खोई हुई भेड़ और सिक्के के दृष्टान्त - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़
गुप्त धन और अमूल्य रत्न के दृष्टान्त
14 दिसम्बर 2021
दाख के मज़दूरों का दृष्टान्त
21 दिसम्बर 2021
गुप्त धन और अमूल्य रत्न के दृष्टान्त
14 दिसम्बर 2021
दाख के मज़दूरों का दृष्टान्त
21 दिसम्बर 2021

खोई हुई भेड़ और सिक्के के दृष्टान्त

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का आठवां अध्याय है: यीशु के दृष्टान्त

इन दोनों प्रसिद्ध दृष्टान्तों का सन्दर्भ, जो कि उससे भी कहीं अधिक प्रसिद्ध उड़ाऊ पुत्र के दृष्टान्त की ओर लेकर के जाता है, यह है कि यीशु की “पापियों” के साथ समय बिताने के लिए आलोचना की जा रही है। वह उनके साथ मिलता-जुलता और खाता-पीता है। यीशु उनके साथ समय बिता रहा है जिन्हें फरीसी और शास्त्री, यीशु के दिनों के कट्टर-व्यवस्थावादी, सीमा से बाहर, निषिद्ध, अवांछित, और परमेश्वर के लिए अस्वीकार्य मानते हैं। समस्या यह है: यदि यीशु वह सब है जिसके होने का वह दावा करता है (जो कि, जहाँ तक कि फरीसी देख सकते हैं, कम से कम एक पवित्र मनुष्य है जो परमेश्वर के लिए बोलता है), वह फिर कैसे इन असहनीय “पापियों” के साथ समय बिता सकता है?

जब यीशु इन दृष्टान्तों के माध्यम से उनकी आलोचनाओं का उत्तर देता है, उसने कुशलतापूर्वक (और दक्षता पूर्ण रूप) वार्तालाप को पुनःस्थापित करता है: प्रश्नयोग्य होने से बहुत दूर, जो यीशु कर रहा है वास्तव में स्वर्ग के आनन्द का प्रतिनिधित्व करता है।

आइए पहले देखें कि कैसे उसने प्रत्येक दृष्टान्त में वार्तालाप को पुनः स्थापित करता है और फिर उसे इक्कीसवीं शताब्दी की सेवकाई के हमारे सन्दर्भ में लागू करें।

आइए खोयी हुयी भेड़ के दृष्टान्त से प्रारम्भ करें। यह बहुत परिचित है। एक व्यक्ति जिसके पास सौ भेड़ें थी, उनमें से एक खो जाती है। वह क्या करता है? क्या वह उस एक खोई हुई भेड़ के विषय में भूल जाता है और विशाल बहुसंख्य पर ध्यान केन्द्रित करता है जो पहले से ही उसकी देखभाल और सुरक्षा में है? या क्या वह निन्यान्नवे के बारे में भूल जाता है और एक के पीछे जाता है? या ऐसी कोई मध्यस्थता उपाय है जिसे वह अपना सकता है—या तो एक की सेवकाई को या निन्यान्नवे की सेवकाई को किसी और को सौंपने के द्वारा ताकि वह प्रभाव को बढ़ा सके? इस बात को ध्यान देते हुए कि भेड़ के रूप में परमेश्वर के लोगों का चित्रण उस समय सबके लिए अत्यंत परिचित था, मूल श्रोता तुरन्त समझ गए होंगे कि वह लोगों के बारे में बात कर रहा है, भेड़ के बारे में नहीं। यीशु का यह मौलिक कथन अपरिहार्य प्रतीत होता है क्योंकि उसका प्रश्न यह दिखाता है कि कैसे उसके श्रोताओं ने वास्तविक भेड़ के सम्बन्ध में कैसे व्यवहार किया होगा। वे निन्यान्नवे को छोड़ देंगे और एक के पीछे जाएंगे।

उनके लिए जिन्होंने अपना जीवन शहरी वातावरण में व्यतीत किया है—इन दिनों संसार की विशाल बहुसंख्य—एक संक्षिप्त पुनश्चर्या की आवश्यकता है कि भेड़ें कितनी नासमझ हैं। वे सरलता से खो जाती हैं। वे गिर जाती हैं और यह पता लगाने में सक्षम नहीं होती कि कैसे पुन: खड़ा हुआ जाए। यदि कुछ भी इसका उचित विवरण है कि पास्टरीय सेवकाई करना कैसा होता है, यह चरवाही है। हम सब भेड़ के समान हैं जो भटकती हैं। पहला दृष्टान्त इस बात पर बल देता है कि भले ही कोई भटका हुआ हो, भले ही उसने “पाप किया” हो और वर्तमान के धार्मिक नियमों और अनुष्ठानों के मानकों की सीमा से बाहर और निषिद्ध हो, चरवाहे का उत्तरदायित्व है एक पर ध्यान केन्द्रित करना, न कि निन्यान्नवे पर। इससे भी अधिक,स्वर्ग का आनन्द उनके लिए प्रतिफल है जो कि एक पर ध्यान केन्द्रित करते हैं।

दूसरा दृष्टान्त, खोए हुए सिक्के का, बड़ा रूप में बोलते हुए, उसी बात को कहता है। सन्दर्भ, हालाँकि, हमारे लिए कम परिचित है। एक स्त्री के पास “दस चाँदी के सिक्के” क्यों होंगे? वर्षों से अधिकतर टिप्पणीकार सहमत हुए हैं कि स्त्री युवा अविवाहित स्त्री है, और दस चाँदी के सिक्के उसका दहेज हैं, जिसे उसने ध्यानपूर्वक बचाया है और सम्भवतः अपने बालों में विवाह के लिए अपनी उपलब्धता की गवाह के रूप में रखा है। तो, एक चाँदी के सिक्के का खोना न केवल बहुत सारे धन के खोने के बराबर है पर साथ में कभी भी विवाह करने की सम्भावना खोने का भी है। इस कहानी का बल, तब, “पीछे छोड़ने” पर बहुत अधिक नहीं था (अनुमानतः, जब आप ढूंढ रहे हैं आप उन शेष नौ सिक्कों को कहीं सुरक्षित रख सकते हैं) क्योंकि यह खोए हुए सिक्के को ढूंढने के लिए आवश्यक प्रयास और परिश्रम पर है। एक बार फिर से, समापन बिन्दु आनन्द है जो परिणामस्वरूप आता है—इस समय आनन्द समुदाय में उसकी सहेलियों के साथ, साथ ही परमेश्वर के स्वर्गदूतों द्वारा चित्रित, स्वयं स्वर्ग के आंगनों के साथ।

इन दृष्टांतो से आज हमें सेवकाई के बारे में क्या सीखना चाहिए? पहला, समकालीन सेवकाई में बड़ा विभाजन उनके मध्य जो “ढूंढने वालों” पर ध्यान केन्द्रित करते हैं और उनमें जिनका उद्देश्य मात्र मसीहियों को शिक्षा देना एक बाइबलीय विभाजन नहीं है जो कि बाइबल के बड़े विचार को प्रतिबिम्बित नहीं करता। क्या पौलुस तीमुथियुस को, जो एक पास्टर है जो मसीहियों को सिखाता है, प्रेरित नहीं करता, सुसमाचार प्रचारक के कार्य करने के लिए? दूसरा, यदि हमारे मसीही जीवन या हमारी कलीसियाओं में आनन्द की कमी है, तो उसका प्रथम उपचार खोए हुओं को ढूंढना आरम्भ करना है।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
जॉश मूडी
जॉश मूडी
डॉ. जॉश मूडी इलिनोई के व्हीटन में कॉलेड चर्च के वरिष्ठ पास्टर हैं, और ‘परमेश्वर केन्द्रित जीवन सेवाएं’ (God Centered Life Ministries) के अध्यक्ष हैं। वे कई पुस्तकों के लेखक हैं, जिनमें बाइबल आपके जीवन को कैसे परिवर्तित कर सकती है (How the BIble Can Change Your Life) सम्मिलित है।