3 जुलाई 2025
यीशु के “मैं हूँ” कथनों में से सातवाँ और अन्तिम कथन—“मैं ही सच्ची दाखलता हूँ” (यूहन्ना 15:1)—सम्भवतः उन सभी कथनों में सबसे अधिक रहस्यपूर्ण है (कम से कम गैर-यहूदी पाठकों के लिए)। कई पाठकों (और प्रचारकों) के लिए यह प्रलोभन का विषय हो सकता है कि वे इस तरह की भाषा को विशुद्ध रूप से एक रूपक के रूप में देखें कि कैसे हमें मसीहियों के रूप में व्यक्तिगत रूप से फलना-फूलना है और फलदायी होना है, परन्तु यीशु के मूल श्रोताओं का जो सभी यहूदी थे, इसका ऐसा अर्थ नहीं था।