- लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़

लिग्निएर का ब्लॉग

हम डॉ. आर. सी. स्प्रोल का शिक्षण संघ हैं। हम इसलिए अस्तित्व में हैं ताकि हम जितने अधिक लोगों तक सम्भव हो परमेश्वर की पवित्रता को उसकी सम्पूर्णता में घोषित करें, सिखाएं और रक्षा करें। हमारा कार्य, उत्साह, और उद्देश्य है कि हम लोगों को परमेश्वर के ज्ञान और उसकी पवित्रता में बढ़ने में सहायता करें।

 
3 जुलाई 2025

यीशु सच्ची दाखलता कैसे है?

यीशु के “मैं हूँ” कथनों में से सातवाँ और अन्तिम कथन—“मैं ही सच्ची दाखलता हूँ” (यूहन्ना 15:1)—सम्भवतः उन सभी कथनों में सबसे अधिक रहस्यपूर्ण है (कम से कम गैर-यहूदी पाठकों के लिए)। कई पाठकों (और प्रचारकों) के लिए यह प्रलोभन का विषय हो सकता है कि वे इस तरह की भाषा को विशुद्ध रूप से एक रूपक के रूप में देखें कि कैसे हमें मसीहियों के रूप में व्यक्तिगत रूप से फलना-फूलना है और फलदायी होना है, परन्तु यीशु के मूल श्रोताओं का जो सभी यहूदी थे, इसका ऐसा अर्थ नहीं था।   
1 जुलाई 2025

यीशु मार्ग, सत्य और जीवन कैसे है?

बाइबल विशिष्ट दावों कथनों से भरी पड़ी है। जीवन और मृत्यु का विरोधाभास मसीही धर्म के लिए मौलिक  है। जीवन का मार्ग और मृत्यु का मार्ग सम्पूर्ण बाइबल में मिलता है, जिसे कैन के अविश्वास के बलिदान बनाम हाबिल के विश्वास के बलिदान और एसाव और याकूब के बीच की तुलना जैसे स्थानों पर दर्शाया गया है।
27 जून 2025

जब संसार विजयशील प्रतीत हो

जब हमें ऐसा लगे कि संसार की दुष्टता और कलिसिया में व्याप्त समझौता परमेश्वर के राज्य पर प्रबल हो रहे हैं, तो हमें क्या प्रतिक्रिया देनी चाहिए? मत्ती 13:24–43 में, यीशु परमेश्वर के राज्य के स्वरूप के विषय में शिक्षा देता है — जिसे मत्ती अधिक विशिष्ट रूप से “स्वर्ग का राज्य” कहता है।
26 जून 2025

यीशु पुनरुत्थान और जीवन कैसे है?

सभोपदेशक का बुद्धिमान शिक्षक एक ऐसे स्थान के विषय में बात करता है जो ईश्वरभक्ति को बढ़ाती है, और उस स्थान का पता आपको आश्चर्यचकित कर सकता है। वह कहता है,  
24 जून 2025

यीशु अच्छा चरवाहा कैसे है?

इस बड़े प्रश्न का सीधा सा उत्तर यह है: यीशु अच्छा चरवाहा है क्योंकि उसने स्वयं कहा कि वह अच्छा चरवाहा है। यूहन्ना के सुसमाचार में, यीशु ने कहा, “अच्छा चरवाहा मैं हूँ” (यूहन्ना 10:11)।
19 जून 2025

यीशु जीवन की रोटी कैसे है?

यूहन्ना 6:48 में, हम यीशु के सात “मैं हूँ” कथनों में से पहले कथन को सुनते हैं। इनमें से छह कथनों में एक विधेय कर्तावाचक सम्मिलित है (यह बताया जाता है कि यीशु क्या है)—रोटी (यूहन्ना 6:48), ज्योति (यूहन्ना 8:12; 9:5), द्वार (यूहन्ना 10:7, 9), अच्छा चरवाहा (यूहन्ना 10:11, 14), पुनरुत्थान और जीवन (यूहन्ना 11:25), मार्ग, सत्य और जीवन (यूहन्ना 14:6)—जो हमें यीशु के व्यक्ति और कार्य के विषय में बहुत कुछ बताता है।
17 जून 2025

भेदसूचक साहित्य को कैसे पढ़ें?

भेदसूचक साहित्य संसार के अन्त समय से सम्बन्धित छवियों और शिक्षाओं को प्रस्तुत करता है, जो बहुधा अत्यधिक प्रतीकात्मक रूप में होती हैं। सोसाइटी ऑफ बिब्लिकल लिटरेचर की शैली परियोजना द्वारा विकसित एक मानक परिभाषा कहती है कि भेदसूचक साहित्य “यह एक प्रकार का ‘प्रकाशनात्मक साहित्य’ है, जिसमें वर्णनात्मक ढाँचे के भीतर एक अलौकिक प्राणी के द्वारा किसी मानव प्राप्तकर्ता को एक ऐसे रहस्य का प्रकाशन दिया जाता है जो पारलौकिक वास्तविकता का खुलासा करता है।”
12 जून 2025

व्याख्याशास्त्र क्या है?

“अपने आप को परमेश्वर के ग्रहणयोग्य ऐसा कार्य करनेवाला ठहराने का प्रयत्न कर जिस से लज्जित होना न पड़े, और जो सत्य के वचन को ठीक ठीक काम में लाए” (2 तीमुथियुस 2:15)।
10 जून 2025

सुसमाचारों को कैसे पढ़ा जाना चाहिए?

सुसमाचार कि पुस्तकें चार वृत्तान्त हैं जो “सुसमाचार”–ख्रीष्ट के जीवन, मृत्यु और पुनरुत्थान–का वर्णन करते हैं। फिर भी उन्हें प्रायः त्रुटिपूर्ण ढ़ंग से समझा जाता है या कम आँका जाता है। सुसमाचारों को पढ़ने के लिए यहाँ चार सामान्य परन्तु ठोस विशेषताएँ दी गई हैं।