परमेश्वर का राज्य क्या है? - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ %
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परमेश्वर का राज्य क्या है?

परमेश्वर का राज्य क्या है? इसका उत्तर सरलता से दिया जा सकता है: परमेश्वर का राज्य सब के ऊपर परमेश्वर का सर्वोच्च और सम्प्रभु शासन और प्रभुता है। परन्तु पूरी बाइबल की शिक्षा को ध्यान में रखते हुए विस्तार से भी उत्तर दिया जा सकता है। इसलिए, परमेश्वर का राज्य क्या है, इसे उचित रीति से समझने के लिए, हमें इसे बाइबलीय रीति से समझना होगा कि परमेश्वर का राज्य कब और कैसे होगा। या इसे इस प्रकार भी कहा जा सकता है, “पवित्रशास्त्र हमें परमेश्वर के राज्य के स्वभाव के विषय में क्या शिक्षा देता है जब वह हमें शिक्षा देता है कि परमेश्वर का राज्य कब और कैसे आता है?”

यीशु ख्रीष्ट के आने से पहले के समय में, कई यहूदी अपेक्षा करते थे कि उनका मसीहा, जिनके लिए वे बहुत समय से प्रतीक्षा कर रहे थे, एक ही बार में परमेश्वर के राज्य की परिपूर्णता को लाएगा। वे विश्वास करते थे कि मसीहा जगत को अपने नियन्त्रण में लेगा; कैसर, रोम, और सभी शासकों को उखाड़ फेंकेगा, इस्राएल को छुड़ाएगा और उसके शत्रुओं का विनाश करेगा। इस विश्वास को ध्यान में रखते हुए, कुछ लोगों ने यीशु को अपना सांसारिक राजा बनाने की माँग की, और जब उसने इसकी अनुमति नहीं दी तो वे चकित हो गए। इसलिए कई यहूदी यीशु से निराश हो गए और उसके पीछे चलना बन्द कर दिया। उन्हें विश्वास नहीं था कि उनका मसीहा ऐसा हो सकता है क्योंकि वह उनकी अपेक्षाओं के अनुसार एक विजयी राजा के रूप में नहीं आया था। वे उसकी नम्रता से, उसके सन्देश से कि हमें अपने शत्रुओं के लिए प्रार्थना करनी चाहिए, इस बात से कि उसने पतरस को तलवार नीचे रखने के लिए कहा, घोड़े के स्थान पर गदही के बच्चे पर सवार होने से, शासकों के सामने अपनी रक्षा न करने से, और स्वयं को क्रूस पर चढ़ाए जाने की अनुमति देने से भौचक्के रह गए। वे एक दुःख उठाने वाले दास की अपेक्षा नहीं कर रहे थे जिसने मन्दिर को साफ किया जिससे कि परमेश्वर का भय मानने वाले अयहूदी लोग आराधना कर सकें, जिसने घोषणा की कि परमेश्वर ने जगत से प्रेम किया, और जिसने कहा, “जो कैसर का है उसे कैसर को दो।” कई यहूदी परमेश्वर के राज्य को त्रुटिपूर्वक समझते थे क्योंकि उनके पास देखने के लिए आँखें नहीं थी न समझने के लिए हृदय कि उनका इब्रानी पवित्रशास्त्र परमेश्वर के राज्य के विषय में क्या शिक्षा देता है। इसलिए, वे उसका अनुसरण करने लगे जिसे वे समझ सकते थे— अर्थात् उनकी अपनी परम्पराओं का।

जब यीशु ने परमेश्वर के राज्य के विषय में शिक्षा दी, तो उसने प्राथमिक रीति से राज्य के स्वभाव के विषय मे शिक्षा दी जिससे के उसके अनुयायी समझ सकें कि उसके पहले आगमन में उसने परमेश्वर के राज्य का उद्घाटन किया और उसे स्थापित किया, कि पवित्र आत्मा के द्वारा वह अब परमेश्वर के राज्य को फैला रहा है और बढ़ा रहा है, और वह एक दिन सब लोगों का न्याय करने के लिए पुनः आएगा। जब वह आएगा, तो वह परमेश्वर के राज्य को पूर्ण और अन्तिम रीति से सम्पन्न करेगा; नया आकाश और नई पृथ्वी स्थापित करेगा; अपने और हमारे सभी शत्रुओं को हराएगा; उन सब को बचाएगा जो सच्चे इस्राएल हैं और जिनका विश्वास से उसके साथ मिलन हुआ है; हमारी आँखों से प्रत्येक आँसू पोछेगा; और सम्पूर्णता से पाप और मृत्यु को हटाएगा। ख्रीष्ट ने इन सब को क्रूस पर प्राप्त किया और अपने विजयी पुनरुत्थान में प्रकट किया।

यह लेख मूलतः लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़ ब्लॉग में प्रकाशित किया गया।

बर्क पार्सन्स
बर्क पार्सन्स
डॉ. बर्क पार्सन्स टेबलटॉक पत्रिका के सम्पादक हैं और सैनफोर्ड फ्ला. में सेंट ऐंड्रूज़ चैपल के वरिष्ठ पास्टर के रूप में सेवा करते हैं। वे अश्योर्ड बाई गॉड : लिविंग इन द फुलनेस ऑफ गॉड्स ग्रेस के सम्पादक हैं। वे ट्विटर पर हैं @BurkParsons.