शिष्य अपने हृदयों में परमेश्वर के वचन को संचित रखते हैं - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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शिष्य अपने हृदयों में परमेश्वर के वचन को संचित रखते हैं

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का ग्यारवां अध्याय है: शिष्यता

“क्या मैं? पवित्रशास्त्र को कंठस्ठ करूँ? किन्तु अब मैं एक बच्चा नहीं रहा। अब मैं बच्चों को सिखाता हूँ। मैं सिखाता हूँ; वे सीखते हैं।” हालाँकि सम्भवत: ये वयस्क ख्रीष्टीयता के वास्तविक शब्द नहीं हैं, पर ऐसी भावनाएं बहुत से लोगों के स्वभाव का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्होंने वास्तव में विशेष पवित्रशास्त्र के खण्ड को कई वर्षों में कंठस्थ नहीं किया है (सम्भवतः कभी भी नहीं)।

हालाँकि, ख्रीष्ट के एक सच्चे शिष्य के लिए, जो वास्तव में ख्रीष्ट के जैसा बनना चाहता है, पवित्रशास्त्र को कंठस्थ करना एक बड़ा महत्वपूर्ण अनुशासन है। यदि आपने पवित्रशास्त्र को बचपन में कंठस्थ किया, तो सम्भवतः आपने भजन 119:11 कंठस्थ किया होगा: “तेरे वचन को मैंने हृदय में संचित किया है, कि तेरे विरुद्ध पाप न करूँ”। भजन 119 बाइबल में न केवल सबसे लम्बा अध्याय है, परन्तु यह स्मरणीय शैलीगत विशेषताओं द्वारा भी चिह्नित है। यह इब्रानी कविता बाईस छंदों में विभाजित है, उनमें से प्रत्येक इब्रानी भाषा की वर्णमाला के एक अक्षर के लिए एक है। छंद में प्रत्येक पद एक विशेष अक्षर के साथ आरम्भ होता है। यह वर्णमाला पर आधारित संरचना कंठस्थ करने में सहायता करने के लिए था।

इस भजन की न केवल लम्बाई और इसका साहित्यिक रूप ध्यान देने योग्य हैं, परन्तु इसका उत्कृष्ट विषय भी। आरम्भ से अन्त तक, हर एक पद  परमेश्वर के वचन के बारे में है। छंद बेथ  का आरम्भ होता है: “जवान अपनी चाल को कैसे शुद्ध रखे? तेरे वचन के अनुसार चलने से” (पद 9)। इसके छंद का अन्त होता है: “मैं तेरे उपदेशों पर मनन और तेरे मार्गों पर ध्यान करूँगा। मैं तेरी विधियों में आनन्दित होऊंगा और तेरे वचन को न भूलूंगा” (पद 15-16)। हमारी आत्माओं के शत्रु की चालों से दूर रहने और बचने की कुंजी वचन को जानना, वचन पर मनन करना, और वचन को स्मरण रखना है। इन निर्देशों के ठीक मध्य में वचनों को कंठस्थ करना बाइबल का आदेश है।

एक यहूदी पिता के पवित्र कार्यों में से एक कार्य था अपने बच्चों को तोरह (उत्पत्ति-व्यवस्थाविवरण) से परिचित कराना और ज़ोर देना कि परमेश्वर ने जो कहा था उसे ठीक ठीक कंठस्थ करना है (व्यवस्थाविवरण 6:4-7)। इस प्रकार, व्यवस्था को बच्चे के आरम्भिक दिनों से ही उसके लिए सुनाया जाना, और मुख्य खण्ड को बार-बार दोहराया जाना था। क्योंकि अधिकांश परिवार बहुत गरीब थे और पुराने नियम के चर्म पत्रों के संग्रह को स्वयं के लिए रख सकते थे, इसलिए स्मरण शक्ति को विकसित करना आवश्यक था।

वह जो पवित्रशास्त्र को कंठस्थ करता है, वह कई लाभ उठाएगा। सबसे बड़ी बात तो यह है कि पवित्रशास्त्र शैतान के प्रलोभनों का विरोध करने में सहायता करता है। विरोधी की प्रत्येक परीक्षा का यीशु द्वारा जंगल में “यह लिखा है” कहकर प्रतिउत्तर देना  इसका सबसे बड़ा उदाहरण है (मत्ती 4:4,7,10)। इससे आगे, हृदय की पटियाओं पर लिखी पवित्रशास्त्र दिन भर ध्यान करने के लिए उपस्थित है (भजन 119:97)। यह हमारे मन को नया करने में सहायता करता है ताकि हमारी सोच को संचित वचन के द्वारा आकार दिया जाए (रोमियों 12:2, 2 कुरिन्थियों 10:5)। हृदय में संचित परमेश्वर की सच्चाई निर्णय लेने, परामर्श देने, साक्षी देने, सिखाने आदि के लिए मन में और अधिक सरलता से आ जाएगी। जब हम संदेह और निराशा से घिर जाते हैं, तो परमेश्वर के सत्य के संचित भण्डार आंधी में उछलने वाली हमारी नाव के लिए एक निश्चित और स्थिर लंगर होगा।

इसलिए देरी मत कीजिए। अभी आरम्भ कीजिए। एक पद (या खण्ड) को चुनिए । इसे लिखिए। इसको नियमित रूप से दोहराइए। किसी के प्रति उत्तरदायी बनिए। इसे  घमण्ड करने के लिए न सीखें परन्तु इसलिए सीखिए ताकि आप इसे जी सकें और ख्रीष्ट आप में दिखाई दे सके।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
रॉबर्ट डब्ल्यू. कारवर
रॉबर्ट डब्ल्यू. कारवर
रॉबर्ट डब्ल्यू. कारवर ने क्लीयरवाटर क्रिश्चियन कॉलेज, फ्लॉरिडा, में यूनानी और बाइबल के सहायक प्राध्यापक के रूप में 35 वर्षों से अधिक सेवा की।