शिष्य अपने पापों को अंगीकार करते हैं - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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शिष्य अपने पापों को अंगीकार करते हैं

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का सातवां अध्याय है: शिष्यता

प्रेरित यूहन्ना 1 यूहन्ना 1:8-9 में वर्णन करता है हमारे स्वयं के पापों को देखने के दो तरीकों का, और उनके परिणामों का। पहला है स्वयं के पापी होने को स्वीकार करने की अनिच्छा (पद 8)। दूसरा है अनुभूति के एक नम्र एवं सच्चा मनोभाव (पद 9)। इस लेख में हम इस अन्तिम मनोभाव पर ध्यान केन्द्रित करेंगे।

यूहन्ना कहता है, “यदि हम अपने पापों को मान लें तो वह हमारे पापों को क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है” (पद 9)। “मान लेने” का शाब्दिक अर्थ है “वही बात कहना,” अर्थात्, किसी और की बात से सहमत होना। सन्दर्भ स्पष्ट करता है कि हमारे पापों को मान लेने का अर्थ है कि हमारे विषय में परमेश्वर ने जो कहा है उस से सहमत होना कि हम पापी हैं और हमने पाप किया है।

यद्यपि रोमन कैथोलिक सिद्धांत शिक्षा देता है की पाप क्षमा के लिए एक पुरोहित के पास जाकर पापों का अंगीकार करने की आवश्यकता है, हमारे खण्ड का सन्दर्भ यूहन्ना की शिक्षा को स्पष्ट करता है: हमें अपने पापों को पहले परमेश्वर के समक्ष स्वीकार करना है, क्योंकि मात्र वह ही हमें क्षमा कर सकता है और हमारे अपराधों को दूर कर सकता है। पवित्रशास्त्र के अन्य खण्ड शिक्षा देते हैं कि हमें कुछ अवसरों पर, उन लोगों के समक्ष अपने अपराध को स्वीकार करना आवश्यक है जिन्हें हमारे पापों के कारण हानि हुई है, ताकि हमारी त्रुटि से जो संगति बाधित हुआ है उसे सुधारा जा सके (लूका 15:21)।

सभी सच्चे विश्वासियों को अपने पापों को स्वीकार करने में अनुभव करते हैं कि परमेश्वर हमें हमारे पापों से क्षमा करने और हमें सब अधर्म से शुद्ध करने में विश्वासयोग्य है (1 यूहन्ना 1:9)। “विश्वासयोग्य” शब्द का अर्थ भरोसेमंद होने से सम्बन्धित है। विश्वासयोग्यता या भरोसेमंद होना परमेश्वर के गुणों में से एक है। उसकी विश्वस्तता में वह सर्वदा पूरा करते है जो वह प्रतिज्ञा करता है। परमेश्‍वर अपने लोगों से की गयी क्षमा करने की अपनी प्रतिज्ञा को पूरी करेगा, ऐसी प्रतिज्ञाएँ जो यीशु के लहू से बांधी गई हैं (देखें 1:7), जब हम नम्रतापूर्वक अपने पापों को स्वीकार करते हैं। इस प्रकार, हम जानते हैं कि क्षमा की निश्चितता इस बात का आभास होना नहीं है कि हमें क्षमा कर दिया गया है, परन्तु यह है कि परमेश्वर ने जो प्रतिज्ञा की है, उसे पूरा करने में वह विश्वासयोग्य है। और वह स्वयं अपना इनकार नहीं कर सकता (2 तीमुथुयुस 2:13)।

यूहन्ना आगे कहता है कि “परमेश्वर हमारे पापों को क्षमा करने में धर्मी” है (1 यूहन्ना 1:9)। यीशु की बलिदान की मृत्यु निश्चित रूप से इस कथन का आधार है। परमेश्वर वह करेगा जो सही है: वह हमें क्षमा करेगा और हमें सभी बुराइयों से मुक्त करेगा, क्योंकि यीशु ख्रीष्ट ने हमारे पापों के लिए पहले ही दाम चुका दिया है।

यूहन्ना दो बातों का उल्लेख करता है जो विश्वासयोग्य और न्यायपूर्ण परमेश्वर करेगा यदि हम अपने पापों को मान लेते हैं: उन्हें क्षमा करेगा और हमें सभी अधर्मों से मुक्त करेगा। पहली बात, परमेश्वर हमारे पापों को क्षमा करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है (पद 9)। यूनानी भाषा में क्षमा  को, जब पाप के सम्बन्ध में उपयोग किया जाता है, तो इसका अर्थ “रद्द करना” या “छोड़ देना” होता है। दूसरी बात, परमेश्वर हमारे अधर्म से हमें शुद्ध करने करने में विश्वासयोग्य और धर्मी है (पद 9; देखें)। यह अन्तिम वाक्य परमेश्वर की क्षमा के एक अन्य पहलू पर बल देता है: यह हमारे जीवन से पाप के दाग और परिणामों को दूर करता है।

अपने पापों का अंगीकार करने के द्वारा हमें परमेश्वर से जो क्षमा प्राप्त होती है वह हमारे पाप करते रहने के लिए प्रोत्साहन नहीं है। परमेश्वर की क्षमा और अनुग्रह की अभिव्यक्ति एक पाप रहित जीवन के लिए है। जो कोई भी पाप के अंगीकार का दुरुपयोग पाप करते रहने के लिए करता है निश्चित रूप से कभी भी परमेश्वर द्वारा क्षमा नहीं किया गया है और स्वयं को धोखा दे रहा है।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
ऑगस्टस निकोडेमस लोपेस
ऑगस्टस निकोडेमस लोपेस
डॉ. ऑगस्टस निकोडेमस लोपेस ने पहले गोइयानिया, ब्राज़िल के फर्स्ट प्रेस्बिटेरियन चर्च के वरिष्ठ पास्टर के रूप में सेवा की। वे कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें द सुप्रिमसी एण्ड सफिशीयन्सी ऑफ क्राइस्ट सम्मिलित है।