उगने वाले बीज का दृष्टान्त - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
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उगने वाले बीज का दृष्टान्त

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का छठवां अध्याय है: यीशु के दृष्टान्त

जब कि मैं यह लिख रहा हूँ, मैं म्यूनिक, जर्मनी में अपने कार्यालय में अपनी मेज़ पर बैठा, जर्मनी में मसीहियत के नवीनतम आंकड़ों के बारे में सोच रहा हूँ। मेरे सामने के संख्याओं के अनुसार, मसीहियत का तीव्रता से पतन हो रहा है। उस राष्ट्र में जिसमें धर्मसुधार पाँच सौ वर्ष पहले प्रारम्भ हुआ उसमें जल्द अधिकाँश आबादी ऐसी होगी जो स्वयं को मसीही नहीं कहते हैं। यहाँ तक कि सत्तर वर्ष पूर्व जर्मनी में द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भी 95 प्रतिशत लोग या तो रोमन कैथोलिक कलीसिया के या फिर प्रोटेस्टेन्ट कलीसिया के सदस्य थे। सिर्फ 2018 में, प्रोटेस्टेन्ट राज्य कलीसियाओं ने अपने सदस्यों का 2 प्रतिशत और गंवा दिया। परन्तु और अधिक भयप्रद यह है कि प्रोटेस्टेन्ट राज्य कलीसियाओं के सदस्यों में से, मात्र 3.4 प्रतिशत औसतन किसी भी रविवार की सभा में भाग लेते, जो कि जर्मनी में आबादी के 1 प्रतिशत से भी कम है। स्वतंत्र (गैर-राज्य) कलीसियाओं में मसीहियों की संख्या नगण्य बनी हुयी है। उससे भी अधिक भयप्रद लगभग सभी मतसम्बद्धों का उदारवाद की ओर झुकाव है। कभी-कभी, ऐसा लगता है कि जर्मनी में सुसमाचार का प्रचार करना समय को नष्ट करना है। क्या मुझे ऐसे ही हार मान लेनी चाहिए और एक ऐसे स्थान पर चले जाना चाहिए जहाँ पर सुसमाचार अधिक उत्सुकता से ग्रहण किया जाएगा?

आप सम्भवतः ऐसे स्थान पर रह रहे हों जो कि सुसमाचार प्रचार से कम रहित हो, पर निश्चित रूप से आपने पहले ही इस समझ का अनुभव कर लिया होगा कि परमेश्वर का राज्य आपकी अपेक्षा अनुसार प्रकट रूप से प्रगति नहीं कर रहा है। आप अपने सारे साहस को एकत्रित करके ख्रीष्ट के लिए खड़े होते हैं, केवल भावशून्य आँखों को और लोगों का आप से दूर होने को देखने के लिए। सम्भवतः यही वह भावना थी जो यीशु के चेलों में थी हमारे प्रभु की पृथ्वी की सेवकाई के कुछ निश्चित समयों में।

मरकुस 4:26-29 में, हम पढ़ते हैं कि कैसे यीशु ने अपने चेलों को निर्देशित और प्रोत्साहित किया सुसमाचार प्रचार को न रोकने के लिए और भरोसा करें कि प्रभु उनके प्रयासों का उपयोग करेगा अन्ततः प्रचुरता में फसल लाने के लिए। इन शब्दों को हमें प्रोत्साहित करना चाहिए, और इन्हें हमें हमारे कार्य और इसकी सीमाओं को स्मरण कराना चाहिए।

पद 26 दृष्टान्त का परिचय करता है और हमें हमारे कार्य को देखने में सहायता करता है: “परमेश्वर का राज्य ऐसा है जैसे कोई मनुष्य भूमि पर बीज डाले।” इस अध्याय के प्रारम्भ में बोने वाले बेहतर रूप से ज्ञात दृष्टान्त के समान ही, यीशु परमेश्वर के राज्य के बिखरे हुए बीज के द्वारा आने के बारे में बात करता है। उसने अभी समझाया कि बीज परमेश्वर का वचन है (पद 14)। तब, स्पष्ट रूप से, कार्य जो हम सबको मिला है वह वचन के प्रचार के द्वारा बीज बोना है।

फिर भी, प्रायः हम निराश होंगे जब ऐसा प्रतीत होगा कि हमारे सारे प्रयास किसी काम के नहीं है। यह सम्भवतः आगे बढ़ने के लिए हमें प्रेरित करे। यह सम्भवतः वांछित परिणाम उत्पन्न करने की आशा में प्रत्येक नए हथकण्डे उपयोग करने का कारण बने। पर यीशु के पास उनके लिए जिन्होंने विश्वासयोग्यता से बीज बिखेरा है बेहतर सम्मति है: “वह रात को सो जाए और दिन को जाग जाए और वह बीज अंकुरित होकर बढ़े‌‌; वह व्यक्ति स्वयं नहीं जानता कि यह कैसे होता है। भूमि अपने आप फल उपजाती है, पहिले अंकुर, तब बालें, और तब बालों में तैयार दानें“ (पद 27-28)। पहले ध्यान दें कि बढ़ाव “स्वतः” होता है। जब अच्छा बीज तैयार भूमि पर गिरता है, वह अंकुरित होकर बढ़ता है। उस बढ़ाव की सामर्थ्य स्वयं बीज में निहित है। यह सामर्थ्यवान वचन है जो उसे पूरा करेगा जिसके लिए उसे भेजा गया है। दूसरा, बिखरे हुए बीज को बढ़ने में समय लगता है। बीज बोने के पहले दृष्टान्त में, यीशु ने संकेत किया था कि जो बीज प्रतीत हो रहे थे कि शीघ्र बढ़ गए उनका फल दिए बिना अन्त हो गया (पद 5 से आगे)।

अन्तिम पद में, हम अन्ततः पढ़ते हैं कि हमें भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है कि परमेश्वर का राज्य सफल नहीं होगा: “परन्तु जब फसल पक जाती है, तो वह तुरन्त हंसिया लगाता है, क्योंकि कटनी आ पहुँचती है” (पद 29)। यह मुक्ति देता है। हमें केवल ख्रीष्ट के राजदूत होने के लिए बुलाया गया है। हमें केवल बीज बिखेरना है। शेष परमेश्वर का कार्य है। और वह इसे करेगा। उसका राज्य आएगा ठीक वैसा जैसा उसने ठहराया है।

हम निश्चित नहीं हो सकते कि हमारे सभी मित्र ख्रीष्ट की ओर फिरेंगे। परन्तु हम निश्चित हो सकते हैं कि परमेश्वर हम से उसकी माँग नहीं करेगा जो केवल वह कर सकता है। वह चुने हुओं को इकठ्ठा करेगा— आपके मित्रों की मण्डली में और साथ ही साथ जर्मनी में भी। जब ख्रीष्ट कटनी के लिए लौटेगा, तब प्रत्येक जाति और भाषा और लोग और राष्ट्र की एक विशाल भीड़ होगी। वह इसे अपने समय में करेगा जब तक कि कार्य पूरा न हो जाए। तो, आइए सुसमाचार के बीज को बिखेरते रहें और जो परमेश्वर अपने वचन के द्वारा करेगा उस पर अचम्भा करें।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
मथायस लोहमेन्न
मथायस लोहमेन्न
रेव. मथायस लोहमेन्न जर्मनी के म्यूनिक में फ्री ईवैन्जेलिकल चर्च के पास्टर हैं, और जर्मनी में सुसमाचार साझेदारी ‘ईवैन्गेलियुम 21’ के अध्यक्ष और संस्थापक हैं।