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ख्रीष्ट में

सम्पादक की टिप्पणी: यह टेबलटॉक पत्रिका श्रंखला का पहलाअध्याय है: ख्रीष्ट के साथ मिलन

रेपेटीशियो माटेर स्टूडियोरुम एस्ट, अर्थात् “दोहराव सभी अध्ययन की जननी है”। प्रेरित पौलुस ने इसे समझ लिया। पवित्र आत्मा की प्रेरणा और अधीक्षण के अन्तर्गत, पौलुस ने निरन्तर बाइबलीय सिद्धान्त के आधारभूत सत्यों को दोहराया, और ऐसा उसने केवल अपनी पत्री में ही नहीं परन्तु कभी-कभी एक ही वाक्य में भी। इफिसियों को लिखी गयी पौलुस की पत्री में इसका सबसे स्पष्ट उदाहरण पाया जाता है। जब पौलुस हमारे उद्धार के महमावान भेद को प्रकट करता है, वह “ख्रीष्ट में” या “उस में” वाक्यांश को पहले अध्याय में निरन्तर दोहराता है, और पद 3-14 में, जो कि मूल भाषा में एक लम्बा वाक्य है, इसे लगभग दस बार दोहराता है। कुछ वर्ष पूर्व जब मैं इफिसियों के अध्याय 1 से प्रचार कर रहा था, तो मैंने हमारी मण्जली को समझाया कि यदि उन्हें इफिसियों के अध्ययन से एक सत्य को स्मरण रखना हो, तो वह वाक्यांश “ख्रीष्ट में” होना चाहिए, जो कि उद्धार के एक अत्यन्त आधारभूत पहलुओं को स्मरण रखने का एक संक्षिप्त उपाय है —ख्रीष्ट के साथ हमारा मिलन।

ख्रीष्ट के साथ विश्वासी का मिलन कई कलीसियाओं में लम्बी अवधि से एक उपेक्षित सिद्धान्त रहा है, फिर भी पवित्रशास्त्र में यह एक केन्द्रीय सिद्धान्त है। परमेश्वर का वचन हमें सिखाता है कि हम जगत की उत्पत्ति से ख्रीष्ट में चुन लिए गए हैं और हम केवल ख्रीष्ट की प्रायश्चित की मृत्यु के कारण केवल हमारे विश्वास के माध्यम से परमेश्वर के धर्मी ठहराए जाने वाले अनुग्रह के द्वारा ख्रीष्ट में एक हुए हैं (यूहन्ना 15:4–7; 1 कुरिन्थियों 15:22; 2 कुरिन्थियों 12:2; गलातियों 3:28; इफिसियों 1:4, 2:10; फिलिप्पियों 3:9; 1 थिस्सलुनीकियों  4:16; 1 यूहन्ना 4:13)। इस एकता की प्रकृति केवल यह नहीं है कि हम ख्रीष्ट में हैं परन्तु यह भी है कि वह हम में है (यूहन्ना 6:56; रोमियों  8:10; 2 कुरिन्थियों 13:5; गलातियों 2:20; इफिसियों 3:17; कुलुस्सियों 1:27)। ख्रीष्ट के साथ हमारे मिलन के ईश्वरविज्ञानीय निहितार्थ चौंका देने वाले हैं, और यह स्वयं ख्रीष्ट यीशु है जिसने हमें सिखाया कि वे क्या हैं। यूहन्ना 15 में, यीशु ने कहा, “मैन दाखलता हूँ, तुम डालियाँ हो। जो कुछ मुझ में बना रहता है और मैं उसमें, वह बहुत फल फलता है, क्योंकि मुझ से अलग हो कर तुम कुछ भी नहीं कर सकते” (पद 5)। हमारे पवित्रीकरण के आधार में ख्रीष्ट के साथ हमारा मिलन है। डालियों के रूप में, हम निश्चित रूप से फल फलते हैं क्योंकि हम दाखलता ख्रीष्ट से जुड़े हुए हैं, और हम दाखलता से परमेश्वर पिता के कार्यों के कारण जुड़े हुए हैं, जो कि “किसान” है (15:1)। इसके अतिरिक्त, अपनी महायाजकीय प्रार्थना में, यीशु ने विश्वासियों के साथ अपनी प्रगाढ़ एकता को यह कहते हुए व्यक्त किया है, “मैं उनमें और तू मुझ में, कि वे सिद्ध होकर एक हो जाएँ, जिस से संसार जाने कि तू ने मुझे भेजा और जैसे तू ने मुझ से प्रेम किया वैसे ही उनसे भी प्रेम किया” (17:23)। इस महिमावान प्रार्थना में, यीशु इस सिद्धान्त के पूर्ण वैभव को प्रकट करता है जब वह यह व्यक्त करता है कि उसके साथ हमारा मिलन— वह जो कि अनन्त वचन, परमेश्वर का पुत्र, ईश्वरत्व का दूसरा व्यक्ति, परमेश्वर हमारे साथ है—का प्रत्यक्ष निहितार्थ है कि, ख्रीष्ट में, पिता हमसे वैसा ही प्रेम करता है जैसा कि वह अपने एकलौते पुत्र से करता है। और क्योंकि हम ख्रीष्ट से हमारा मिलन हुआ है, हम उसके साथ उसकी मृत्यु की समानता में भी एक हैं, और, इसलिए, हम उसके जी उठने की समानता में भी एक हो जाएंगे (रोमियों 6:5)।

यह लेख मूलतः टेबलटॉक पत्रिका में प्रकाशित किया गया।
बर्क पार्सन्स
बर्क पार्सन्स
डॉ. बर्क पार्सन्स टेबलटॉक पत्रिका के सम्पादक हैं और सैनफोर्ड फ्ला. में सेंट ऐंड्रूज़ चैपल के वरिष्ठ पास्टर के रूप में सेवा करते हैं। वे अश्योर्ड बाई गॉड : लिविंग इन द फुलनेस ऑफ गॉड्स ग्रेस के सम्पादक हैं। वे ट्विटर पर हैं @BurkParsons.