ज़मींदारों और मज़दूरों का दृष्टान्त - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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ज़मींदारों और मज़दूरों का दृष्टान्त

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का पांचवा अध्याय है: यीशु के दृष्टान्त

कोई भी व्यक्ति हमारे प्रभु यीशु से अधिक साहसी नहीं था। ठीक उनके मुख पर और अपने जीवन को खतरे में रख कर, उसने अपनी पीढ़ी में परमेश्वर के लोगों के आत्म-लीन अगुवों की बुरी मंसाओं को उजागर किया। विडम्बना यह है कि, हमारा खण्ड इन महायाजकों का उसे पकड़ना चाहने के साथ समाप्त होता है (मत्ती 21:45-46), जो ठीक उसी प्रकार का निर्दयी कार्य कर रहे हैं जिसकी यीशु ने कहानी में निन्दा की है। यीशु के दृढ़ कार्य (विक्रेताओं को मन्दिर से निकालना) और आने वाले न्याय के वचन (निकटस्थ कहानियाँ अंजीर के पेड़ को शापित करने की एवं दो भाईयों और विवाह भोज के दृष्टान्त) शस्त्र हैं धार्मिक प्रतिष्ठान के विरुद्ध युद्ध में जिसे वह तब से लड़ रहा है जब से उसने यरुशलेम में प्रवेश किया है।

यीशु का दृष्टान्त विशेषत: यशायाह की शिक्षा में निहित है और असामान्य रीति से रूपक का उपयोग करता है। दाख की बारी का स्वामी परमेश्वर है—“सेनाओं के यहोवा की दाख की बारी तो इस्राएल का घराना है” (यशायाह 5:7); यीशु की चर्चा के विषय में अधन्यवादी मज़दूर अगुवे हैं—“यहोवा अपनी प्रजा के प्राचीनों और प्रधानों का मुकदमा करने को आता है” (3:14); और स्वामी द्वारा भेजे गए सेवक भविष्यद्वक्ताओं की ओर संकेत करते हैं (यीशु वही उद्धरण मत्ती 23:37 में भी देता है जब वह यरुशलेम के लिए रोता है)। इन सेवको में यूहन्ना बपतिस्मा देने वाला सम्मिलित है, जो इस्राएल के दुष्ट शासकों के हाथों मारा गया (मत्ती21:25)। यीशु अपने दृष्टान्त को स्वामी के पुत्र के साथ बटाईदारों का अपराधी समान दुर्व्यवहार के साथ समाप्त करता है। पद 45 में, सुनने वाला जनसमूह 41-44 पदों का आशय निकालते है—“[स्वामी] उन नीचों को दयनीय मृत्यु दे देगा और दाख की बारी को अन्य मज़दूरों को देगा जो उसे कटनी के समय फसल देंगे,” और विशेष रूप से पद 43 में यीशु के संघातिक प्रहार का: परमेश्वर का राज्य तुम से ले लिया जाएगा और एक ऐसी जाति जो उसका फल लाए दे दिया जाएगा।“ उनकी शोषण करने वाली अगुवाई जल्द ही आकस्मिक समाप्ति पर आ जाएगी।

इन भविष्यद्वाणियों की प्रारम्भिक ऐतिहासिक पूर्ति 66-70 और 132-35 ईस्वी की आपदाओं में हुई, जब रोमियों ने मन्दिर, यरूशलेम नगर, और लोगों के अधिकाँश अगुवों को नष्ट कर दिया था।  

देखें कि यीशु क्या रेखांकित करता है आधारभूत अपराध के रूप में: उसे अस्वीकार करना। यीशु स्वयं को पुत्र के रूप में पिता के साथ विशेष सम्बन्ध में आगे रखता है। सी.एस.लूईस निश्चयात्मक रूप से तर्क करते हैं कि कोई भी यीशु को केवल एक और अच्छे नैतिक शिक्षक के रूप में नहीं ले सकता। उसे या तो मसीहा होना चाहिए या फिर अहंकारोन्मादी । यीशु दृढ़का से कहता है कि उसे अस्वीकार करना शीर्षोन्मुख्य कार्य है जो न्याय की ओर ले जाता है। यीशु स्वयं को यहोवा के उद्देश्यों के मध्य में रखता है जिस रीति से उसने दृष्टान्त में पुराने नियम को उद्धरित किया। पद 42 में, उसने भजन 118:22-23 को स्वयं पर लागू किया: “जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने ठुकरा दिया था, वही कोने का पत्थर बन गया” (देखें यशायाह 28:16)। भाव में, यीशु बल देते हुए कहता है, “सामर्थवान मुझे एक तुच्छ ठुकराया हुआ मानेंगे, परन्तु परमेश्वर मेरे द्वारा आश्चर्यकर्म करेगा और मुझे राज्य देगा।“ अभी भी गम्भीरता से, मत्ती 21:44 में, यीशु स्वयं को खतरनाक पत्थर के रूप में प्रस्तुत करता है (यशायाह 8:14; दानि 2:33, 44)। “मुझे अनदेखा मत करो!” वह कह रहा है।

इस कहानी ने प्रारम्भिक मसीहियों के विश्वास को इस लज्जा और अपमान के विरुद्ध सुदृढ़ किया कि यीशु को “बाहर निकालकर मार डाला” था (मत्ती 21:39)। मुसलमान नबी यीशु के क्रूसीकरण को अकल्पनीयता के रूप में नकार देते हैं; निश्चय ही, उसकी मृत्यु अपमान है उन सभी के लिए जो सामर्थ्य और प्रभाव के पृथ्वीय प्रदर्शनों की खोज में हैं। साथ ही, कितने लोग यहाँ यीशु की शिक्षा से धर्मान्तरित हुए थे। दिखावटी परिणाम विश्वासयोग्य प्रचार के अच्छे मापक नहीं हैं। हमारे खण्ड ने प्रारम्भिक यहूदी मसीहियों की सहायता की परमेश्वर के लोगों की अगुवाई और बाहरी स्वरूप में होने वाले मौलिक परिवर्तन को समझने में जो कि पहली शताब्दी में हो रहे थे (प्रेरितों के काम 2:23-37; 3:14-15)। और यीशु का दृष्टांत हम सबकी सहायता करता है परमेश्वर के विस्तारित इस्राएल के बृहद् नए नियम के चित्र को देखने की जो ख्रीष्ट के प्रेरितों की नयी अगुवाई के अन्तर्गत यहूदी और गैर-यहूदी दोनो विश्वासियों से बना है (रोमि 11; गला.6:16)।

हम जो यीशु में विश्वास करते हैं हमें स्वयं को आत्मसंतुष्टि और अकृतज्ञता से बचना चाहिए जिसकी यहाँ वह निन्दा करता है (रोमियों 11:12 देखें)। स्वामी आ रहा है, और हमें लेखा देना होगा। आइए हम सावधान रहें भरोसे के फलों को उत्पन्न करने और केवल वैसा जीने की जिसकी वह अपेक्षा रखता है। और आइए हम इस दृष्टान्त द्वारा सुझाव दी गयी हमारे लिए परमेश्वर की सारी बहुतायत की दयालुता को ध्यान में रखें: सावधानीपूर्वक तैयार की गयी दाख की बारी, प्रतिउत्तर के लिए ज़मींदार के निवेदन का अति-धैर्ययुक्त व्यवहार, और पुत्र जिसकी मृत्यु हो गयी। जिस साहसी पुरुष ने इस दृष्टान्त को कहा वह शीघ्र ही “सबके लिए मृत्यु का स्वाद चखने के” मार्ग पर था (इब्रानियों 2:9)। क्या ही कारण है हमारे लिए आज और प्रतिदिन विश्वास और आभार में प्रतिउत्तर देने का। 

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
चार्ल्स के. टेल्फर
चार्ल्स के. टेल्फर
डॉ. चार्ल्स के. टेल्फर कैलिफॉर्निया के वेस्वमिन्स्टर सेमिनरी में बाइबलीय भाषाओं के प्राध्यापक हैं और प्रेस्बिटेरियन चर्च इन अमेरिका में शिक्षक एल्डर हैं। वे यशायाह के साथ कुश्ती: कैम्पेगियस विट्रिन्गा की व्याख्यात्मक कार्य-प्रणाली (Wrestling with Isaiah: The Exegetical Methodology of Campegius Vitringa)।