश्वर के “भय” के अर्थ के विषय में कुछ महत्वपूर्ण भेद बनाने की आवश्यकता है। ये भेद सहायक हो सकते हैं, किंतु ये थोड़े ख़तरनाक भी हो सकते हैं। जब लूथर ने उससे संघर्ष किया, तो उसने यह भेद बनाया, जो तब से थोड़ा प्रसिद्ध हो गया: उसने दास  के भय और संतान  के भय के मध्य भेद किया।

दासों का भय एक ऐसा भय है जो एक बन्दी को यातना कक्ष में अपने सताने वाले, जेल के अधिकारी, या जल्लाद के प्रति होता है। यह उस प्रकार की भयानक चिन्ता है जिसमें व्यक्ति भयभीत हो जाता है उस स्पष्ट और वर्तमान खतरे के कारण जिसका प्रतिनिधित्व दूसरा व्यक्ति करता है। या यह उस प्रकार का भय है जिसे एक दास अपने दुर्भावनापूर्ण स्वामी के प्रति रखता है जो कोड़ा लेकर आता है और दास को सताता है। दासों का भय एक दुष्ट स्वामी के प्रति दासता की स्थिति को संदर्भित करता है।

लूथर ने इसमें और संतान के भय में भेद किया, उस लतीनी अवधारणा से लेते हुए जहां से हम अंग्रेज़ी में परिवार (फैमली ) के विचार को पाते हैं। यह उस भय से सम्बन्धित है जो पिता के प्रति एक बच्चे में होता है। इस सम्बन्ध में, लूथर एक ऐसे बच्चे के बारे में सोच रहा है, जो अपने पिता और माता का बहुत सम्मान करता है और बहुत प्रेम करता है और जो उनको प्रसन्न करने के लिए बहुत इच्छुक है। उसके पास भय या चिन्ता है कहीं वह उन लोगों को ठेस न पहुँचाए जिनसे वह प्रेम करता है, इसलिए नहीं क्योंकि वह यातना या दण्ड से डरता है, वरन् इसलिए क्योंकि वह उस व्यक्ति को अप्रसन्न करने से डरता है जो उस बच्चे के संसार में, सुरक्षा और प्रेम का स्रोत है।

मैं सोचता हूँ कि यह भेद करना सहायक है क्योंकि परमेश्वर के भय मानने का आधारभूत अर्थ है जिसके विषय में हम व्यवस्थाविवरण में पढ़ते हैं, वह बुद्धि के साहित्य में भी है, जहाँ हमें बताया जाता है कि “यहोवा का भय मानना बुद्धि का आरम्भ है।” यहाँ पर मुख्य ध्यान परमेश्वर के गौरव भय और आदर की भावना पर है। इसका प्रायः समकालीन इवैन्जेलिकल मसीहियत में अभाव पाया जाता है। हम परमेश्वर के साथ बहुत ही अविनीत और लापरवाह होते हैं, जैसे कि हमारा पिता के साथ ढीला सम्बन्ध था। हम उसे अब्बा, पिता कहने के लिए और हम से प्रतिज्ञा की गई व्यक्तिगत आत्मीयता के लिए आमंत्रित किए गए हैं, परन्तु अभी-भी हमें परमेश्वर के साथ अविनीत नहीं होना चाहिए। हमें सदैव उसके प्रति एक स्वस्थ सम्मान और प्रशंसा बनाए रखना चाहिए।

एक अन्तिम बात: यदि वास्तविकता में हमारे पास परमेश्वर के प्रति स्वस्थ सम्मान है, तब भी हमारे पास इस ज्ञान का तत्व होना चाहिए कि परमेश्वर भयावह हो सकता है। “जीवित परमेश्वर के हाथों में पड़ना भयंकर बात है” (इब्रानियों 10:31) पापी लोग होने के नाते, हमारे पास परमेश्वर के न्याय से भयभीत होने का बहुत कारण है; परमेश्वर के साथ मेल-मिलाप होने की प्रेरणा का एक भाग यह है।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

आर.सी. स्प्रोल
आर.सी. स्प्रोल
डॉ. आर.सी. स्प्रोल लिग्नेएर मिनिस्ट्रीज़ के संस्थापक, सैनफर्ड फ्लॉरिडा में सेंट ऐन्ड्रूज़ चैपल के पहले प्रचार और शिक्षण के सेवक, तथा रेफर्मेशन बाइबल कॉलेज के पहले कुलाधिपति थे। वह सौ से अधिक पुस्तकों के लेखक थे, जिसमें द होलीनेस ऑफ गॉड भी सम्मिलित है।