- लिग्निएर मिनिस्ट्रीज़

लिग्निएर का ब्लॉग

हम डॉ. आर. सी. स्प्रोल का शिक्षण संघ हैं। हम इसलिए अस्तित्व में हैं ताकि हम जितने अधिक लोगों तक सम्भव हो परमेश्वर की पवित्रता को उसकी सम्पूर्णता में घोषित करें, सिखाएं और रक्षा करें। हमारा कार्य, उत्साह, और उद्देश्य है कि हम लोगों को परमेश्वर के ज्ञान और उसकी पवित्रता में बढ़ने में सहायता करें।

 
14 दिसम्बर 2023

सर्वोपस्थिति

परमेश्वर की सर्वोपस्थिति हमारे उसे अनुभव करने की रीति का आधार है। सर्वोपस्थिति वह है जिससे हम परमेश्वर के असीमता को समझते हैं।
13 दिसम्बर 2023

प्रेम, न्याय, और प्रकोप

फ्रान्सिस शेफर (Francis Schaeffer) ने एक बार हमें कल्पना करने के लिए उत्साहित किया कि हम मार्ग पर चल रहे हैं और देखते हैं कि एक जवान डाकू एक वृद्ध स्त्री को मार रहा है।
12 दिसम्बर 2023

अगम्यता

कलीसियाई जीवन का एक पुराना और प्रिय परम्परा प्रीतिभोज या संगति-भोज है।
11 दिसम्बर 2023

अपरिवर्तनीयता

“परमेश्वर की अपरिवर्तनीयता” वाक्यांश का अर्थ है कि परमेश्वर परिवर्तित नहीं होता है और वह परिवर्तित नहीं हो सकता है
8 दिसम्बर 2023

स्वयंभूति और सरलता

मसीही लोग सच्चे परमेश्वर की आराधना करते हैं, जिसका नाम “मैं हूँ” है (निर्गमन 3:14)। कुछ लोग सोच सकते हैं कि परमेश्वर के लिए यह एक भारहीन और कंगाल नाम है।
7 दिसम्बर 2023

ईश्वरविज्ञान हमें स्तुति-गान की ओर ले जाता है

जब मैनें पहली बार 1999 में सिन्क्लेयर फर्गसन की पुस्तक द होली स्पिरिट (पवित्र आत्मा) पढ़ी, तो मैं थॉमस अक्विनास के एक उद्धरण की ओर आकर्षित हुआ, जो प्रस्तावना में उद्धरित था, “ईश्वरविज्ञान परमेश्वर से निकलता है, हमें परमेश्वर के विषय में सिखाता है, और हमें परमेश्वर की ओर ले जाता हैं।”
6 दिसम्बर 2023

दृश्यमान कलीसिया में सेवकाई

कलीसिया के विषय में विचार करते समय एक उपयोगी ईश्वरविज्ञानीय अन्तर उसके दृश्यमान और अदृश्यमान स्वभाव का है।
5 दिसम्बर 2023

आशाहीनता का सामना करना

अलास्का के ऐन्खरेज से दक्षिण, सेवर्ड राजमार्ग पर, मेरा मित्र खो गया था और उसको अलास्का में होप (Hope, अर्थात् आशा) नाम के गाँव के लिए दिशा-निर्देशन की आवश्यकता थी, जो कि केनाई प्रायद्वीप पर स्थित है।
4 दिसम्बर 2023

परमेश्वर की सन्तुष्ट सन्तान

भजन 131 में राजा दाऊद ने इस बात का अंगीकार किया कि उसने उन बातों के विषय में चिन्ता नहीं की “जो बातें बड़ी और मेरे लिए कठिन हैं” (1 पद)।