फरीसी और कर वसूल करने वाले का दृष्टान्त - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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फरीसी और कर वसूल करने वाले का दृष्टान्त

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का ग्यारहवां अध्याय है: यीशु के दृष्टान्त

यह एक रोमांचक और स्पष्ट करने वाला क्षण होता है जब हम कहानी में मोड़ को पाते हैं। लूका 18:9-14 में, हमारे पास एक आश्चर्यजनक मोड़ है। दो पुरुष मन्दिर में प्रार्थना करने के लिए जाते हैं। एक जिसे आप वहाँ देखने की आप अपेक्षा करते—फरीसी। दूसरा जिसे देख कर आपको आश्चर्य हुआ होगा। वह एक कर वसूलने वाला है और थोड़ा घृणायोग्य समझा जाता है, ऐसा व्यक्ति जिसने अपने नातेदारों को धोखा दिया हो।

वे दोनों प्रार्थना करने जाते हैं, और अन्त में, केवल एक ही परमेश्वर के साथ धर्मी स्थिति में घर जाता है। आश्चर्य की बात यह है कि यह कर वसूलने वाला है, न कि धार्मिक अगुवा। यह कैसे होता है? यीशु पहले हमें बताता है, “उसने उन लोगों से जो इस बात के लिए अपने ऊपर भरोसा रखते थे कि हम धर्मी हैं और जो दूसरों को तुच्छ समझते थे, यह दृष्टान्त कहा” (पद 9)। यह कहानी परमेश्वर के सम्मुख घमण्ड और दीनता के बारे में है। और जो हम देखते हैं वह यह है कि यीशु के साथ, ऊँचे होने का मार्ग नीचे उतरने से है।

फरीसी सार्वजनिक रूप से धार्मिक दिखने और अभिनय करने के लिए जाने जाते थे (20:47)। हमारे दृष्टान्त में, फरीसी मन्दिर में जाता है और प्रार्थना करता है। उसकी प्रार्थना उसके विषय में कुछ बातों को प्रकट करती है।

पहला, वह मापने वाली छड़ी लिए रहता है। वह अन्य सभी के विरुद्ध स्वयं को मापने के लिए इच्छुक है। परमेश्वर को आभार के संक्षिप्त शब्द की भेंट के बाद, वह अपने माप को प्रकट करता है। वह अन्य पुरुषों के समान नहीं है: वास्तव में तो, वह उनसे उत्तम है। जब वह अन्यों के विरुद्ध स्वयं को मापता है, विशेषकर इस कर वसूलने वाले के विरुद्ध (18:11), वह अपनी श्रेष्ठता की घोषणा करता है। यह परम्परा जितनी हानिकारक है उतनी ही व्यापक है। हम भी प्रायः अपनी तुलना औरों से करते हैं, परन्तु अन्ततः इसका कोई अर्थ नहीं है। स्तर-मान परमेश्वर की धार्मिकता है, अन्य लोगों की नहीं। वह अपने अभिमान से अंधा है।

दूसरा, वह एक सार-विवरण लिए हुए है। आपने ध्यान दिया कि वह कैसे अपने कार्यों को दोहराता है? वह कहता है, “ मैं सप्ताह में दो बार उपवास रखता हूँ और जो कुछ मुझे मिलता है सबका दसवां अंश तुझे देता हूँ”  (पद 12)। वह अपने कार्यों पर घमण्ड कर रहा है। जैसा कि यीशु ने कहा, वह अपने आप पर भरोसा रखता है कि वह धर्मी है। क्या यह आश्चर्यजनक नहीं है कि यह व्यक्ति परमेश्वर के सम्मुख प्रार्थना में स्वयं के बारे में डींग मार रहा है? क्या वह जानता है कि वह किस से बात कर रहा है? वह परमेश्वर के सामने अपना सार-विवरण ऐसे पढ़ रहा है जैसे वह उसे प्रभावित करने जा रहा हो। अन्त में, ऐसा अधिक प्रतीत हो रहा है कि वह परमेश्वर से नहीं वरन् स्वयं से बात कर रहा है। हम एक हानिकारक स्थान पर हैं यदि हम परमेश्वर के सम्मुख अपने पापों के अंगीकार के स्थान पर अपने आप पर घमण्ड कर रहे हैं।

फिर वहीं यह दूसरा पुरुष है, कर वसूलने वाला। यदि फरीसी के हाथ भरे हुए हैं, इसके खाली हैं। उसके बारे में सब कुछ पछतावे और टूटेपन को प्रगट करता है (पद 13)। दीनता उसके हाव-भाव और प्रार्थना से आती है। वह दूर खड़ा है क्योंकि अपने पाप के कारण परमेश्वर से अलग हो गया है। वह अपने पाप से लज्जित है, इसलिए वह स्वर्ग की ओर अपनी आँखें भी नहीं उठाता है। वह अपना दुःख दिखाने के लिए अपने छाती पीटता रहता है। वह परमेश्वर को दया के लिए पुकारता है क्योंकि वह जानता है कि वह पापी है जिसे इसकी अत्यावश्यकता है।

वह फरीसी से किस प्रकार भिन्न है? स्वयं में धार्मिकता देखने के स्थान पर, कर वसूलने वाला दया के लिए परमेश्वर से गिड़गिड़ाता है—क्योंकि उसमें कोई धार्मिकता नहीं थी। यहाँ तक कि जिस प्रकार वह गिड़गिड़ाया वह उसकी दीनता को बताता है। दया के लिए निवेदन परमेश्वर के क्रोध को धर्मी और अनुग्रहकारी रूप से दूर करने (शाब्दिक रूप में “प्रायश्चित होना”) के लिए पुकार है। हम इस कायल पापी को मन्दिर में दीन देखते हैं। उसकी छाती निराशा से उस पर प्रहार करने से लाल है, उसकी आवाज़ दया के लिए रोने से भर आयी हुयी है, और उसका सिर झुका हुआ है।

यीशु इस कहानी का अन्त हमें यह बताते हुए करता है कि “यह मनुष्य धर्मी ठहराया जाकर अपने घर गया, न कि वह दूसरा मनुष्य। क्योंकि प्रत्येक जो अपने आपको बड़ा बनाता है, दीन किया जाएगा; और जो अपने को दीन बनाता है, बड़ा किया जाएगा” (पद 14)।

फरीसी के हाथ उसकी स्व-धार्मिकता से भरे हुए थे। कर वसूलने वाले के हाथ खाली थे। परन्तु यह कर वसूलने वाला था जो धर्मी ठहराए जाकर घर गया। वह परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी घोषित किया गया। कोई भी स्वयं पर भरोसा रखने से परमेश्वर की दृष्टि में कभी धर्मी नहीं गिना जाएगा। परमेश्वर की दृष्टि में धर्मी या सिद्ध ठहरने का एकमात्र मार्ग दूसरे की धार्मिकता पर भरोसा करना है। दृष्टान्त को बताने वाला पुरुष, स्वयं यीशु ने, धार्मिकता को अर्जित किया जो कि विश्वासियों के लिए गिना जाता है जब वह विश्वास से प्राप्त होता है (रोमियों 5:1; 2 कुरिन्थियों 5:21)।  यह समझना कि हमारे पास परमेश्वर को देने के लिए कुछ नहीं है हमें नम्र करता है। परन्तु यह समझना आनन्द मनाने के लिए एक अवसर है कि सब कुछ जिसकी हमें आवश्यकता है ख्रीष्ट में पाया जाता है। इस प्रकार, दीन बड़े किये जाते हैं।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
एरिक रेयमण्ड
एरिक रेयमण्ड
रेव. एरिक रेयमण्ड वॉटरटाउन, मैस्सशूसेट्स में रिडीमर फेलोशिप चर्च के वरिष्ठ पास्टर हैं। वे सन्तुष्टि का पीछा करना (Chasing Contentment) के लेखक हैं।