विश्वासयोग्य सेवक - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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विश्वासयोग्य सेवक

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का पहला अध्याय है: अगुवाई

हम आधुनिक इतिहास के एक नए युग में प्रवेश कर चुकें हैं। यह युग नेतृत्व के एक बड़े रिक्त स्थान द्वारा चिह्नित है, परन्तु नेतृत्व के विचार के प्रति घृणास्पद भाव द्वारा भी। इसके अतिरिक्त, एक बढ़ती हुई प्रवृत्ति है जो ऐसे स्व-नियुक्त अगुवों को सराहता है जिन्होंने खराई की कमी का प्रदर्शन किया है और विश्वासयोग्य, वृद्ध अगुवों की उपेक्षा तथा अनादर करता है जिनकी सत्यनिष्ठा दशकों से प्रमाणित हुई है। साहसी और दृढ़ विश्वास रखने वालें अगुवों का तिरस्कार किया जाता है और समझौता करने और स्वीकृति देने वाले अगुवों को अपनाया जाता है। हम अब एक ऐसे जगत में रहते हैं जो चेम्बरलेन (ग्रेट ब्रिटेन के भूतपूर्व प्रधानमंत्री) की सराहना करता है और चर्चिल (ग्रेट ब्रिटेन के भूतपूर्व प्रधानमंत्री) का उपहास करता है। यदि यह केवल संसार में सच होता, तो सम्भवतः यह अधिक सहने योग्य होता, परन्तु दुख की बात यह है कि यह कलीसिया और घर में भी सच है।

कुछ मसीही तो यहाँ तक आगे बढ़ गए हैं कि वे यह सुझाव देते हैं कि नेतृत्व एक बाइबलीय श्रेणी नहीं है, यह सुझाव देते हुए कि सेवकवाद को नेतृत्व धारणा के स्थान को लेना चाहिए। हालाँकि, ऐसा प्रस्ताव न केवल एक झूठा असमंजस उत्पन्न करता है परन्तु  पवित्रशास्त्र को क्षीण करता है, जो हमें सिखाता है कि अगुवों की भूमिका परमेश्वर द्वारा नियुक्त की जाती है। अगुवों को परिश्रम के साथ नेतृत्व करना चाहिए, और जो लोग अगुवों के अधीन हैं उन्हें उनकी आज्ञा का पालन करना चाहिए और उनके अधीन रहना चाहिए और उनका अनुकरण करना चाहिए (रोमियों 12:8; 1 कुरिन्थियों 12:28; इब्रानियों 13:7–24)। यद्यपि हम सभी ने अपर्याप्त नेतृत्व को देखा है और कई बार किसी अगुवे द्वारा अपने अधिकार का दुरुपयोग करने का अनुभव भी किया है, फिर भी हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि परमेश्वर ने संसार, सरकार, कार्यस्थल, विद्यालय, कलीसिया और घर में अगुवों को नियुक्त किया है। मसीहियों के रूप में, हम स्वयं को निराशावाद (Cynicism) के जाल में गिरने की अनुमति नहीं दे सकते हैं जो सभी अधिकार पर प्रश्न उठाता है और हमें अपने स्वयं के नियुक्त अधिकार की कीचड़ में डूबने के लिए छोड़ देता है। हम सभी अधिकार के अधीन हैं, और हम सब के पास अगुवे हैं जिनके प्रति हम उत्तरदायी हैं, जैसे सभी अगुवे परमेश्वर के अधिकार के अधीन हैं और अन्ततः उसके प्रति उत्तरदायी हैं। 

नेतृत्व और सेवकवाद परस्पर अनन्य नहीं हैं। अगुवे सबसे पहले परमेश्वर के सेवक होते हैं जो अगुवाई करने के द्वारा सेवा करते हैं। नेतृत्व का सबसे आवश्यक गुण नम्रता है, और वास्तविक नम्रता साहस, करुणा और दृढ़ विश्वास के द्वारा प्रकट होती है। एक विश्वासयोग्य अगुवा एक नम्र अगुवा होता है जो सबसे पहले प्रेम से अगुवाई करता है, न कि भय से। एक विश्वासयोग्य सेवक सभी लोगों के द्वारा प्रिय समझे जाने की चिन्ता नहीं करता। एक विश्वासयोग्य अगुवा जानता है कि कैसे कार्य को दूसरों को देना है, कार्य दिए गए लोगों पर भरोसा करता है, और इस बात के लिए चिन्तित नहीं होता है कि किसे श्रेय मिलेगा। एक विश्वासयोग्य अगुवा अपनी निर्बलताओं और पापों को जानता है तथा पश्चात्ताप और क्षमा का जीवन जीता है। अन्ततः एक विश्वासयोग्य अगुवा उस यीशु ख्रीष्ट का विश्वासयोग्य अनुयायी होता है, जिसने हमें नम्रता, त्यागपूर्ण जीवन और आनन्द के साथ सेवा करके हमारा नेतृत्व किया।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
बर्क पार्सन्स
बर्क पार्सन्स
डॉ. बर्क पार्सन्स टेबलटॉक पत्रिका के सम्पादक हैं और सैनफोर्ड फ्ला. में सेंट ऐंड्रूज़ चैपल के वरिष्ठ पास्टर के रूप में सेवा करते हैं। वे अश्योर्ड बाई गॉड : लिविंग इन द फुलनेस ऑफ गॉड्स ग्रेस के सम्पादक हैं। वे ट्विटर पर हैं @BurkParsons.