समाप्तिवाद
18 नवम्बर 2021राई के दाने और ख़मीर का दृष्टान्त
23 नवम्बर 2021दक्ष कहानीकार
सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का पहला अध्याय है: यीशु के दृष्टान्त
मुझे अच्छी कहानी पसन्द है। हालाँकि, मैंने पाया है कि अधिकाँश कहानियाँ, विशेषतः हाल की, उतनी अच्छी नहीं हैं। वास्तव में अच्छी कहानियाँ प्रायः बहुत पुरानी होती हैं। वे समय की कसौटी पर खरी उतरी हैं। वे न केवल हमारी बौद्धिकता के साथ संचार स्थापित करती हैं और उनके पात्रों के साथ हमारे हृदयों को जोड़ती हैं, परन्तु वे हमारे प्राणों की गहरायी तक भी पहुँचती हैं। अच्छी कहानियाँ हमें हसांती और रुलाती हैं। वे हमें चुनौती देती हैं और हमें सान्त्वना देती हैं। वे हमें बिना परिवर्तित किए नहीं छोड़ देती।
कुछ समय पहले ही, मैंने विक्टर ह्यूगो की उत्कृष्ट लेय मिज़्राब्ल को पढ़ना समाप्त किया है। जैसे ही मैंने पुस्तक को वापस अलमारी में वापस रखा, मैंने पुनः इसे पढ़ने के लिए स्वयं को बाधित पाया, क्योंकि पुस्तक को पढ़ने के बाद ही मुझे ऐसा लगा कि जैसे मुझे वह सब समझ में आया जो ह्यूगो पहले पृष्ठ से संचारित कर रहा था। अच्छी कहानियाँ ऐसी ही होती हैं। विचारशील कहानीकार विचारशील पाठकों को एक ताल प्रदान करते हैं जिसके द्वारा वे कहानी के सर्वसमावेशक सन्देश को देख पाते हैं। एक बार पाठक इसे देख लेते हैं, वे कहानी को फिर से पढ़ना चाहते हैं, क्योंकि वे अब समझ चुके हैं कि कहानी किस बारे में है। उन्हें ऐसा लगता है कि जैसे उन्होंने इसके नियमसंग्रह को खोल दिया है और मानो कि वे इस कहानी का हिस्सा भी थे।
यह एक कारण है कि बच्चे सोने के समय एक ही कहानियों को बार-बार पढ़ना पसन्द करते हैं, और यही कारण है कि हम मसीही होने के नाते बाइबल को बार-बार पढ़ना पसन्द करते हैं। परन्तु कितनी बार आपने एक अविश्वासी या नास्तिक व्यक्ति को ऐसा कहते सुना है, “मैंने एक बार बाइबल पढ़ी थी, और मैं यह जानता था कि यह मेरे लिए नहीं थी”? जब मैं यह सुनता हूँ, मैं यह प्रत्युत्तर देना चाहता हूँ, “वास्तव में, आपने वास्तव में कभी बाइबल पढ़ी ही नहीं।” हो सकता है उन्होंने शब्दों को पढ़ा हो, पर जो बाइबल का लेखक बता रहा है उसे देखने के लिए आँखें, सुनने के लिए कान, और समझने के लिए हृदय उनके पास नहीं था। वे लेखक के सर्वसमावेशक सन्देश को समझ नहीं सके, इसलिए उन्हें इसे दोबारा पढ़ने की इच्छा नहीं हुयी।
यीशु दक्ष कहानीकार था जिसने, जैसा कि भजन 78 में (मत्ती 13:35 देखें) भविष्यद्वाणी की गयी थी, प्रायः अपने सर्वसमावेशक सन्देश का चित्रण करने के लिए दृष्टान्तों का उपयोग करके सिखाता था। वह ऐसा कम से कम दो कारणों से करता था: उसको अस्वीकार करने वालों को भ्रमित करने के लिए और उसको ग्रहण करने वालों को प्रकाशमान करने के लिए (मरकुस 4:11-12)। यदि किसी को यीशु की सभी कहानियाँ भ्रमित करने वाली लगती हैं, तो ऐसा इसलिए है कि हमारे सम्प्रभु परमेश्वर ने उसे यीशु ख्रीष्ट के महिमावान सुसमाचार के बचाने वाले सत्य को देखने के लिए आँखें, सुनने के लिए कान, या समझने के लिए हृदय नहीं दिया है।
हालाँकि, विश्वासियों के रूप में हम यीशु के दृष्टान्तों को मात्र इसलिए नहीं पसन्द करते क्योंकि वे भली-भाँति बतायी गयी अच्छी कहानियाँ हैं परन्तु इसलिए क्योंकि पवित्र आत्मा ने उनके सन्देश को समझने के लिए हमारी आँखों, कानों और हृदयों को खोल दिया है। हम उसके दृष्टान्तों में पात्रों के साथ पहचान रखते हैं, और हम समय-समय पर उन्हें दोबारा सुनना चाहते हैं जब हम सर्वदा के लिए अपने पिता के हमारे प्रति उड़ाऊ प्रेम में विश्राम करते हैं।