डब्ल्यू. रॉबर्ट गॉडफ्रे - लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़

लिग्निएर का ब्लॉग

हम डॉ. आर. सी. स्प्रोल का शिक्षण संघ हैं। हम इसलिए अस्तित्व में हैं ताकि हम जितने अधिक लोगों तक सम्भव हो परमेश्वर की पवित्रता को उसकी सम्पूर्णता में घोषित करें, सिखाएं और रक्षा करें। हमारा कार्य, उत्साह, और उद्देश्य है कि हम लोगों को परमेश्वर के ज्ञान और उसकी पवित्रता में बढ़ने में सहायता करें।

 
20 दिसम्बर 2022

धर्मसुधार क्यों आवश्यक था?

कलीसिया को सदा धर्मसुधार की आवश्यकता है। नए नियम में भी, हम यीशु को पतरस को डांटते हुए देखते हैं, और हम पौलुस को कुरिन्थवासियों को सुधारते हुए देखते हैं।
10 मई 2022

ईश्वरविज्ञान और कलीसिया

ईश्वरविज्ञान, वह सत्य जो कि परमेश्वर की ओर से और परमेश्वर के विषय में है, कलीसिया के जीवन के लिए है।
16 अगस्त 2021

केवल विश्वास के द्वारा धर्मी ठहराया जाना

2017 में धर्मसुधार की पांच सौवीं वर्षगांठ का उत्सव बार-बार वापस आएगा केवल विश्वास द्वारा धर्मी ठहराए जाने के विषय पर, जो धर्मसुधार की सबसे महत्वपूर्ण पुनर्खोजों में से एक है।
25 मार्च 2021

भजन 22 का दुख और महिमा

भजन 22 मानव इतिहास में सबसे व्यथित पुकार से आरम्भ होता है; “हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तू ने मुझे क्यों छोड़ दिया?” ये वे वचन हैं जो यीशु ने अपने होंठो पर लिए अपनी पीड़ा की गहराई के समय क्रूस पर। उसकी पीड़ा उस समय अनोखी थी जब उसने अपने लोगों के पापों के लिए स्वयं को चढ़ा दिया।
14 मार्च 2021

सुसमाचार का क्या अर्थ है?

बहुत से मसीही, कलीसियाए और संस्थाए अपने विश्वास का वर्णन करने के लिए नियमित रीति से सुसमाचार शब्द का उपयोग करते हैं। सुसमाचार के अर्थ पर एवं कौन इसे विश्वासयोग्यता के साथ प्रचार करता है, ईश्वरविज्ञानीय विवाद हुए हैं और होते हैं। उस परिचित शब्द सुसमाचार का क्या अर्थ है?
5 मार्च 2021

सेम्पर रिफॉर्माण्डा का क्या अर्थ है?

एक्कलेसिया रिफॉर्माटा, सेम्पर रिफॉर्माण्डा वाक्यांश (जिस कलीसिया में धर्मसुधार हुआ है, उसमें सर्वदा धर्मसुधार होता रहेगा) को इतना अधिक बार उपयोग किया गया है कि यह एक मंत्र या नारा बन गया है।
19 फ़रवरी 2021

हमको अपने दिन गिनना सिखा

इस पद के साथ प्राय: ऐसे व्यवहार किया जाता है जैसे कि यह एक नीतिवचन था जिसका अर्थ है, “जीवन क्षणिक है, इसलिए बुद्धिमानी से जियो।
18 फ़रवरी 2021

कलीसिया को सुधारने की आवश्यकता पर जॉन कैल्विन

450 से अधिक वर्ष पहले, जॉन कैल्विन के पास एक अनुरोध आया कि वह कलीसिया में सुधार के लिए आवश्यकता और चरित्र के विषय में लिखें।