दो जगत के मध्य
टेबलटॉक का सितम्बर 2018 अंक दो जगत के मध्य जीए जाने वाले मसीही जीवन पर विचार करेगा। नया नियम हमें बताता है कि विश्वासी स्वरीय देश के नागरिक हैं, जिनको ऐसा राज्य प्राप्त हुआ है जिसे हिलाया नहीं जा सकता है (फिलिप्पियों 3:20; इब्रानियों 12:28-29)। इसके साथ ही, नया नियम हमें यह भी बताता है कि ख्रीष्ट के पुनःआगमन तक, हम अभी भी पृथ्वी के नागरिक हैं, जिनके पास इस जगत में उत्तरदायित्व हैं जब हम प्रवासी और विदेशी के रूप में वर्तमान युग में रहते हैं (रोमियों 13:1-7; इब्रानियों 11:13)। इसलिए मसीहियों के रूप में परमेश्वर को प्रसन्न करने वाला जीवन जीने का अर्थ है, उन दोनों जगत को ध्यान देना जिनमें हम रहते हैं। हमें ख्रीष्ट में अपने स्थान और अपने भविष्य को लेकर आश्वासित होना चाहिए बिना वर्तमान को तुच्छ समझते हुए। यह अंक इस बात के विभिन्न आयाम को देखेगा कि इन दो जगत में प्रभु के प्रति विश्वासयोग्य सेवा करते हुए जीने का अर्थ क्या है, और यह विश्वासियों की सहायता करेगा कि वे पृथ्वी पर उत्तरदायी रीति से व्यवहार करें जबकि उनका वास्विक घर स्वर्ग में है।










