धन्यवाणियाँ
टेबलटॉक का जून 2017 का प्रकाशन धन्यवाणियों पर विचार करेगा। यद्यपि धन्यवाणियाँ यीशु के सबसे सुप्रसिद्ध कथनों में से हैं, जबकि वे हमारे प्रभु की सबसे अधिक त्रुटिपूर्वक रीति से समझी जाने वाली शिक्षाएँ भी हैं। कुछ ने धन्यवाणियों और शेष पहाड़ी उपदेश को परमेश्वर के राज्य में जीवन के लिए एक रूपरेखा के रूप में नहीं वरन नागरिक समाज के लिए प्रभु के नैतिक कार्यक्रम के रूप में देखा है। अन्य लोगों ने धन्यवाणियों को अत्यधिक आत्मिक बना दिया है और उन्हें कलीसिया में और अविश्वासियों के साथ सम्बन्धों में लागू करने में विफल हुए हैं। फिर भी, अन्य लोगों ने कहा है कि धन्यवाणियाँ केवल पहली शताब्दी के मसीहियों को दी गईं थीं और वे आज कलीसिया के लिए नहीं हैं।यह प्रकाशन धन्यवाणियों का अर्थ समझाएगा और यह कि हमें उन्हें कैसे अपने जीवन में लागू करना है।
24 अगस्त 2021
परमेश्वर की आशीष को हल्के में नहीं लेना चाहिए। परन्तु हमारे दिनों में, आशीषों को बिना गम्भीरता और अन्धाधुन्ध रीति से इधर उधर दिया जाता है कि अशीष ने अपने अर्थ को लगभग खो दिया है।
26 अगस्त 2021
हमारे परिवार ने कुछ ही दिन पहले शिकागो में सुन्दर और भव्य फील्ड संग्रहालय का भ्रमण किया। इसका नव-संस्थापक रूप उस क्षेत्र में छा जाता है।आप इस तक भिन्न भिन्न कोणों से पहुंच तो सकते हैं, परन्तु उसमें एक ही प्रवेश द्वार है।
31 अगस्त 2021
ये बहुमूल्य शब्द यीशु की दूसरी धन्य वाणी—“धन्य हैं वे जो शोक करते हैं, क्योंकि वे सान्त्वना पाएंगे” (मत्ती 5:4) —यशायाह 61 के सन्दर्भ में कहे गए हैं। नबी एक ऐसे युग की सोच रखता है जहाँ परमेश्वर का कष्ट भोगी सेवक परमेश्वर के बंधुवाई में पड़े लोगों के लिए सान्त्वना ले कर के आएगा: “प्रभु यहोवा का आत्मा मुझ पर है, क्योंकि यहोवा ने मेरा अभिषेक किया है . . . सब शोकितों को शान्ति दूँ” (यशायाह 61:1-2; 40:1 भी देखें)।
2 सितम्बर 2021
टीकाकारों और बाइबल के शिक्षकों के लिए धन्य वाणियों में “धन्य” की व्याख्या “खुश रहना” अर्थ के रूप में करना असामान्य नहीं है। यूनानी में शब्द जिसका अनुवाद “धन्य” किया जाता है मकारियोस है, और जबकि “खुश रहना” एक उपाय है इसकी व्याख्या करने के लिए, धन्य वाणियों के व्यापक सन्दर्भ में, खुशी निशाने से चूक जाते हुए प्रतीत होता है।
7 सितम्बर 2021
प्रथम चार धन्य वाणी सब एक चेले की आवश्यकताओं का वर्णन करती हैं। “धन्य हैं वे जो धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं” शृंखला में अन्तिम है (मत्ती 5:3-6)। यीशु ने सर्वप्रथम कहा, “धन्य हैं वे जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है”(पद 3)। मन का दीन होने का अर्थ है स्वयं की आत्मिक आवश्यकता और परमेश्वर पर निर्भरता को जानना (भजन 34:6; सपन्याह 3:12)।
9 सितम्बर 2021
दया वह उदारता, हृदय की कोमलता, और आत्मा की करुणा है जो कि दूसरों के दु:खों को कम करने के लिए प्रेरित होती है। यह उन विशेषताओं में से एक है जो परमेश्वर की सन्तानों को चिन्हित करती है, क्योंकि परमेश्वर स्वयं “दया का धनी” है (इफिसियों 2:4)।
14 सितम्बर 2021
शुद्धता सभी संस्कृतियों को अलग-अलग रीतियों से चिन्हित करती है। समाजशास्त्री हमें बताते हैं कि प्रत्येक जनजाति या समूह रीति-विधियों और व्यवहार से सम्बन्धित अपनी अपेक्षाएं विकसित करता है। शुद्धता की बात करते हुए, न तो यीशु और न ही बाइबल विचित्र और अपरिचित क्षेत्र में प्रवेश कर रहे हैं।
16 सितम्बर 2021
हम में से अधिकतर लोग मेल-मिलाप चाहते हैं। हम में बहुत कम ऐसा कराने की इच्छा रखते हैं। यदि हम धन्य वाणियों में से शीघ्रता से निकल जाएं, तो हम मेल कराने को एक निष्क्रिय विशेषता के रूप में त्रुटिपूर्वक रीति से समझ सकते हैं, जो ऐसे लोगों में है जो अपने काम से काम रखते हैं। उनका गुण मुख्यतः मतभेद से बचने में पाया जाता है।
21 सितम्बर 2021
धन्य वाणियां ईश्वरोन्मुख दृष्टिकोण के साथ प्रारम्भ होते हैं—आत्मिक दरिद्रता, शोकित होना, नम्रता, और भूख—और मानवाभिमुख विषयों की ओर बढ़ती हैं—दया, शुद्धता,और मेल कराना—मत्ती 5:10 में सताव और निन्दा की अनिवार्य वास्तविकता के साथ समाप्त होने से पहले (मत्ती10:22; यूहन्ना 15:20 भी देखें)।
23 सितम्बर 2021
प्रोफेसर का चेहरा गुस्से से विकृत हो गया था जब वह मुझ पर चिल्लाया और मुठ्ठी भर फटा कागज़ मेरे मुंह से सामने हिलाया। उसने मुझ पर विश्वविद्यालय के छात्रों को परेशान करने और उन पर आक्रमण करने का आरोप लगाया।