पवित्र आत्मा कौन है?
हालाँकि पवित्र आत्मा कई बार त्रिएकता के भुला दिए गए जन के रूप में दिखाई देता है, फिर भी उसकी उपस्थिति और कार्य को छुटकारे के सम्पूर्ण इतिहास में देखा जा सकता है। बारह-संदेशों की इस श्रृंखला में, डॉ. सिंक्लेयर फर्गसन पवित्रशास्त्र के माध्यम से त्रिएकता के तीसरे जन के कार्य की खोज करते हैं — अर्थात् सृष्टि से लेकर ख्रीष्ट के कार्य तथा आज हमारे मनों में उसके वास करने तक। अध्ययन के दौरान, वह उस महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हैं जिसमें होकर पवित्र आत्मा सेवा करता है। फर्गसन का लक्ष्य पवित्र आत्मा को एक जन के रूप में जानने और इसके साथ ही, उसकी सामर्थ्य और हमारे भीतर उसके कार्य को जानने में हमारी सहायता करना है।
व्याख्यान 1: अव्यवस्था में व्यवस्था
बहुत से मसीहियों ने या तो या यह वाक्य सुना है, या इसे धीरे से कहा भी है कि, “पवित्र आत्मा त्रिएकता का भुला दिया गया जन है।” यह दावा आज कलीसिया की वास्तविक समस्या से चूक जाता है, एक ऐसी समस्या जो पिछली पीढ़ियों में उपस्थित नहीं था। मसीही पवित्र आत्मा के बारे में जानते हैं, परन्तु, पिता या पुत्र के विपरीत, वे वास्तव में यह नहीं जानते कि पवित्र आत्मा कौन है।
व्याख्यान 2: परमेश्वर का मुख
बहुत से लोगों ने विभिन्न समयों पर और विभिन्न रीतियों से दावा किया है कि पुराने नियम का परमेश्वर और नए नियम का परमेश्वर एक जैसा नहीं है। दुःख की बात यह है, कि इस दावे में परमेश्वर के स्वभाव और उद्देश्यों को गलत ढंग से समझा गया है। परमेश्वर अपरिवर्तनीय है: वह अपने स्वभाव, चरित्र, इच्छा, या उद्देश्यों में बदलाव नहीं करता।
व्याख्यान 4: अन्तर्वास करना
जंगल में यीशु ने जिन परीक्षाओं को सहा, वे सबसे कठिन परिस्थितियों के सामने यीशु की धर्मी दृढ़ता के उल्लेखनीय वृत्तान्त हैं। पिता की स्वीकृति और उसके बपतिस्मा में आत्मा के अभिषेक को प्राप्त करने के बाद, यीशु, दुर्बलता और पीड़ा में भी वहाँ सफल रहा जहाँ हमारा पिता, पहला आदम असफल हो गया था।
व्याख्यान 9: स्वर्गीय सहायक
यीशु के साथ चलने, बैठने और भोजन करने के विचार से मसीहियों को बड़ा आनन्द मिलता है, और उसकी शारीरिक अनुपस्थिति हमारे भीतर उसकी उपस्थिति में रहने की इच्छा को उत्पन्न करती है। जिस प्रकार यह विचार और इच्छा अद्भुत है उसी प्रकार हमें इस सच्चाई को अनदेखा नहीं करना चाहिए कि यीशु ने एक और सहायक को भेजा है।
व्याख्यान 10: आत्मा में चलना
पवित्रशास्त्र स्पष्ट और अस्पष्ट दोनों ही रूप में आत्मा को कई पदवियाँ प्रदान करता है। वह हमारा शान्तिदाता, सहायक, और ऐसा जन है जो हमारे मनों को नया जीवन प्रदान करता है और मिट्टी में जान डालता है। फिर भी, एक ऐसी पदवी है जिस पर हम केवल उसकी अच्छी जानकारी होने के कारण उस पर ध्यान नहीं देते हैं: आत्मा पवित्र आत्मा है।